Tuesday, November 3, 2020

पश्चिम एशिया पर सबसे विश्वसनीय पत्रकार रॉबर्ट फिस्क का निधन

 


पश्चिम एशिया को विश्वसनीय तरीके से कवर करने के लिए प्रसिद्ध पत्रकार रॉबर्ट फिस्क (Robert Fisk)  के निधन की खबर भारत के बहुत कम पत्रकारों की दिलचस्पी का विषय रही। उनका ज्यादा से ज्यादा इस बात के लिए उल्लेख हुआ कि उन्होंने ओसामा बिन लादेन का तीन बार इंटरव्यू किया था। अरबी भाषा बोलने वाले रॉबर्ट फिस्क पश्चिमी दुनिया के उन इने-गिने पत्रकारों में से एक रहे हैं, जिन्होंने करीब 40 साल तक इस इलाके को काफी गहराई से कवर किया। फिस्क 12 वर्ष से ज्यादा समय तक अंग्रेज़ी अख़बार द इंडिपेंडेंट के लिए पश्चिम एशिया के रिपोर्टर रहे। उन्हें मिडिल ईस्ट की कवरेज के कारण कई ब्रिटिश और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले। उन्हें सात बार ब्रिटेन का वार्षिक अंतरराष्ट्रीय पत्रकार पुरस्कार भी मिला। विभिन्न युद्धों पर उनकी कई किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं।

रॉबर्ट फिस्क की आयु 74 वर्ष थी। गत 30 अक्तूबर को आयरलैंड के डबलिन शहर में उनका निधन हृदयघात यानी हार्ट स्ट्रोक से हुआ। आयरिश टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार अपने घर पर बीमार पड़ने के बाद उन्हें डबलिन के सेंट विनसेंट अस्पताल में भरती कराया गया था। फिस्क का जन्म 1946 में कैंट के माइडस्टोन में हुआ था और बाद में उन्होंने आयरलैंड की नागरिकता ले ली।  आयरलैंड की राजधानी डबलिन के बाहर डल्की में उनका घर था।

अमेरिका, इजरायल और पश्चिमी देशों की विदेश नीति की तीखी आलोचना के कारण वे विवादों में बने रहे। पांच दशक तक ब्रिटिश अखबारों के लिए उन्होंने बाल्कन, पश्चिम एशिया पूर्व और उत्तरी अफ्रीका के युद्धों को कवर किया।  उनकी प्रमुख किताबों में द पॉइंट ऑफ़ नो रिटर्न (The Point of No Return: The Strike Which Broke the British in Ulster), पिटी दी नेशन: लेबनान एट वॉर (Pity the Nation: Lebanon at War); और 'द ग्रेट वॉर फॉर सिविलाइज़ेशन-द कनक्वेस्ट ऑफ़ द मिडिल ईस्ट (The Great War for Civilisation-The Conquest of the Middle East) शामिल हैं।

संडे एक्सप्रेस में अपने करियर की शुरूआत करने के बाद फिस्क 1972 में टाइम्स के लिए उत्तरी आयरलैंड के संवाददाता के रूप में संघर्षों को कवर करने के लिए बैलफास्ट चले गए। वर्ष 1976 में वे अखबार के मिडिल ईस्ट संवाददाता बन गए। लेबनान की राजधानी बेरूत से उन्होंने देश के गृह युद्ध के साथ-साथ 1979 की ईरानी क्रांति, अफगानिस्तान-सोवियत युद्ध और ईरान-इराक युद्ध की रिपोर्टिंग की। उन्होंने अखबार के मालिक रूपर्ट मर्डोक के साथ हुए विवाद के बाद 1989 में टाइम्स से इस्तीफा दे दिया और इंडिपेंडेंट में चले गए जहाँ उन्होंने अपने करियर का बाकी समय गुजारा।

 

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