Wednesday, June 30, 2021

पंजाब में कांग्रेस आत्मघात की ओर


सम्भव है कि कांग्रेस के पास भविष्य की कोई रणनीति हो, पर वह कम से कम मुझे नजर नहीं आ रही है। पंजाब में जिस तरीके से नवजोत सिंह सिद्धू को स्थापित करने की कोशिश की जा रही है और उसका प्रचार भी जोर-शोर से किया जा रहा है, उससे नेतृत्व की नासमझी ही दिखाई पड़ रही है। वह भी चुनाव के ठीक पहले। पार्टी यदि सिद्धू के नेतृत्व में चुनाव लड़ना चाहती है, तो उसे इसे स्पष्ट करना चाहिए और खुलकर सामने आना चाहिए। इस तरीके से तो न तो कैप्टेन अमरिंदर सिंह का भला होगा और न सिद्धू को कुछ मिलेगा। हाँ, यह हो सकता है कि यह पंछी उड़कर किसी और जहाज पर जाकर न बैठ जाए।

कुछ दिन पहले अमरिंदर सिंह दिल्ली आए और दो दिन यहाँ रहे। उनकी मुलाकात गांधी परिवार के किसी से नहीं हो पाई, तो उसमें विस्मय की बात नहीं थी। पर सिद्धू के साथ 30 जून को पहले प्रियंका गांधी के साथ और शाम को राहुल गांधी के साथ हुई मुलाकातें और फिर उसका प्रचार साफ बता रहा है कि हाईकमान के सोच की दिशा क्या है। हाल में पार्टी की तरफ से पार्टी के पंजाब प्रभारी हरीश रावत ने कहा था कि पार्टी अध्यक्ष जुलाई के पहले या दूसरे हफ्ते तक इस मामले में कोई फैसला करेंगी। अलबत्ता पार्टी ने मुख्यमंत्री से 18 मामलों पर काम करने को कहा है। मुख्यमंत्री इस विषय पर प्रेस कांफ्रेंस करके जानकारी देंगे।

Monday, June 28, 2021

कोरोना के इलाज में ‘एंटीबॉडी-कॉकटेल’ से उम्मीदें

कोविड-19 के मोर्चे से मिली-जुली सफलता की खबरें हैं। जहाँ इसकी दूसरी लहर उतार पर है, वहीं तीसरी का खतरा सिर पर है। दूसरे, दुनिया में टीकाकरण की प्रक्रिया तेज है रही है। और तीसरे, मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल के रूप में एक उल्लेखनीय दवाई सामने आई है। ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विवि में हुए क्लिनिकल परीक्षणों में रिजेन-कोव2 नाम की औषधि ने कोविड-19 संक्रमित मरीजों के इलाज में अच्छी सफलता हासिल की है। यह मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल है, जो इसके पहले कैंसर, एबोला और एचआईवी के इलाज में भी सफल हुई हैं। पिछले साल जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कोरोना हुआ, तब उन्हें भी यह दवा दी गई थी।

यह दवा नहीं रोग-प्रतिरोधक है, जो शरीर का अपना गुण है, पर किसी कारण से जो रोगी कोविड-19 का मुकाबला कर नहीं पा रहे हैं, उन्हें इसे कृत्रिम रूप से देकर असर देखा जा रहा है। इसकी तुलना प्लाज़्मा थिरैपी से भी की जा सकती है। परीक्षण अभी चल ही रहे हैं। यह तय भी होना है कि यह दवा मरीजों के किस तबके के लिए उपयोगी है। पिछले साल इसी किस्म के परीक्षणों में ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने डेक्सामैथासोन (स्टीरॉयड) को उपयोगी पाया था।

कॉकटेल क्यों?

अमेरिकी फार्मास्युटिकल कम्पनी रिजेनेरॉन की रिजेन-कोवमें दो तरह की एंटीबॉडी 'कैसिरिविमैब' और 'इमडेविमैब' का कॉम्बीनेशन है। ये एंटीबॉडी शरीर में रोगाणु को घेरती है। दो किस्म की एंटीबॉडी का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है, ताकि वायरस किसी एक की प्रतिरोधी क्षमता विकसित करने न पाए। पिछले एक साल में इस दवाई की उपयोगिता तो काफी हद तक साबित हुई है, पर इसका व्यापक स्तर पर इस्तेमाल अभी शुरू नहीं हुआ है।

