पंकज श्रीवास्तव की बर्खास्तगी के बाद मीडिया की नौकरी और कवरेज को लेकर कुछ सवाल उठेंगे। ये सवाल एकतरफा नहीं हैं। पहला सवाल यह है कि मीडिया हाउसों की कवरेज कितनी स्वतंत्र और निष्पक्ष है? दूसरा यह कि किसी पत्रकार की सेवा किस हद तक सुरक्षित है? तीसरा यह कि सम्पादकीय विभाग के कवरेज से जुड़े निर्णय किस आधार पर होते हैं? यह भी पत्रकार के व्यक्तिगत आग्रहों और चैनल की नीतियों में टकराव होने पर क्या होना चाहिए? संयोग से इसी चैनल के एक पुराने एंकर आम आदमी पार्टी में शामिल हुए और लोकसभा चुनाव भी लड़ा। पंकज श्रीवास्तव ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है कि वे राजनीति में आना चाहते हैं। वे मानते है कि उनके चैनल की कवरेज असंतुलित है। चैनल क्या इस बात को जानता नहीं? बेशक वह सायास झुकाव के लिए भी स्वतंत्र है। चैनलो से उम्मीद की जाती है कि वे तटस्थ होकर काम करेंगे। पर क्या यह तटस्थता व्यावहारिक रूप से सम्भव है? खासतौर से तब जब पत्रकार की अपनी राजनीतिक धारणाएं हैं और दूसरी ओर चैनल के व्यावसायिक हित हैं।