ओपन मैग्ज़ीन के ह्विस्पर्स कॉलम में जयंत घोषाल ने लिखा है कि गत 25 नवंबर को अहमद पटेल के निधन के बाद कांग्रेस के सामने यह सवाल खड़ा हुआ है कि अब अहमद पटेल की जगह कौन लेगा? यानी कि राहुल गांधी का अहमद पटेल कौन बनेगा?
अहमद पटेल को लेकर वायर हिंदी ने भी एक लंबा आलेख प्रकाशित किया है। इसमें कहा गया है कि अहमद पटेल की सबसे ज़्यादा जरूरत आने वाले दिनों मे तब महसूस होगी, जब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को शरद पवार, ममता बनर्जी, मायावती, अखिलेश यादव, हेमंत सोरेन, लालू यादव, स्टालिन और असम के आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बद्रुद्दीन अजमल जैसे नेताओं से बात करने की ज़रूरत पड़ेगी।
हालांकि राहुल
गांधी कई बैठकों में यह बात बोल चुके हैं कि जो गलती उनकी मां ने की थी वे नहीं
करेंगे। उनका कहना था कि उनका कोई निजी सचिव नहीं होगा, जिससे सारी पावर एक ही व्यक्ति के पास रहे, बल्कि नेताओं का एक समूह बड़े फैसले करेगा। बावजूद इसके
केरल से रहने वाले कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, हरियाणा के रणदीप सिंह सुरजेवाला और राजीव सातव जो महाराष्ट्र
से आते हैं, ऐसे नेता हैं जो राहुल गांधी के बहुत करीबी
माने जाते है या उनके सलाहकार हैं।
जयंत घोषाल के अनुसार कयास हैं कि अब कोई नई पीढ़ी का
व्यक्ति इस काम के लिए सामने आएगा। जैसे जितेंद्र सिंह या मिलिंद देवड़ा। यहाँ तक
कि कनिष्क सिंह का नाम भी सवाल यह भी है कि मोतीलाल बोरा के बाद पार्टी का
कोषाध्यक्ष कौन होगा? सोनिया गांधी इन दिनों
दिल्ली के प्रदूषण से बचने के लिए गोवा गई हुईं हैं। जब वे वापस लौटेंगी, तो नए
पदाधिकारियों के नाम तय होंगे। लोग पूछ रहे हैं कि क्या कमल नाथ या पी चिदंबरम को
यह काम मिलने की संभावना है?
मीडिया प्रमुख कौन?
पार्टी के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला के पास अब कर्नाटक का
प्रभार भी है। इसके पहले वे बिहार के प्रभारी थे। वे पार्टी के मुख्य प्रवक्ता भी
हैं। चूंकि उनके पास काम ज्यादा है, इसलिए संभावना है कि किसी दूसरे को प्रवक्ता
का काम सौंपा जाए। मोदी के दौर में अब प्रवक्ता का काम चौबीस घंटे का हो गया है।
सुनाई पड़ रहा है कि दीपेंदर हुड्डा को यह काम मिल सकता है। इससे उनके पिता भूपेंदर
सिंह हुड्डा को संतोष होगा, जिन्हें हरियाणा के पिछले विधानसभा चुनाव में
मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी के रूप में पेश नहीं किया गया था, जिससे वे खिन्न
हैं। मीडिया प्रमुख के रूप में एक और नाम चल रहा है पवन खेड़ा का।
असंतुष्ट खेमा
कांग्रेस के असंतुष्ट खेमे के सबसे सक्रिय सदस्य के रूप में
कपिल सिब्बल उभर कर सामने आए हैं। इस खेमे की राय है कि नेतृत्व परिवर्तन होना
चाहिए। इनमें गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी सहित कुछ लोग हैं। हाल में
सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व में तीन सलाहकार समितियों का गठन किया है,
जो अर्थव्यवस्था, विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में पार्टी की नीतियों
को तैयार करेंगी। इसमें दूसरे नेताओं को तो रखा गया है, पर कपिल सिब्बल को इसमें
भी जगह नहीं दी गई है। शायद असंतुष्ट क्लब को तोड़ने का इरादा है।
आर्थिक मामलों पर
बनी कमेटी में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम,
दिग्विजय सिंह और
मल्लिकार्जुन खड़गे होंगे, जबकि जयराम रमेश को इसका
समन्वयक बनाया गया है। विदेश मामलों पर बनी कमेटी में शशि थरूर, आनंद शर्मा और सप्तगिरी उलाका होंगे जबकि सलमान खुर्शीद इस
कमेटी के समन्वयक होंगे। राष्ट्रीय सुरक्षा पर बनी कमेटी में गुलाम नबी आजाद, वीरप्पा मोइली और वी वैथीलिंगम होंगे
जबकि विनसेंट पाला को कनवीनर बनाया गया है।
सुन्दर विश्लेषण
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