Sunday, June 27, 2021

कश्मीर से सकारात्मक-संदेश


इस हफ्ते 24 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कश्मीरी नेताओं की वार्ता ने न केवल जम्मू-कश्मीर में बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता की सम्भावनाओं का द्वार खोला है। इस बातचीत के सही परिणाम मिलेंगे या नहीं, यह भी कहना मुश्किल है, पर कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के शब्दों में यह सही दिशा में उठाया गया कदम है। कश्मीर में लोकतांत्रिक-प्रक्रिया की प्रक्रिया शुरू होने के साथ दूसरी प्रक्रियाएं शुरू होंगी, जिनसे हालात को सामान्य बनाने का मौका मिलेगा। इनमें सांस्कृतिक, शैक्षिक और सामाजिक गतिविधियाँ शामिल हैं।

पहले परिसीमन

सरकार ने जो रोडमैप दिया है उसके अनुसार राज्य में पहले परिसीमन, फिर चुनाव और उसके बाद पूर्ण राज्य का दर्जा देने की प्रक्रिया होगी। पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा था कि राज्य में परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद चुनाव होंगे। उसके पहले अगस्त 2019 में गृहमंत्री अमित साह ने संसद में कहा था कि समय आने पर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा। वस्तुतः यह कश्मीर के नव-निर्माण की प्रक्रिया है।

सन 2019 में संसद से जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक के पारित होने के बाद मार्च 2020 में परिसीमन आयोग का गठन किया गया था। इस आयोग को रिपोर्ट सौंपने के लिए एक साल का समय दिया गया था, जिसे इस साल मार्च में एक साल के लिए बढ़ा दिया गया है। 6 मार्च, 2020 को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में आयोग का गठन किया था।

प्रधानमंत्री के साथ बातचीत का सबसे बड़ा सकारात्मक पहलू यह है कि पूरी बातचीत में बदमज़गी पैदा नहीं हुई। बैठक में राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्री ऐसे थे, जो 221 दिन से 436 दिन तक कैद में रहे। उनके मन में कड़वाहट जरूर होगी। वह कड़वाहट इस बैठक में दिखाई नहीं पड़ी। बेशक बर्फ पिघली जरूर है, पर आगे का रास्ता आसान नहीं है।

Friday, June 25, 2021

जम्मू-कश्मीर में अब तेज होगी चुनाव-क्षेत्रों के परिसीमन की व्यवस्था


कश्मीर में पहले परिसीमन, फिर चुनाव और पूर्ण राज्य का दर्जा। सरकार ने अपना रोडमैप स्पष्ट कर दिया है। संसद में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक के पारित होने के बाद मार्च  2020 में परिसीमन आयोग का गठन किया गया था। इस आयोग को रिपोर्ट सौंपने के लिए एक साल का समय दिया गया था, जिसे इस साल मार्च में एक साल के लिए बढ़ा दिया गया है।

पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा था कि राज्य में परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद चुनाव होंगे। 6 मार्च, 2020 को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में आयोग का गठन किया। जस्टिस देसाई के अलावा चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा और जम्मू-कश्मीर राज्य के चुनाव आयुक्त केके शर्मा आयोग के सदस्य हैं। इसके अलावा आयोग के पाँच सहायक सदस्य भी हैं, जिनके नाम हैं नेशनल कांफ्रेंस के सांसद फारूक अब्दुल्ला, मोहम्मद अकबर लोन और हसनैन मसूदी। ये तीनों अभी तक आयोग की बैठकों में शामिल होने से इनकार करते रहे हैं। अब आशा है कि ये शामिल होंगे। इनके अलावा पीएमओ के राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह और भाजपा के जुगल किशोर शर्मा के नाम हैं।

इस आयोग को एक साल के भीतर अपना काम पूरा करना था, जो इस साल मार्च में एक साल के लिए बढ़ा दिया गया है। कोरोना के कारण आयोग निर्धारित समयावधि में अपना काम पूरा नहीं कर पाया। यदि लद्दाख की चार सीटों को अलग कर दें, तो पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र की सीटों को मिलाकर इस समय की कुल संख्या 107 बनती है, जो जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के अंतर्गत 111 हो जाएगी। बढ़ी हुई सीटों का लाभ जम्मू क्षेत्र को मिलेगा।  

दक्षिण एशिया में शांति और विकास की राह भी कश्मीर से होकर गुजरेगी


 अच्छी बात यह है कि गुरुवार को प्रधानमंत्री के साथ कश्मीरी नेताओं की बातचीत में बदमज़गी नहीं थी। इस बैठक में राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्री ऐसे थे, जो 221 दिन से 436 दिन तक कैद में रहे। उनके मन में कड़वाहट जरूर होगी। वह कड़वाहट इस बैठक में दिखाई नहीं पड़ी। बेशक इससे बर्फ पिघली जरूर है, पर आगे का रास्ता आसान नहीं है।

