चेन्नई से प्रकाशित अखबार ‘द हिंदू’ के संपादक सुरेश नंबथ ने गत 15 अगस्त को ट्वीट किया, ‘@the_hindu in Hindi; from today, our editorials will be available in Hindi.’ पहली नज़र में लगा कि शायद यह अखबार हिंदी में भी निकलने वाला है। गौर से देखने पर पता लगता है कि फिलहाल तो ऐसा नहीं है। हो सकता है कि ऐसा करने के बारे में विचार किया जा रहा हो। हुआ यह है कि अखबार की वैबसाइट पर संपादकीय के साथ हिंदी का एक पेज और जोड़ दिया गया है। अंग्रेजी अखबार के संपादकीयों का हिंदी अनुवाद भी अब उपलब्ध हैं।
हिंदू की वैबसाइट पर मैंने
इस हिंदी पेज को खोजने की कोशिश की, तो नहीं मिला, पर सुरेश नंबथ ने जो लिंक दिया
है, उसके सहारे आप अब तक प्रकाशित सभी संपादकीयों को पढ़ सकते हैं। सुरेश नंबथ के ट्वीट पर
हिंदी के कुछ पाठकों और पत्रकारों ने काफी दिलचस्पी दिखाई और इसका स्वागत किया। यह
स्वागत इस अंदाज़ में था कि शायद यह अखबार हिंदी में आने वाला है।
हिंदू से
उम्मीदें
ऐसा कभी हो, तो बड़ी
अच्छी बात होगी, क्योंकि इसमें दो राय नहीं कि गुणवत्ता के लिहाज से हिंदू अच्छा
अखबार है। हिंदी अखबारों की गुणवत्ता का, खासतौर से देश-दुनिया से जुड़ी संजीदा
जानकारी का जिस तरह से ह्रास हुआ है, उसके कारण लोगों को हिंदू से उम्मीदें हैं। काफी
लोग उसके वामपंथी झुकाव और राजनीतिक-दृष्टिकोण के मुरीद हैं। पर इन बातों के साथ कई
तरह के किंतु-परंतु जुड़े हैं।
हिंदी में बंगाल के
आनंद बाजार पत्रिका और केरल के मलयाला मनोरमा ग्रुप ने भी प्रवेश करने की कोशिश की
है। आनंद बाजार पत्रिका को प्रिंट में तो सफलता नहीं मिली, पर उनका टीवी चैनल जरूर
एक हद तक सफल हुआ है। हिंदी में हिंदू के प्रकाशन की संभावना का जिक्र होते ही
काफी लोगों का ध्यान गया है। एक जमाने में खबरें आती थीं कि स्टेट्समैन समूह हिंदी
में नागरिक नाम से अखबार निकालना चाहता है। ऐसा हुआ नहीं। पर हिंदी वाले अच्छे और
संजीदा मीडिया का इंतजार करते रहते हैं।
हिंदी-शहरों
में हिंदू
द हिंदू तमिल-जीवन और समाज के भीतर से निकला अखबार है, जिसमें हिंदी के प्रति अनुग्रह बहुत कम है, बल्कि हिंदी-विरोधी स्वर उस क्षेत्र में सबसे तीखे हैं। उसका तमिल-संस्करण भी है। वह दक्षिण की दूसरी भाषाओं को छोड़कर हिंदी-संस्करण क्यों निकालना चाहेगा? वह केरल और तमिलनाडु में सबसे ज्यादा पढ़ा जाता है। विकीपीडिया के अनुसार, इस समय यह भारत के 11 राज्यों के 21 स्थानों से प्रकाशित होता है। इनमें दक्षिण भारत के छोटे-बड़े शहरों के अलावा दिल्ली, मुंबई, कोलकाता वगैरह भी समझ में आते हैं, पर मोहाली, लखनऊ, इलाहाबाद और पटना के नाम पढ़कर हैरत होती है और इसका मतलब भी समझ में आता है।