पिछले तीन महीनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी की जापान, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और फ्रांस की यात्राओं और एससीओ के शिखर
सम्मेलन से भारतीय विदेश-नीति की दिशा स्पष्ट हो रही है. भारत पश्चिमी देशों के
साथ अपने सामरिक और आर्थिक रिश्तों को मजबूत कर रहा है, पर कोशिश यह भी कर रहा है
कि उसकी स्वतंत्र पहचान बनी रहे.
भारत और चीन के रिश्तों में फिलहाल ‘पाँच
फ्रिक्शन एरियाज़’ माने जा रहे हैं, जो पूर्वी लद्दाख
सीमा से जुड़े हैं, पर प्रत्यक्षतः दो बड़े अवरोध हैं. एक कुल सीमा-विवाद और दूसरे
पाकिस्तान. पिछले शुक्रवार को भारत के विदेशमंत्री एस जयशंकर और चीन के पूर्व
विदेशमंत्री वांग यी के बीच जकार्ता में हुए ‘ईस्ट एशिया समिट’ के हाशिए पर
मुलाकात हुई. इसमें भी
रिश्तों को सामान्य बनाने वाले सूत्रों का जिक्र हुआ, पर सीमा-विवाद सुलझ नहीं रहा
है.
चीन की वैश्विक-राजनीति इस समय दुनिया को ‘एक-ध्रुवीय’ बनने से रोकने की है, तो भारत एशिया को ‘एक-ध्रुवीय’ बनने
नहीं देगा. भारत की रणनीति ‘ग्लोबल साउथ’ को एकजुट करने में है, जो विश्व-व्यवस्था को भविष्य में प्रभावित करने
वाली ताकत साबित होगी. चीन भी इसी दिशा में सक्रिय है, इसलिए हमारी प्रतिस्पर्धा
चीन से होगी.
जी-20 और
ब्रिक्स
सितंबर के महीने में नई दिल्ली में होने वाले जी-20
के शिखर सम्मेलन में और दक्षिण अफ्रीका में होने वाले ब्रिक्स के शिखर सम्मेलन में
चीन के बरक्स यह प्रतिस्पर्धा और स्पष्ट होगी. चीन चाहता है कि ब्रिक्स की सदस्य
संख्या बढ़ाई जाए, पर भारत चाहता है कि बगैर एक सुपरिभाषित व्यवस्था बनाए बगैर
ब्रिक्स का विस्तार करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.
चीन की मनोकामना जल्द से जल्द पश्चिमी देशों की
बनाई विश्व-व्यवस्था के समांतर एक नई व्यवस्था खड़ी करने की है. भारत और चीन के
दृष्टिकोणों का टकराव अब ब्रिक्स में देखने को मिल सकता है.
ग्लोबल साउथ
भारत की कोशिश है कि 54 देशों के संगठन अफ्रीकन
यूनियन को जी-20 का सदस्य बनाया जाए. इससे इस समूह को वैश्विक प्रतिनिधित्व
मिलेगा. भारत की ‘ग्लोबल साउथ’ योजना का यह
भी एक हिस्सा है. यों अफ्रीकन यूनियन को सभी शिखर सम्मेलनों में विशेष अतिथि के
रूप में आमंत्रित किया जाता है. उसकी सदस्यता को केवल औपचारिक रूप ही दिया जाना
है.
जी-20 में यूरोपीय
देशों का प्रभाव और दबाव है. भारत चाहता है कि इसमें विकासशील देशों की बातों को
स्वर मिले. यह ऐसा समूह है, जिसमें जी-7 देशों और चीन-रूस गुट का सीधा टकराव देखने
को मिल रहा है.