इस बातचीत पहले देश के प्रधानमंत्री के साथ कश्मीरी नेताओं की वार्ता का एक उदाहरण और है। 23 जनवरी 2004 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ कश्मीर के (हुर्रियत के) अलगाववादी नेताओं की बात हुई थी। तत्कालीन उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने उन्हें बुलाया था। उस बातचीत के नौ महीने पहले अटल जी ने श्रीनगर की एक सभा में इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत का संदेश दिया था।

पाकिस्तान की कश्मीर-योजना

तब में और अब में परिस्थितियों में गुणात्मक परिवर्तन आया है। कश्मीरी मुख्यधारा की राजनीति के सामने भी अस्तित्व का संकट है और दिल्ली में जो सरकार है, वह कड़े फैसले करने को तैयार हैं। दोनों पक्षों के पास टकराव का एक अनुभव है। समझदारी इस बात में है कि दोनों अब आगे का रास्ता समझदारी के साथ तय करें। हालात को सुधारने में पाकिस्तान की भूमिका भी है। भारत-द्वेष की कीमत भी उन्हें चुकानी होगी। सन 1965 के बाद से पाकिस्तान ने कश्मीर को जबरन हथियाने का जो कार्यक्रम शुरू किया है, उसकी वजह से उसकी अर्थव्यवस्था रसातल में पहुँच गई है।

भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और म्यांमार यदि एक प्लेटफॉर्म पर आकर आर्थिक सहयोग करें तो यह क्षेत्र चीन की तुलना में कहीं ज्यादा तेजी से विकास कर सकता है। यह सपना है, जो आसानी से साकार हो सकता है। इसके लिए सभी पक्षों को समझदारी से काम करना होगा।

एकीकरण की जरूरत

गत 18 फरवरी को नरेंद्र मोदी ने चिकित्सा आपात स्थिति के दौरान दक्षिण एशिया और हिंद महासागर क्षेत्र के देशों के बीच डॉक्टरों, नर्सों और एयर एंबुलेंस की निर्बाध आवाजाही के लिए क्षेत्रीय सहयोग योजना के संदर्भ में कहा था कि 21 वीं सदी को एशिया की सदी बनाने के लिए अधिक एकीकरण महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान सहित 10 पड़ोसी देशों के साथ ‘कोविड-19 प्रबंधन, अनुभव और आगे बढ़ने का रास्ता’ विषय पर एक कार्यशाला में उन्होंने यह बात कही। इस बैठक में मौजूद पाकिस्तानी प्रतिनिधि ने भारत के रुख का समर्थन किया। बैठक में यह भी कहा गया कि ‘अति-राष्ट्रवादी मानसिकता मदद नहीं करेगी।’ पाकिस्तान ने कहा कि वह इस मुद्दे पर किसी भी क्षेत्रीय सहयोग का हिस्सा होगा।

मोदी ने कहा, महामारी के दौरान देखी गई क्षेत्रीय एकजुटता की भावना ने साबित कर दिया है कि इस तरह का एकीकरण संभव है। कई विशेषज्ञों ने घनी आबादी वाले एशियाई क्षेत्र और इसकी आबादी पर महामारी के प्रभाव के बारे में विशेष चिंता व्यक्त की थी, लेकिन हम एक समन्वित प्रतिक्रिया के साथ इस चुनौती सामना कर रहे हैं। इस बैठक और इस बयान के साथ पाकिस्तानी प्रतिक्रिया पर गौर करना बहुत जरूरी है। कोविड-19 का सामना करने के लिए भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी इन दिनों खासतौर से चर्चा का विषय है। इस वक्तव्य के एक हफ्ते बाद 25 फरवरी को भारत और पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पर युद्धविराम की घोषणा की।

Thursday, June 24, 2021

परिसीमन के बाद होंगे कश्मीर में चुनाव

 


प्रधानमंत्री के साथ कश्मीरी नेताओं की करीब तीन घंटे तक चली वार्ता सम्पन्न हो गई है। हालांकि अभी सरकारी ब्रीफिंग नहीं हुई है, पर बातचीत से बाहर निकले कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद ने बताया कि बातचीत ने हमारी तरफ से पाँच बातें रखी गईं। राज्य का दर्जा जल्द बहाल हो, विधान सभा चुनाव कराए जाएं, कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी हो, सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा किया जाए और स्थायी निवास को बनाए रखा जाए।

जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के नेता अल्ताफ बुखारी ने बैठक के बाद कहा, बातचीत बड़े अच्छे माहौल में हुई। प्रधानमंत्री ने सभी नेताओं के मुद्दे सुने। पीएम ने कहा कि परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद चुनाव को लेकर प्रक्रिया शुरू की जाएगी। गुलाम नबी ने बताया कि बैठक में सभी नेताओं को किसी भी विषय पर, कितना भी बोलने की छूट थी। पहले प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने अपनी बात रखी।

