राजनीति
यदि समाज के धवल पक्ष को उजागर करती है तो सबसे गंदे पहलू पर भी रोशनी डालती है।
चुनाव में इन दोनों बातों के दर्शन होते हैं। जैसे-जैसे उत्तर प्रदेश के विधानसभा
चुनाव का रथ आगे बढ़ रहा है वैसे-वैसे माहौल में जहर घुल रहा है और नेताओं की
शब्दावली घटिया होती जा रही है। चुनाव प्रचार में प्रतिस्पर्धी पर आरोप लगना
अस्वाभाविक नहीं, पर इसकी आड़ में जैसा जहर जीवन और समाज में घुलने लगा है, वह
खतरनाक सीमा पर पहुँचा जा रहा है।