Sunday, November 1, 2020

कैसा अंधेर था कश्मीर के रोशनी कानून का?

 


जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने रोशनी भूमि योजना में कथित घोटाले की जांच जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की ओर से सीबीआई को सौंपे जाने के तीन सप्ताह बाद शनिवार को कहा कि इस योजना के तहत की गई सभी कार्रवाई को रद्द करेगा और छह महीने के अंदर सारी जमीन को फिर से हासिल करेगा।

 रोशनी एक्ट सन 2001 में फारूक अब्दुल्ला सरकार ने लागू किया था। हाल में जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय ने इस कानून को असंवैधानिक करार दिया। उच्च न्यायालय ने टिप्पणी की कि सरकारी भूमि पर नेताओं और अफसरों का कब्जा जायज नहीं ठहराया जा सकता है। कोर्ट ने निर्देश दिया था कि 25,000 करोड़ रुपये की भूमि आवंटन योजना की जांच सीबीआई को दी जाए।

इस रोशनी एक्ट के तहत जम्मू कश्मीर में बीस लाख कनाल सरकारी भूमि पर नेताओं, पुलिस अधिकारियों, नौकरशाहों, राजस्व अधिकारियों के अवैध कब्जे को जायज बना दिया गया था। सरकारी नौकरशाहों के अवैध कब्जे को मान्यता देने के लिए रोशनी एक्ट बनाया गया, जिसमें करोड़ों रुपयों की जमीन बहुत कम दामों पर दे दी गई।

माना जाता है कि रोशनी योजना के नाम से पहचाना जाने वाला यह कानून एक क्रांतिकारी कदम था और इसका दोहरा उद्देश्य था। रोशनी एक्ट के तहत तत्कालीन राज्य सरकार का लक्ष्य 20 लाख कनाल सरकारी जमीन अवैध कब्जेदारों के हाथों में सौंपना था, जिसकी एवज में सरकार बाजार भाव से पैसे लेकर 25,000 करोड़ रुपये की कमाई करती।

इस कानून के तहत जम्मू-कश्मीर सरकार ने ऐसी व्यवस्था बनाई थी कि जिसके कब्जे में सरकारी जमीन है वह योजना के तहत आवेदन करके जमीन का स्वामित्व प्राप्त कर सकता है। लेकिन इसके उलट इससे सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण और भी ज्यादा हुआ। नवंबर 2006 में सरकार के अनुमान के मुताबिक 20 लाख कनाल से भी ज्यादा भूमि पर लोगों का अवैध कब्जा था।

साल 2001 में फारूक अब्दुल्ला की सरकार ने जब यह कानून लागू किया तब सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने वालों को मालिकाना हक देने के लिए 1990 को कट ऑफ वर्ष निर्धारित किया गया था। लेकिन, समय के साथ जम्मू-कश्मीर की आने वाली सभी सरकारों ने इस कट ऑफ साल को बदलना शुरू कर दिया। इसके चलते राज्य में सरकारी जमीन की चहेतों को फायदा पहुंचाने की आशंका जताई गई है।

मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल के खंडपीठ ने 9 अक्टूबर को योजना में कथित अनियमितताओं को लेकर सीबीआई जांच का आदेश दिया था और एजेंसी को हर आठ सप्ताह में स्थिति रिपोर्ट दायर करने का निर्देश भी दिया। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बाद में कहा, 'प्रशासन ने उच्च न्यायालय का आदेश लागू करने का निर्णय लिया है जिसमें अदालत ने समय-समय पर संशोधित किए गए जम्मू एवं कश्मीर राज्य भूमि (कब्जाधारी के लिए स्वामित्व का अधिकार) कानून, 2001 को असंवैधानिक करार दिया था।' प्रशासन का दावा है कि योजना के तहत सभी कार्रवाई को रद्द कर छह महीने के अंदर सारी जमीन हासिल करेंगे।

रोशनी एक्ट के खात्मे के बाद अब नए आदेश के तहत राजस्व विभाग एक जनवरी 2001 के आधार पर सरकारी जमीन का ब्योरा एकत्र कर उसे वेबसाइट पर दर्ज करेगा। इसके अलावा सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा करने वालों के नाम भी सार्वजनिक किए जाएंगे। इसमें रोशनी एक्ट के तहत आवेदन प्राप्त होने, जमीन का मूल्यांकन, लाभार्थी की ओर से जमा धनराशि, एक्ट के तहत पारित आदेश का भी ब्योरा देना होगा।

इस कानून को लेकर शेखर गुप्ता का वीडियो देखें



https://www.youtube.com/watch?v=LXa0k8alcC0

 

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