भारत के लिए यह साल बेहद उथल-पुथल
वाला साल रहा। इस साल देश के नाम तीन तरह के संदेश थे। पहला अपनी आर्थिक स्थिति को
सुधारने का। दूसरा, अंतरराष्ट्रीय रिश्तों को ठीक करने का और तीसरा आंतरिक राजनीति
और लोकतंत्र के नाम। तीनों मोर्चों पर जबर्दस्त जद्दो-जहद देखने को मिली। आर्थिक
रूप से इस साल देश ने उदारीकरण की दिशा में दो बड़े फैसले किए। पहला था जीएसटी से
जुड़े संविधान संशोधन को संसद की स्वीकृति। और दूसरा था 8 नवंबर को घोषित
विमुद्रीकरण। दोनों के फायदे आने वाले वर्षों में देखने को मिलेंगे।