Showing posts with label एबीपी चैनल. Show all posts
Showing posts with label एबीपी चैनल. Show all posts

Saturday, October 9, 2021

एबीपी- सी-वोटर चुनाव-पूर्व सर्वे


एबीपी ने शुक्रवार की शाम उत्तर प्रदेश, पंजाब और गोवा समेत पांच चुनावी राज्यों की सम्भावनाओं पर सी-वोटर के सर्वेक्षण को प्रसारित किया। सर्वेक्षण के अनुसार यूपी चुनाव में सबसे ज्यादा सीटों के साथ बीजेपी फिर सरकार बना सकती है। सी-वोटर का दावा है कि इस सर्वे में 98 हजार से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया। सर्वे 4 सितंबर  से 4 अक्तूबर के बीच किया गया। इसमें मार्जिन ऑफ एरर प्लस माइनस तीन से प्लस माइनस पांच फीसदी है।

सर्वेक्षण के अनुसार उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खाते में 241 से 249 सीटें जा सकती है। समाजवादी पार्टी के हिस्से में 130 से 138 सीटें आएंगी, बीएसपी 15 से 19 के बीच और कांग्रेस 3 से 7 सीटों के बीच सिमट सकती है।  सर्वे के मुताबिक, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 41 फीसदी, समाजवादी पार्टी को 32 फीसदी, बहुजन समाज पार्टी को 15 फीसदी, कांग्रेस को 6 फीसदी और अन्य के खाते में 6 फीसदी वोट जा सकते हैं।

माहौल बनाने की कोशिश

इस सर्वेक्षण के आधार पर उत्तर प्रदेश से जुड़े नतीजों को जब मैंने फेसबुक पर डाला, तो तीन तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आईं। कुछ लोगों ने इसे सही बताया और कहा कि बीजेपी इससे भी बेहतर प्रदर्शन करेगी। इसके विपरीत कुछ लोगों का कहना था कि जैसा बंगाल में हुआ बीजेपी बुरी तरह हारेगी। आमतौर पर ऐसा होता भी है।

कुछ लोगों का कहना था कि गोदी मीडिया की तरफ से यह सर्वे बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने के लिए है। एक ने लिखा कि यह सर्वे सी-वोटर ने किया है, इससे आप खुद निष्कर्ष निकाल लीजिए। यह सच है कि सी-वोटर के संचालक यशवंत देशमुख का परिवार अर्से से बीजेपी के साथ जुड़ा रहा है, पर हाल में बंगाल में हुए चुनाव के पहले हुए सर्वे में सी-वोटर उन कुछ सर्वेक्षकों में शामिल था, जो तृणमूल की विजय सुनिश्चित कर रहे थे। जबकि काफी सर्वे बीजेपी को जिता रहे थे।

सी-वोटर ने बंगाल के चुनाव में टाइम्स नाउ के लिए चुनाव-पूर्व सर्वे और एबीपी के लिए एग्जिट पोल किया था। बहरहाल चुनाव-पूर्व सर्वेक्षणों और एग्जिट पोल की साख हमारे देश में काफी कम है। एग्जिट पोल को कुछ हद तक मान भी लिया जाता है, पर चुनाव-पूर्व सर्वेक्षणों पर कोई विश्वास नहीं करता। बहरहाल उत्तर प्रदेश को लेकर कई तरह के कयास हैं। चुनाव अभी चार-पाँच महीने दूर हैं, इसलिए कोई निर्णायक बात अभी नहीं कही जा सकती है। इस सर्वेक्षण के नतीजों को याद रखा जाना चाहिए, और परिणाम आने के बाद मिलान करना चाहिए।

एबीपी की साख

एबीपी चैनल कोलकाता के आनन्द बाजार पत्रिका समूह से जुड़ा है, जिसका अंग्रेजी अखबार मोदी-विरोधी कवरेज के लिए प्रसिद्ध है। अलबत्ता हिन्दी चैनल को लेकर प्रेक्षकों की राय अलग है। सन 2018 में एबीपी न्यूज चैनल के तीन वरिष्ठ सदस्यों को इस्तीफे देने पड़े। इन तीन में से पुण्य प्रसून वाजपेयी ने बाद में एक वैबसाइट में लेख लिखा, जिसमें उस घटनाक्रम का विस्तार से विवरण दिया, जिसमें उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इस विवरण में एबीपी न्यूज़ के प्रोपराइटर के साथ, जो एडिटर-इन-चीफ भी हैं उनके एक संवाद के कुछ अंश भी थे।

संवाद का निष्कर्ष था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की व्यक्तिगत आलोचना से उन्हें बचना चाहिए। इस सिलसिले में ज्यादातर बातें पुण्य प्रसून की ओर से या उनके पक्षधरों की ओर से सामने आई थीं। चैनल के मालिकों और प्रबंधकों ने कोई स्पष्टीकरण जारी नहीं किया।