हाल में चीन की सबसे बड़ी रियलिटी फर्म एवरग्रैंड के दफ़्तरों के बाहर नाराज़ निवेशकों की भीड़ जमा हो गई। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें भी हुईं। चीनी-व्यवस्था को देखते हुए यह एक नई किस्म की घटना है। जनता का विरोध? अर्थव्यवस्था के रूपांतरण के साथ चीनी समाज और राजनीति में बदलाव आ रहा है। वैश्विक-अर्थव्यवस्था से जुड़ जाने के कारण उसपर वैश्विक गतिविधियों का और चीनी गतिविधियों का वैश्विक-अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ने लगा है। और इसके साथ कुछ सैद्धांतिक प्रश्न खड़े होने लगे हैं, जो भविष्य में चीन की साम्यवादी-व्यवस्था के लिए चुनौती पेश करेंगे।
एवरग्रैंड, चीन में सबसे ज़्यादा देनदारियों के
बोझ से दबी संस्था बन गई है। कम्पनी पर 300 अरब अमेरिकी डॉलर की देनदारी है। कर्ज़
के भारी बोझ ने कम्पनी की क्रेडिट रेटिंग और शेयर भाव ने उसे रसातल पर पहुँचा दिया
है। इसकी तमाम निर्माणाधीन आवासीय इमारतों का काम अधूरा रह गया है। करीब 10 लाख लोगों
में मकान खरीदने के लिए इस कम्पनी को आंशिक-भुगतान कर दिया था।
चीनी समाज में पैसे के निवेश के ज्यादा रास्ते नहीं हैं। बड़ी आबादी के मन में अच्छे से घर का सपना होता है। इस झटके से उन्हें धक्का लगा है। अब चीन सरकार ने घर खरीदने की अनुमति देने के नियमों को कठोर बना दिया है। बहरहाल इस परिघटना से चीनी शेयर बाजार में 9 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है। 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट के बाद चीनी शेयरों में आई यह सबसे बड़ी गिरावट है। इस संकट के झटके दुनिया शेयर बाज़ारों में महसूस किए गए हैं।