एनडीटीवी की पूर्व पत्रकार निधि राजदान ने हाल में ट्वीट करके अपने साथ हुई ऑनलाइन धोखाधड़ी की जानकारी दी है। पिछले साल एनडीटीवी के 21 साल के करिअर को उन्होंने इस विश्वास पर छोड़ दिया था कि उन्हें अमेरिका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय में पत्रकारिता के अध्यापन का ऑफर मिला है। राजदान ने ट्वीट के साथ नत्थी अपने बयान में लिखा, मुझे यह यकीन दिलाया गया था कि सितंबर में मुझे हार्वर्ड विवि में अध्यापन शुरू करने का मौका मिलेगा। जब मैं नए काम पर जाने की तैयारी कर रही थी, तो बताया गया कि कोरोना की महामारी के कारण कक्षाएं जनवरी में शुरू होंगी।
इस मामले में हो
रही देरी को लेकर उन्हें गड़बड़ी का अंदेशा होने लगा, जो अंत में सही साबित हुआ। निधि ने अपने ट्वीट में लिखा कि
मैं बहुत ही गंभीर फिशिंग हमले की शिकार हुई हूँ। निधि राजदान के इस ट्वीट के बाद
कई तरह की प्रतिक्रियाएं आई हैं, ज्यादातर की प्रकृति
राजनीतिक है। इस प्रकरण के नैतिक और कानूनी निहितार्थ पर इस आलेख में विचार करने
का इरादा नहीं है। केवल फिशिंग, सायबर हमलों और उनकी
प्रकृति का परिचय देने का उद्देश्य है।
जानकारियाँ दे दीं
एक बात जो निधि राजदान ने अपने ट्वीट में लिखी वह है, इस हमले के पीछे के लोगों ने चालाकी से मुझसे जुड़ी जानकारियाँ हासिल कीं और संभव है कि उन्होंने मेरे उपकरणों (कंप्यूटर, फोन वगैरह), ईमेल/ सोशल मीडिया एकाउंट वगैरह तक भी घुसपैठ कर ली हो। फिशिंग एक प्रकार की ठगी और आपराधिक कारनामा है। इंटरनेट-अपराधों का दायरा वैश्विक है। यह पता लगाना आसान नहीं होता कि वे कहाँ से संचालित किए जा रहे हैं। बेशक धोखाधड़ी के पीछे कोई शातिर दिमाग है। पता नहीं उसने अपने फुटप्रिंट छोड़े हैं या नहीं। उसका उद्देश्य क्या है? ऐसे तमाम सवाल है, अलबत्ता इस मामले ने फिशिंग के एक नए आयाम की ओर दुनिया का ध्यान जरूर खींचा है।