वनिता कोहली-खांडेकर / 04 25, 2021
देश में टेलीविजन का भविष्य क्या है? क्या यह ग्रामीण क्षेत्रों का माध्यम बनकर रह जाएगा? ब्रॉडकास्ट
ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) की ओर से हाल में जारी आंकड़ों को देखकर तो ऐसा ही
लग रहा है। आंकड़ों के मुताबिक टेलीविजन देखने वाले भारतीयों की तादाद 19.7 करोड़ घरों
में 83.6 करोड़ से
बढ़कर 21 करोड़ घरों
में 89.2 करोड़ पहुंच
गई। इनमें से 11.9 करोड़ घरों के
50.8 करोड़ लोग
ग्रामीण जबकि 9.1 करोड़ घरों के
38.4 करोड़ लोग
शहरी हैं।
यदि वर्ष 2016,
2018 और 2020 के आंकड़ों पर
नजर डालें तो पता चलता है कि टीवी के आधे से कुछ अधिक दर्शक और घर हमेशा से
ग्रामीण भारत में रहे। लेकिन राजस्व जुटाने की दृष्टि से अहम यानी टीवी देखने में
बिताए गए समय के हिसाब से देखें तो शहरी भारत आगे है। विज्ञापन से जुड़ा राजस्व
इसी से तय होता है। एक शहरी दर्शक आमतौर पर 4 घंटे 27 मिनट टीवी देखता है जबकि ग्रामीण दर्शक तीन घंटे 43 मिनट। इसकी एक वजह कम नमूने लेना या बिजली की दिक्कत भी
हो सकती है। लब्बोलुआब यह है कि ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में काफी लोग टीवी
देखते हैं। टीवी अब भी 1,38,300 करोड़ रुपये
के भारतीय मीडिया और मनोरंजन उद्योग में दर्शकों और राजस्व के मामले में सबसे बड़ा
हिस्सेदार है। यानी देश भर में टीवी देखने वाले घरों में टीवी देखने में बढ़ता समय
वृद्धि का हिस्सा है।
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