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Monday, October 31, 2022

खड़गे के सामने दो मुख्य लक्ष्य: चुनावों में सफलता और सांगठनिक सुधार


मल्लिकार्जुन खड़गे आधिकारिक तौर पर कांग्रेस अध्यक्ष बन गए हैं। अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने अपने पहले संबोधन में कहा है कि उदयपुर-घोषणा के अनुसार अब पार्टी में 50 फीसदी पद 50 साल से कम उम्र के लोगों को देंगे। यह घोषणा जितनी आसान लगती है, उसे लागू करना उतना ही मुश्किल होगा। सोनिया गांधी के नेतृत्व में शीर्ष पर पार्टी के जो नेता हैं, उनमें कोई भी पचास से नीचे का नहीं है। सबसे कम उम्र की हैं प्रियंका गांधी जो 50 साल से कुछ ऊपर हैं। शेष नेता इससे ज्यादा उम्र के हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे स्वयं 80 के हैं।

उनका नेतृत्व मंडल अभी गठित नहीं हुआ है, पर जैसी उन्होंने घोषणा की है, उसे लागू करने का मतलब है कि अब कम से कम आधे नेता एकदम नए होंगे। यह नई ऊर्जा होगी। उसे पुरानों के साथ मिलकर काम करना होगा। खड़गे को दोनों के बीच पटरी बैठानी होगी। खड़गे ने मुश्किल समय में पार्टी की कमान संभाली है। इस समय केवल दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकारें हैं। इसके अलावा झारखंड और तमिलनाडु में पार्टी गठबंधन सरकार में शामिल है, लेकिन मुख्यमंत्री दूसरे दलों के हैं।

बुधवार 26 अक्तूबर को जब उन्होंने कार्यभार संभाला, तब सोनिया गांधी के अलावा राहुल गांधी भी उपस्थित थे, जो अपनी भारत जोड़ो यात्रा को कुछ समय के लिए छोड़कर इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने दिल्ली आए। कांग्रेस शासित दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भूपेश बघेल भी कार्यक्रम में मौजूद थे। प्रियंका गांधी भी।

खड़गे के पास समय भी कम है। 2024 के लोकसभा चुनाव को अब सिर पर ही मानिए। लोकसभा चुनाव के पहले 11 राज्यों के और उसके फौरन बाद के चुनावों को भी जोड़ लें, तो कुल 18 विधानसभाओं के चुनाव होने हैं। इनमें हिमाचल प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, झारखंड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे महत्वपूर्ण राज्य शामिल हैं। हिमाचल और गुजरात के चुनाव तो सामने खड़े हैं और फिर 2023 में उनके गृह राज्य कर्नाटक के चुनाव हैं। अगले साल फरवरी-मार्च में त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड के चुनाव हैं, मई में कर्नाटक के और नवंबर-दिसंबर में मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना के।

Sunday, October 23, 2022

कांग्रेस का आंतरिक लोकतंत्र: उम्मीदें और अंदेशे


मल्लिकार्जुन खड़गे की जीत को लेकर शायद ही किसी को संदेह रहा हो, पर असली सवाल है कि इस चुनाव से कांग्रेस की समस्याओं का समाधान होगा या नहीं? इस सिलसिले में दो तरह की तात्कालिक प्रतिक्रियाएं हैं। पहली यह कि खड़गे ने सिर पर काँटों का ताज पहन लिया है और उनके सामने समस्याओं के पहाड़ हैं, जिनका समाधान गांधी परिवार नहीं कर पाया, तो वे क्या करेंगे? दूसरी तरफ कुछ संजीदा राजनीति-शास्त्री मानते हैं कि यह चुनाव केवल कांग्रेस पार्टी के लिए ही युगांतरकारी साबित नहीं होगा, बल्कि इससे दूसरे दलों के आंतरिक लोकतंत्र की संभावनाएं बढ़ेंगी। फिलहाल कांग्रेस की सारी समस्याओं के समाधान नहीं निकलें, पर पार्टी के पुनरोदय के रास्ते खुलेंगे और एक नई शुरुआत होगी।

