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Friday, February 26, 2021

तीसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था संकुचन से बाहर


लगातार दो तिमाही में संकुचन का सामना करने के बाद तीसरी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था तीसरी तिमाही में संकुचन से बाहर आ गई है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा शुक्रवार को जारी दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार तीसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था की संवृद्धि दर 0.4 प्रतिशत हो गई है। इस प्रकार इस वित्तीय वर्ष में अर्थव्यवस्था की संकुचन दर -8 प्रतिशत हो गई है।

सरकार ने पिछली दो तिमाहियों के संवृद्धि अनुमानों में संशोधन भी किया है। पहली तिमाही का अनुमान पहले 24.4 फीसदी था, जो अब -23.9 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में पहले का अनुमान -7.5 प्रतिशत था, जो अब 7.3 प्रतिशत है। इससे लगता है कि इस साल की संवृद्धि पहले के अनुमानों से बेहतर होगी।

तीसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था की संवृद्धि अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में पहले से बेहतर रही। आंकड़ों से साफ है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अब मंदी के दौर से निकल आई है। दो तिमाही के बाद जीडीपी ग्रोथ पॉजिटिव ज़ोन में आई है।

देश के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने 7 जनवरी को इस वित्त वर्ष के लिए राष्ट्रीय आय (जीडीपी) का पहला अग्रिम अनुमान (एफएई) जारी किया था, जिसमें केवल कृषि को छोड़कर अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों में संकुचन (कांट्रैक्शन) का अनुमान लगाया गया है। एनएसओ के मुताबिक, देश की अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष (2020-21) में 7.7 प्रतिशत के संकुचन का अनुमान है, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 4.0 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी। इस संकुचन के लिए कोविड-19 वैश्विक महामारी को मुख्य कारण बताया गया है।

Friday, January 8, 2021

जीडीपी में 7.7 फीसदी के संकुचन का अग्रिम अनुमान

 


देश के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने 7 जनवरी को इस वित्त वर्ष के लिए राष्ट्रीय आय (जीडीपी) का पहला अग्रिम अनुमान (एफएई) जारी किया, जिसमें केवल कृषि को छोड़कर अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों में संकुचन (कांट्रैक्शन) का अनुमान लगाया गया है। एनएसओ के मुताबिक, देश की अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष (2020-21) में 7.7 प्रतिशत के संकुचन का अनुमान है, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 4.2 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी। इस संकुचन के लिए कोविड-19 वैश्विक महामारी को मुख्य कारण बताया गया है।

मंत्रालय के अनुसार, '' साल 2020-21 में स्थिर मूल्य (2011-12) पर वास्तविक जीडीपी या जीडीपी 134.40 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। जबकि 31 मई 2020 को जारी 2019-20 की जीडीपी के अस्थायी अनुमान 146.66 लाख करोड़ रुपये के हैं। इस तरह 2020-21 में वास्तविक जीडीपी में अनुमानतः 7.7 प्रतिशत की गिरावट आएगी।

Wednesday, December 9, 2020

शहद की शुद्धता का विवाद


भारत के कमजोर खाद्य मानक उस समय एक बार फिर सामने आ गए जब सेंटर फॉर साइंस ऐंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने ब्रैंडेड शहद में व्यापक मिलावट की बात उजागर की। शहद के तकरीबन सभी प्रमुख ब्रांड भारत में शुद्धता परीक्षण में सफल हो गए लेकिन जब उन्हीं ब्रांड को दुनिया भर में अपनाई जा रही न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस (एनएमआर) पद्धति से जांचा गया तो 13 में से केवल तीन ब्रांड ही खरे उतरे। ये परीक्षण जर्मनी की एक विशेष प्रयोगशाला में किए गए और इससे यह सच सामने आया कि कैसे मिलावट के ऐसे तरीके ईजाद किए गए हैं जो भारत में होने वाले परीक्षण में सफल हो जाते हैं। जो भी ब्रांड परीक्षण में नाकाम हुए वे सभी अपने विज्ञापनों में शुद्ध होने का दावा करते हैं लेकिन परीक्षण में पाया गया कि उनमें बड़ी मात्रा में शुगर सिरप मिलाया गया है। दिलचस्प बात यह है कि भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने माना है कि यह आम चलन में है और गत 1 अगस्त से ही निर्यात किए जाने वाले शहद के लिए एनएमआर परीक्षण अनिवार्य कर दिया गया था।

उसने आयातकों और राज्यों के खाद्य आयुक्तों को भी चेतावनी दी है कि चावल के सिरपगन्ने से बनने वाले गोल्डन सिरप और इन्वर्ट शुगर सिरप का इस्तेमाल भी शहद में मिलावट के लिए किया जा रहा था। सीएसई की जांच से पता चला कि ये तीनों शुगर या तो इन नामों से आयात नहीं नहीं हो रहे थे या फिर इनकी मिलावट के संकेत नहीं थे। सीएसई की रिपोर्ट के अनुसार चीन के निर्यातक मसलन अलीबाबा आदि शहद बनाने के लिए ब्रैंडेड फ्रक्टोस सिरप बेच रहे थे जो एफएसएसएआई 2020 के शहद मानकों को पूरा करते थे। इससे यही संकेत मिलता है कि खाद्य मानक नियामक शायद इस घोटाले से अनभिज्ञ था।