जम्मू-कश्मीर में गुपकार गठबंधन और भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के बीच बयानबाज़ी काफी कटु स्तर पर आ गई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे बताया 'गुपकार गैंग' कहा है। उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर को ये लोग आतंक के दौर में वापस ले जाना चाहते हैं। अमित शाह ने ट्विटर पर कहा कि ये लोग विदेशी ताकतों का जम्मू-कश्मीर में दखल चाहते हैं।
हालांकि कांग्रेस
इस गठबंधन में शामिल नहीं है, पर उसका समर्थन इस गठबंधन को प्राप्त है। गुपकार
गठबंधन ने डीडीसी चुनाव में उतरे जिन प्रत्याशियों की सूची जारी की है, उनमें कांग्रेस
के प्रत्याशी भी शामिल हैं। शाह ने कहा
है, गुपकार गैंग भारत के तिरंगे का अपमान करता है। क्या सोनिया जी और राहुल गुपकार
गैंग के ऐसे कदमों का समर्थन करते हैं? उन्हें देश की जनता के
सामने अपना स्टैंड साफ करना चाहिए।
इसके जवाब में महबूबा मुफ्ती ने कहा, चुनाव लड़ना भी अब राष्ट्र-विरोधी हो गया। बीजेपी जितने चाहे गठबंधन करे, हम करें तो राष्ट्र-द्रोह? महबूबा मुफ्ती ने तिरंगे झंडे के बार में अपने बयान में तब्दीली की है। उनका कहना है कि कश्मीर का झंडा भी तिरंगे के साथ हमारे हाथ में होगा। इसका आशय है कि वे भारतीय राष्ट्र राज्य के भीतर रहते हुए कश्मीर की स्वायत्तता की समर्थक हैं। कमोबेश यही स्थिति उनकी पिछले साल अनुच्छेद 370 हटने के पहले की थी। तबसे अबतक फर्क यह पड़ा है कि कश्मीर के ज्यादातर दल आपसी प्रतिद्वंद्विता भुलाकर एकसाथ आ गए हैं। उन्होंने घाटी के बाद जम्मू क्षेत्र में में भी संपर्क साधा है।
शाह ने एक के बाद
एक ट्वीट्स में कहा कि 'कांग्रेस और गुपकार गैंग
जम्मू और कश्मीर को वापस आतंक के युग में ले जाना चाहते हैं।' शाह ने कहा, "वे दलितों, महिलाओं और आदिवासियों के वे अधिकार छीन लेना चाहते हैं जो
हमने अनुच्छेद 370 हटाकर दिए हैं। यही वजह है कि देश की जनता उन्हें
हर जगह रिजेक्ट कर रही है।" गृहमंत्री ने एक और ट्वीट में कहा, "जम्मू और कश्मीर हमेशा से भारत का आंतरिक हिस्सा रहा है।
भारत के लोग राष्ट्रहित के खिलाफ बने किसी अपवित्र 'ग्लोबल गठबंधन' को सहन नहीं करेंगे। या तो गुपकार गैंग देश के मूड के साथ
चले नहीं तो लोग उसे डुबो देंगे।"
दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला
ने कहा है "मैं माननीय गृह मंत्री की
खीझ समझ सकता हूं। उन्हें बताया गया था कि पीपुल्स अलायंस चुनावों का बॉयकॉट करने
वाला है। इससे बीजेपी और नई बनी किंग्स पार्टी को जम्मू-कश्मीर में पूरी छूट मिल जाती। हमने ऐसा नहीं किया। चुनावों में हिस्सा
लेने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का समर्थन करने पर केवल J&K में ही नेताओं को हिरासत में लिया जा सकता है और एंटी नेशनल
कहा जा सकता है। हम कोई 'गैंग' नहीं हैं अमित शाह जी,
हम एक वैध
राजनीतिक गठबंधन हैं जो चुनाव लड़ेगा, भले ही आप इससे निराश
हों।"
कांग्रेस ने भी
महबूबा मुफ्ती, फारूक अब्दुल्ला के साथ मिलकर जिला विकास
परिषद(डीडीसी) चुनाव लड़ने की योजना बनाई है। उधर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद
ने आरोप लगाया कि इनका एक निश्चित एजेंडा है कि अनुच्छेद 370 को हटाया जाना रद्द होना चाहिए और उसे फिर से लागू किया
जाना चाहिए। फारूक अब्दुल्ला जैसे कुछ लोग तो इस सीमा तक चले गए कि उन्होंने कहा
है कि अनुच्छेद 370 को दोबारा लागू करवाने के लिए चीन की भी
सहायता लेनी पड़े तो हम लेंगे। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने सोमवार 16 नवंबर को
पार्टी मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अब जबकि कांग्रेस गुपकार
गठबंधन में शामिल हो गई है, तो उसे यह भी स्पष्ट करना
चाहिए कि क्या वह नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला के उस बयान का समर्थन
करती है जिसमें उन्होंने अनुच्छेद 370 को बहाल करने के लिए चीन
से मदद की बात की थी।
कश्मीर में राज्य
की 6 प्रमुख पार्टियों ने मिलकर अगस्त 2019 में एक मुहिम तैयार की थी। उस समय जब
इस अभियान की घोषणा की गई थी तब इसका लक्ष्य पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य के
विशेष दर्जे और अनुच्छेद 35 ए और अनुच्छेद 370 को बचाना और राज्य के विभाजन को
रोकना था। जिस दिन इन दलों ने गुपकार गठबंधन की घोषणा की उसके अगले ही दिन सरकार
ने अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने की घोषणा कर दी। अब इस गठबंधन को नाम दिया गया
है "पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लरेशन।" नेकां और पीडीपी के अलावा
इसमें सीपीआई(एम),
पीपुल्स
कांफ्रेंस (पीसी),
जेकेपीएम और
एएनसी शामिल हैं।
अभियान की घोषणा
करते हुए जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि हमारी
लड़ाई एक संवैधानिक लड़ाई है, हम चाहते हैं कि
भारत सरकार जम्मू और कश्मीर के लोगों को उनके वो अधिकार वापस लौटा दे जो उनके पास
पांच अगस्त 2019 से पहले थे। अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि जम्मू, कश्मीर और लद्दाख से जो छीन लिया गया था हम उसे
फिर से लौटाए जाने के लिए संघर्ष करेंगे।
पूर्व
मुख्यमंत्री फारुक़ अब्दुल्ला श्रीनगर के गुपकार इलाके में रहते हैं। उन्होंने ही इस
तरह का एक गठबंधन बनाने की बात सभी दलों के सामने रखी। इस मीटिंग के लिए अब्दुल्ला ने गुपकार स्थित अपने घर पर
रखने का सुझाव दिया। इस वजह से इस मीटिंग का नाम ही गुपकार मीटिंग पड़ गया, तभी से इसे गुपकार मीटिंग या गठबंधन के नाम से
जाना जाता है।
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