अंदेशे और सवाल

करीब 24 साल बाद कांग्रेस की कमान किसी गैर-गांधी के हाथ में आई है। पर जिस बदलाव की आशा पार्टी के भीतर और बाहर से की जा रही है, वह केवल इतनी ही नहीं है। इसे बदलाव का प्रस्थान-बिंदु माना जा सकता है, पर केवल इतना ही, क्योंकि सवाल कई हैं? इस चुनाव का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है हाईकमान से आशीर्वाद प्राप्त प्रत्याशीका होना। उसके पीछे सबसे बड़ा सवाल है कि अब हाईकमान के मायने क्या होंगे? पिछले कुछ वर्षों के घटनाक्रम से यह बात रेखांकित हो रही है कि पार्टी में कोई धुरी नहीं है और है भी तो कमज़ोर है। अब नए अध्यक्ष की भूमिका क्या होगी, कितनी उसकी चलेगी और कितनी परिवार की, जिसे हाईकमान कहा जाता है?  और अध्यक्ष के रहते क्या कोई हाईकमान भी होगी? सबसे बड़ा सवाल है कि गैर-गांधी अध्यक्ष खुद कब तक चलेगा?  बात केवल अध्यक्ष के पदस्थापित होने तक है या पार्टी के भीतर वैचारिक और संगठनात्मक सुधारों की कोई योजना भी है?

चुनौतियों के पहाड़

मल्लिकार्जुन खड़गे के सामने चुनौतियों के पहाड़ हैं और समय कम है। समय से आशय है 2024 का लोकसभा चुनाव। यह बदलाव मई 2019 में राहुल गांधी के इस्तीफे के फौरन बाद हो गया होता, तब भी बात थी। नए अध्यक्ष को अपना काम करने का मौका मिल गया होता। पता नहीं उस स्थिति में भारत जोड़ो यात्रा होती या कुछ और होता। पंजाब में कांग्रेस हारती या नहीं हारती वगैरह-वगैरह। खड़गे के पास अब समय नहीं है। लोकसभा चुनाव के लिए डेढ़ साल का समय बचा है। उसके पहले 11 राज्यों के और उसके फौरन बाद को भी जोड़ लें, तो कुल 18 विधानसभाओं के चुनाव होने हैं, जिनमें हिमाचल प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, झारखंड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे महत्वपूर्ण राज्य शामिल हैं। हिमाचल और गुजरात के चुनाव तो सामने खड़े हैं और फिर 2023 में उनके गृह राज्य कर्नाटक के चुनाव हैं। अगले साल फरवरी-मार्च में त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड के चुनाव हैं, मई में कर्नाटक के और नवंबर-दिसंबर में मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना के। राजस्थान में अशोक गहलोत प्रकरण अभी अनसुलझा है। भले ही खड़गे पार्टी अध्यक्ष हैं, पर कम से कम इस मामले में परिवार की सलाह काम करेगी।

Saturday, August 20, 2022

कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर असमंजस जारी


घोषित कार्यक्रम के अनुसार कांग्रेस के अध्यक्ष पद की चुनाव प्रक्रिया 21 अगस्त से 20 सितंबर के बीच पूरी की जानी है। चुनाव की तारीख कार्यसमिति तय करेगी। अभी तक कार्यसमिति की बैठक का कार्यक्रम तय नहीं है। इस चुनाव में सभी राज्यों के 9,000 से अधिक प्रतिनिधि मतदाता होंगे। मधुसूदन मिस्त्री की अध्यक्षता में पार्टी की चुनाव-समिति ने कहा है कि हम समय पर चुनाव के लिए तैयार हैं। फिर भी लगता नहीं कि चुनाव हो पाएंगे। राज्यों के अध्यक्षों का चुनाव भी 20 अगस्त तक होना था, लेकिन यह प्रक्रिया किसी भी राज्य में पूरी नहीं हुई है।

