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पाकिस्तान की स्वतंत्रता की पहली वर्षगाँठ पर जारी डाक टिकट, जिसमें स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त बताया गया है। |
भारत और पाकिस्तान के ‘टाइम-ज़ोन’ अलग-अलग हैं. स्वाभाविक है, दोनों की भौगोलिक स्थितियाँ अलग हैं,
इसलिए ‘टाइम-ज़ोन’ भी
अलग हैं, पर दोनों के स्वतंत्रता दिवस अलग क्यों
हैं? एक दिन आगे-पीछे क्यों मनाए जाते हैं,
जबकि दोनों ने एक ही दिन स्वतंत्र देश के रूप में जन्म लिया था? इसके पीछे पाकिस्तानी सत्ता-प्रतिष्ठान की खुद को भारत
से अलग नज़र आने की चाहत है.
पाकिस्तान में एक तबका खुद को भारत से अलग
साबित करने पर ज़ोर देता है. उन्हें लगता है कि हम भारत के साथ एकता को स्वीकार कर
लेंगे, तो इससे हमारे अलग अस्तित्व के सामने खतरा पैदा हो जाएगा. उनकी कोशिश होती
हैं कि देश के इतिहास को भी केवल इस्लामी इतिहास के रूप में पेश किया जाए. सरकारी पाठ्य-पुस्तकों
में इतिहास का काफी काट-छाँटकर विवरण दिया जाता है.
बेशक, यह न तो पूरे देश की राय है और न संज़ीदा
लेखक, विचारक ऐसा मानते हैं, पर एक तबका ऐसा ज़रूर है, जो भारत से अलग नज़र आने के
लिए कुछ भी करने को आतुर रहता है. इस इलाके में एकता से जुड़े जो सुझाव आते हैं,
उनमें दक्षिण एशिया महासंघ बनाने, एक-दूसरे के यहाँ आवागमन आसान करने, वीज़ा की
अनिवार्यता खत्म करने और कलाकारों, खिलाड़ियों तथा सांस्कृतिक-सामाजिक कर्मियों के
आने-जाने की सलाह दी जाती है.
1857 की वर्षगाँठ
इन सलाहों पर अमल कौन और कब करेगा, इसका पता
नहीं, अलबत्ता 14 और 15 अगस्त के फर्क से पता लगता है कि किसी को न बातों पर आपत्ति
है. 2006-07 में जब भारत में 1857 की क्रांति की 150वीं वर्षगाँठ मनाई जा रही थी,
तब एक प्रस्ताव था कि भारत-पाकिस्तान और बांग्लादेश तीनों मिलकर इसे मनाएं,
क्योंकि ये तीनों देश उस संग्राम के गवाह हैं.
जनवरी 2004 में दक्षेस देशों के इस्लामाबाद में
हुए 12वें शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सुझाव
दिया था कि क्यों न हम 2007 में 1857 की 150वीं वर्षगाँठ तीनों देश मिलकर मनाएं.
पाकिस्तान के विदेश विभाग के प्रवक्ता मसूद खान से जब यह सवाल पूछा गया, तब उन्होंने
कहा, इसका जवाब है नहीं. उसके अगले दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री
ज़फरुल्ला खां जमाली ने कहा,
देखते हैं विचार करेंगे. वैसे पाकिस्तान 1857 को दूसरी निगाह से देखता है.
बहरहाल दोनों देशों के स्वतंत्रता दिवस के मौके
पर हमारा सवाल बनता है कि हम मिलकर एक ही दिन अपना स्वतंत्रता-दिवस क्यों नहीं
मनाते? इसके जवाब में अजब-गजब बातें कही जाती हैं.
एक दिन पहले शपथ
भारत 15 अगस्त, 1947
को आजाद हुआ, तो पाकिस्तान भी उसी दिन आज़ाद हुए. भ्रम केवल
इस बात से है कि पाकिस्तान की संविधान सभा में गवर्नर जनरल और वायसरॉय लॉर्ड
माउंटबेटन का भाषण और उसके बाद का रात्रिभोज 14 अगस्त को हुआ था.
चूंकि भारत ने अपना कार्यक्रम मध्यरात्रि से
रखा था, इसलिए यह सम्भव नहीं था कि वे कराची और दिल्ली
में एक ही समय पर उपस्थित हो पाते. किसी ने ऐसा सोचा होता, तो शायद दोनों देशों की
सीमा पर 14-15 की मध्यरात्रि को एक ऐसा समारोह कर लिया जाता, जिसमें दोनों देशों
का जन्म एकसाथ होता.
शायद इस वजह से 14 अगस्त की तारीख को चुना गया,
पर 14 अगस्त को पाकिस्तान बना ही नहीं था. शपथ दिलाने से पाकिस्तान बन
नहीं गया, वह 15 को ही बना. तब पाकिस्तान ने 15 अगस्त को ही स्वतंत्रता दिवस मनाया
और कई साल तक 15 को मनाया.