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Thursday, March 16, 2023

सऊदी-ईरान समझौता और पश्चिम एशिया में चीन की बढ़ती भूमिका

 


देस-परदेश

इस्लामिक देशों में सऊदी अरब और ईरान के बीच पुरानी प्रतिद्वंदिता है. उसके पीछे ऐतिहासिक कारण भी हैं. पिछले कुछ वर्षों से यह इतनी कटु हो गई थी कि दोनों देशों ने आपसी राजनयिक-संबंध भी तोड़ लिए थे. अब ये रिश्ते चीन की मध्यस्थता में फिर से कायम होने जा रहे हैं. इस्लामिक देशों की एकता और सहयोग की दृष्टि से तथा आने वाले समय की वैश्विक-राजनीति की दृष्टि से यह समझौता महत्वपूर्ण साबित होने वाला है.

बेशक दोनों देशों के दूतावास अगले दो महीनों के भीतर काम करने लगेंगे, पर यह सब जितना आसान समझा जा रहा है, उतना आसान भी नहीं है. इसीलिए इसे लागू करने के लिए दो महीने का समय रखा गया है, ताकि सभी जटिलताओं को सुलझा लिया जाए.  

चीन की भूमिका

दोनों देशों के बीच चार दिन की बातचीत के बाद इस बात की घोषणा होने पर पर्यवेक्षकों को हैरत उतनी नहीं हुई, जितनी इसमें चीन की भूमिका को लेकर विस्मय पैदा हुआ है. क्या चीन अब वैश्विक-डिप्लोमेसी में ज्यादा बड़ी भूमिका निभाने जा रहा है? चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने इसे चीन के ग्लोबल सिक्योरिटी इनीशिएटिव (जीएसआई) की देन बताया है.

पिछले सात दशकों से पश्चिम एशिया में अमेरिका ही सबसे बड़ी भूमिका निभाता रहा है. यह पहला मौका है, जब इस भूमिका में चीन सामने आया है. ऐसी बैठक कराने में अमेरिका सबसे समर्थ है, पर ईरान के साथ उसके रिश्ते अच्छे नहीं हैं. फिर भी पश्चिमी पर्यवेक्षक मानते हैं कि संबंध-सुधार की इस प्रक्रिया के पीछे भी अमेरिकी सहमति है, क्योंकि वह पश्चिम एशिया में इसरायल-फलस्तीन झगड़े का निपटारा कराने के लिए ज़मीन तैयार कर रहा है.

 

अमेरिकी रज़ामंदी

अमेरिका ने समझौते का स्वागत किया है. ह्वाइट हाउस की प्रवक्ता केरिन जीन-पियरे ने कहा कि यमन में युद्ध रोकने की किसी भी कोशिश का अमेरिका समर्थन करता है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति बाइडन ने जुलाई में इस इलाक़े में तनाव कम करने की कोशिश और राजनयिक रिश्तों को मज़बूत करने के कदमों को अमेरिकी विदेश नीति की बुनियाद बताया था. खाड़ी क्षेत्र में तनाव कम करना अमेरिका की प्राथमिकता है हम इस समझौते का समर्थन करते हैं.

दूसरे नज़रिए से देखें, तो यह परिघटना अमेरिका को परेशान करने वाली होनी चाहिए, क्योंकि इससे ईरान को अलग-थलग करने की उसकी कोशिश को धक्का लगेगा. इसके पीछे कौन सी ताकत है और किसकी क्या भूमिका है, इसे स्पष्ट होने में भी कुछ समय लगेगा.

कड़वाहट की वज़ह

2016 में प्रतिष्ठित शिया धर्म गुरु निम्र अल-निम्र सहित 47 लोगों को आतंकवाद के आरोपों में सऊदी अरब में फाँसी दिए जाने के बाद ईरान और सऊदी रिश्ते खराब हो गए. इसके कारण जब भीड़ ने तेहरान स्थित सऊदी दूतावास पर हमला बोला, तो राजनयिक रिश्ते भी टूट गए. इसके बाद रिश्ते बिगड़ते ही गए और 2019 ईरान में बने ड्रोनों ने जब सऊदी तोल-शोधक कारखानों पर हमले किए तो और बिगड़ गए.