चुनाव टलते जाने की सबसे बड़ी वजह यह है कि राहुल गांधी फिर से इस पद पर वापसी के लिए तैयार नहीं हैं और पार्टी किसी दूसरे व्यक्ति के नाम को लेकर मन बना नहीं पाई है। पार्टी के वरिष्ठ नेता चाहते हैं कि राहुल गांधी ही इस पद पर आएं या फिर परिवार का कोई दूसरा सदस्य इस पद पर आए। पर राहुल और सोनिया गांधी कई बार कह चुके हैं कि गांधी परिवार से अब कोई अध्यक्ष नहीं बनेगा।

अब सुना जा रहा है कि किसी ऐसे नेता को पार्टी की कमान सौंपने की तैयारी की जा रही है, जो परिवार का विश्वस्त हो। शायद कुछ नेता खुद को दावेदार मानते हैं, पर वे खुलकर नहीं कहते। चुनाव की खुली घोषणा हो, तो नाम सामने आ भी सकते हैं। पर परिवार किसी एक नाम का इशारा करेगा, तो उसपर सहमति बन जाएगी। इस बीच जो नाम निकल कर आ रहे हैं, उनमें अशोक गहलोत, मल्लिकार्जुन खड़गे, मुकुल वासनिक, सुशील कुमार शिंदे, मीरा कुमार, कुमारी शैलजा और केसी वेणुगोपाल शामिल हैं। पर ज्यादातर कयास हैं।  

Monday, May 10, 2021

कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव फिर टला


कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद का चुनाव एक बार फिर टल गया है। कांग्रेस कार्यसमिति की आज 10 मई को हुई वर्चुअल बैठक में महामारी की स्थिति को देखते हुए चुनाव टालने का फैसला किया गया। सूत्रों के मुताबिक, बैठक में कहा गया कि कोरोना महामारी की मौजूदा स्थिति में चुनाव कराना ठीक नहीं होगा और इसलिए इसे स्थगित करने का फैसला लिया गया है। बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोरोना की भयावह स्थिति का हवाला देकर कहा कि ऐसे हालात में फिलहाल चुनाव कराना ठीक नहीं होगा। गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा जैसे नेताओं ने भी गहलोत का समर्थन किया।

पार्टी के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण ने 23 जून को चुनाव कराने का फैसला किया था। संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने आज की बैठक में 23 जून को चुनाव कराने का प्रस्ताव रखा, जिसे कार्यसमिति ने स्वीकार नहीं किया। बैठक में तय हुआ कि चुनाव के लिए नई तारीख की घोषणा सेंट्रल इलेक्शन अथॉरिटी बाद में करेगी। सन 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की हार के बाद मई 2019 में राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद सोनिया गांधी को पार्टी को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया था। उसके दो साल बाद भी पार्टी के अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो सका है। पहले माना जा रहा था कि जून में राहुल गांधी को कांग्रेस की कमान सौंपी जा सकती है।

Friday, January 22, 2021

जून में होगा कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव


कांग्रेस के नए अध्यक्ष का चुनाव अब पांच राज्यों के विधान सभा चुनावों के बाद जून 2021 में होगा। कांग्रेस कार्य समिति की आज (शुक्रवार, 22 जनवरी) हुई बैठक में इसका फैसला किया गया। इससे पहले पार्टी की बैठक में दो गुटों के बीच काफी बहस हुई, जिसमें राहुल गांधी ने भी दखल दिया।

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, "कांग्रेस कार्य समिति फैसला किया है कि जून 2021 में एक नए निर्वाचित कांग्रेस अध्यक्ष होंगे।" इससे पहले समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से जानकारी दी थी कि कांग्रेस संगठन के चुनाव मई में कराए जा सकते हैं। एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से जानकारी दी कि कांग्रेस महासमिति का सत्र 29 मई को आयोजित किया जाएगा।

हालांकि कार्यसमिति ने पार्टी के अध्यक्ष पद के चुनाव की प्रक्रिया शुरू की है, पर अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि कार्यसमिति के चुनाव होंगे या नहीं। पिछले अगस्त में जो पत्र लीक हुआ था, उसमें यह माँग भी थी।