उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की 11 राज्य सभा सीटों के लिए हुए चुनाव में उत्तर प्रदेश की 10 और उत्तराखंड की एक सीट शामिल थी। भाजपा ने उत्तर प्रदेश में विधानसभा में अपनी सदस्य संख्या के हिसाब से आठ उम्मीदवार उतारे थे। वे सभी चुनकर आए हैं। इनमें तीन केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी, सांसद अरुण सिंह और नीरज शेखर फिर से चुने गए हैं। यूपी के पूर्व डीजीपी ब्रजलाल, हरिद्वार दुबे, गीता शाक्य, सीमा द्विवेदी और बीएल वर्मा भी चुने गए हैं। हरिद्वार दुबे भाजपा के पूर्व मंत्री रहे हैं।
गीता शाक्य पूर्व
प्रदेश मंत्री और सीमा द्विवेदी पूर्व विधायक हैं। सपा ने अपने नेता रामगोपाल यादव
को उतारा था और वे भी चुने गए हैं। एक सीट पर बसपा से रामजी गौतम निर्विरोध चुने
गए हैं। उत्तर प्रदेश से अब उच्च सदन में कांग्रेस के पास एक सांसद रह गया है।
उत्तराखंड की एकमात्र सीट भी भाजपा को मिली है। सभी सदस्यों का कार्यकाल 25 नवंबर 2020 से 24 नवंबर 2026 तक रहेगा। राज्यसभा में उत्तर
प्रदेश से 31 सीटें हैं। इनमें अब सर्वाधिक 22 सीटें अब भारतीय जनता पार्टी के पास हो गई हैं। समाजवादी
पार्टी के पास पांच और बसपा के खाते में तीन सीटें रहेंगी।
लोकसभा में भाजपा
के पास अपना बहुमत है और एनडीए के साथ वह काफी मजबूत है। राज्यसभा में भी वह
लगातार मजबूत होती जा रही है। हालांकि, सदन में एनडीए का बहुमत
नहीं है, लेकिन अन्नाद्रमुक, बीजद, टीआरएस और वाईएसआरसीपी
जैसे दल उसको समर्थन देते हैं, जिससे उसके पक्ष में आसान
बहुमत हो जाता है। 17वीं लोकसभा में सरकार को इसी वजह से राज्यसभा
में कोई दिक्कत नहीं हो रही है, जबकि 16वीं लोकसभा के दौरान कई मुद्दों पर उसे विपक्ष से कड़ी
चुनौती मिली थी।
इन नतीजों के बाद
राज्यसभा में सरकार और मजबूत हुई है। कांग्रेस खुद कम हो रही है और उसके सहयोगी भी
घट रहे हैं। भाजपा के समर्थक दलों और भाजपा एवं कांग्रेस से समान दूरी रखने वाले
दलों की संख्या के सामने विपक्ष की संख्या काफी कम रह जाती है।
No comments:
Post a Comment