इन दोनों देशों की प्रतिद्वंदिता का असर लेबनान, सीरिया, इराक़ और यमन समेत पश्चिम एशिया के कई देशों और समाजों पर पड़ रहा है. इस इलाके में चल रहे सशस्त्र-आंदोलनों में इन देशों के समर्थन से सक्रिय गुटों की भूमिका है. अभी तक अमेरिका और इसरायल की इन रिश्तों को बनाने और बिगाड़ने में भूमिका थी, पर पिछले कुछ समय से चीन और रूस की गतिविधियाँ भी इस इलाके में बढ़ी हैं. इस लिहाज से ताज़ा घटनाक्रम महत्वपूर्ण है.

प्रयासों की पृष्ठभूमि

गत 10 मार्च को ईरान की सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के सेक्रेटरी अली शमखानी और सऊदी सुरक्षा सलाहकार मुसाद बिन मुहम्मद अल-ऐबान की बैठक अप्रत्याशित घटना नहीं थी, क्योंकि पिछले कुछ समय से ऐसी खबरें हवा में हैं कि दोनों के बीच अनौपचारिक स्तर पर बातचीत होने लगी है. हैरत इस बैठक के स्थान को लेकर है, जो पश्चिम एशिया के किसी देश में न होकर चीन में था, जिसकी अब तक पश्चिम की राजनीति में बड़ी भूमिका नहीं थी.

Tuesday, April 20, 2021

ईरान और सऊदी वार्ता से पश्चिम एशिया में माहौल सुधरने की सम्भावना

 


पश्चिम एशिया में दो परम्परागत प्रतिस्पर्धी सऊदी अरब और ईरान के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच करीब पाँच साल बाद पहली बार सीधी बात हुई है। बताया जा रहा है कि इराक की राजधानी बग़दाद में हुई इस बैठक में दोनों देशों के बीच रिश्तों को सामान्य बनाने पर विमर्श हुआ। दोनों देशों ने करीब पाँच साल पहले अपने राजनयिक रिश्ते तोड़ लिए थे।

फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक बग़दाद में इसी महीने हुई इस बैठक में लंबे अंतराल के बाद पहली बार गंभीर बातचीत हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक़ सऊदी अरब की ओर से इस वार्ता का नेतृत्‍व खुफिया प्रमुख खालिद बिन अली अल हुमैदान ने किया। बातचीत की पहल इराक के प्रधानमंत्री मुस्तफा अल क़दीमी ने की है। इस खुफिया बैठक के बारे में सऊदी अरब ने कोई टिप्पणी नहीं की है। ईरानी वैबसाइट पार्सटुडे ने फाइनेंशियल टाइम्स का हवाला देते हुए इस खबर को प्रकाशित जरूर किया है, पर ईरान सरकार ने फौरन कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी।

बाद में इसी वैबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में ईरान के विदेश विभाग के प्रवक्ता सईद ख़तीबज़ादे ने कहा कि ईरान और सऊदी अरब के मध्य वार्ता दोनों देशों के लोगों के हित में है और वह क्षेत्रीय शांति व सुरक्षा में मददगार बनेगी। उन्होंने इराक़ में ईरान और सऊदी अरब की वार्ता की रिपोर्टों के बारे में कहा कि हमने संचार माध्यमों में देखा कि इस बारे में विरोधाभासी ख़बरें प्रकाशित हुई हैं। सऊदी अरब के साथ वार्ता का ईरान स्वागत करता है और यह चीज़ दोनों देशों के लोगों के हित में है।

इराकी पहल

इराक़ी प्रधान मंत्री अल-काज़मी ने सऊदी शाह सलमान के निमंत्रण पर पिछले महीने रियाज़ का दौरा किया था, जहां इस वार्ता का ख़ाका तैयार किया गया था। इस रिपोर्ट में एक इराक़ी अधिकारी के हवाले से उल्लेख किया गया है कि बग़दाद ने ईरान-मिस्र और ईरान-जॉर्डन के बीच संपर्क का एक चैनल स्थापित किया है। हाल में सऊदी विदेश मंत्री ने कहा था कि विश्वास बढ़ाने के लिए खाड़ी के अरब देशों से वार्ता हो सकती है। इस रिपोर्ट में एक इराक़ी अधिकारी के हवाले से उल्लेख किया गया है कि बग़दाद ने ईरान-मिस्र और ईरान-जॉर्डन के बीच संपर्क का एक चैनल स्थापित किया है।