गत 11 नवंबर को इंटरनेशनल मैरीटाइम ऑर्गनाइजेशन (आईएमओ) ने भारत के इंडिपेंडेंट रीजनल नेवीगेशन सैटेलाइट सिस्टम (आईआरएनएसएस) को वर्ल्ड वाइड रेडियो नेवीगेशन सिस्टम (डब्लूडब्लूआरएनएस) के अंग के रूप में मान्यता देकर भारत को इस क्षमता वाले चौथे देश के रूप में मान्यता दे दी। अब हमारी नेवीगेशन देश की सीमा के बाहर 1500 किलोमीटर तक जीपीएस का स्थान ले सकती है। भारत को यह मान्यता मिलने में करीब दो साल का समय लगा। भारत के जहाजरानी महानिदेशक (डायरेक्टर जनरल, शिपिंग) अमिताभ कुमार के अनुसार अब भारतीय समुद्र के आसपास से गुजरने वाले पोत ‘ज्यादा आधुनिक और ज्यादा सही’ नेवीगेशन प्रणाली का लाभ उठा सकते हैं।
आईआरएनएसएस
भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित स्वतंत्र क्षेत्रीय मार्ग
निर्देशन तंत्र है। इसे न केवल भारतीय प्रयोक्ताओं बल्कि अपनी सीमा के बाहर 1500 किमी के दायरे, में आनेवाले सभी
क्षेत्रों में सटीक स्थिति संबंधित सूचनाएं उपलब्ध कराने के लिए डिजाइन किया गया
है। यह इसका मूल सेवा क्षेत्र है। इसका विस्तारित क्षेत्र मूल सेवा क्षेत्र तथा 30 डिग्री दाक्षिण से 50 डिग्री उत्तरी अक्षांश
तथा
30
डिग्री पूर्व से 130 डिग्री पूर्व देशांतर में अवरत चतुर्भुज के सभी क्षेत्रों में व्याप्त
है।
आईआरएनएसएस द्वारा दो प्रकार की
सेवाएं प्रदान की जाती हैं:, मानक स्थिति निर्धारण सेवा (एसपीएस) जो कि सभी प्रयोक्ताओं
को उपलब्ध है तथा प्रतिबंधित सेवा (आरएस) जो गूढ़ कोडित सेवा है, केवल प्राधिकृत प्रयोक्ताओं
को उपलब्ध है। आईआरएनएसएस तंत्र द्वारा मूल सेवा क्षेत्र में 20 मीटर से भी बेहतर
स्थिति परिशुद्धता अपेक्षित है।
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