आजाद के मुताबिक, सरकार ने कोविड को चुनावों में देरी की वजह बताया। बैठक में शामिल बीजेपी नेता कवींद्र गुप्ता ने बताया कि पीडीपी (पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी) की नेता महबूबा मुफ्ती ने बैठक के दौरान पाकिस्तान का नाम लिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ व्यापार जारी रहना चाहिए।

उधर सरकारी सूत्रों का कहना है कि हम सभी मसलों पर विचार-विमर्श के लिए तैयार हैं। फिलहाल हम चुनाव क्षेत्रों के परिसीमन का काम पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि चुनाव कराए जा सकें। परिसीमन का काम पूरा होने के बाद जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराए जाएंगे। गृहमंत्री ने कहा कि पूरी प्रक्रिया के तहत पूर्ण राज्य का दर्जा भी बहाल किया जाएगा।

पंजाब में कांग्रेस का संशय


कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह से 18 चुनावी वायदों को एक समय-सीमा में पूरा करने को कहा है। वायदों को पूरा करने के निर्देश में कुछ गलत नहीं है, पर इस बात की सार्वजनिक घोषणा के मायने हैं। दूसरे अमरिंदर सिंह दिल्ली आए, दो दिन रहे और सोनिया गांधी या राहुल गांधी से उन्हें मिलने का अवसर नहीं मिला। बुधवार को राहुल गांधी ने हरीश रावत, पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़, सांसदों मनीष तिवारी और प्रताप सिंह बाजवा, राज्य के वित्तमंत्री मनप्रीत बादल और विधायक इंदरबीर बुलारिया से मुलाकात की।

ऐसा लगता है कि पार्टी हाईकमान पंजाब को लेकर सक्रिय जरूर है, पर समाधान आसान नहीं है। कैप्टेन की अनदेखी नहीं हो सकती और सिद्धू की महत्वाकांक्षाओं को रोका नहीं जा सकता। दूसरी तरफ राजस्थान में सचिन पायलट के खेमे की सुनवाई उस स्तर पर नहीं हो रही है, जिस स्तर पर नवजोत सिद्धू खेमे की है। सिद्धू प्रदेश के पार्टी अध्यक्ष बनना चाहते हैं, ताकि अगले चुनाव में ज्यादा से ज्यादा विधायक उनके समर्थक हों। पर वे बाहर से पार्टी में आए हैं और संगठन में मामूली पैठ और सीमित जानकारी ही उनके पास है। यह स्पष्ट है कि वे राहुल गांधी के सम्पर्क से पार्टी में आए हैं और उनका वह बयान प्रसिद्ध है, जिसमें उन्होंने कहा था, कौन कैप्टेन, मेरे कैप्टेन राहुल गांधी हैं।

पार्टी के पंजाब प्रभारी हरीश रावत ने कहा है कि पार्टी अध्यक्ष जुलाई के पहले या दूसरे हफ्ते तक इस मामले में कोई फैसला करेंगी। अलबत्ता पार्टी ने मुख्यमंत्री से 18 मामलों पर काम करने को कहा है। मुख्यमंत्री इस विषय पर प्रेस कांफ्रेंस करके जानकारी देंगे। दूसरी तरफ हाईकमान ने सिद्धू के हाल के बयानों को लेकर भी अपनी अप्रसन्नता व्यक्त की है। मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में बनी तीन सदस्यीय समिति ने सिद्धू को दिल्ली बुलाया है और अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।

सूत्रों के मुताबिक हाईकमान ने माना है कि सिद्धू को किसी भी तरह के मतभेद की बात पार्टी फोरम में ही रखनी चाहिए थी पार्टी के पैनल ने अमरिंदर सिंह को ही 2022 के विधानसभा चुनावों के लिए कैप्टन बनाए रखने पर सहमति जताई है और उन्हें टीम चुनने के लिए फ्री-हैंड दिया है।

Wednesday, June 23, 2021

24 की बैठक में स्पष्ट होगा घाटी की मुख्यधारा राजनीति का नजरिया


प्रधानमंत्री के साथ 24 जून को जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक नेताओं की प्रस्तावित बैठक के निहितार्थ क्या हैं? क्यों यह बैठक बुलाई गई है? कश्मीर की जनता इसे किस रूप में देखती है और वहाँ के राजनीतिक दल क्या चाहते हैं? ऐसे कई सवाल मन में आते हैं। इस लिहाज से 24 की बैठक काफी महत्वपूर्ण है। पहली बार प्रधानमंत्री कश्मीर की घाटी के नेताओं से रूबरू होंगे। दोनों पक्ष अपनी बात कहेंगे। सरकार बताएगी कि 370 और 35ए की वापसी अब सम्भव नहीं है। साथ ही यह भी भविष्य का रास्ता यह है। सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को यह भी कहा था कि भविष्य में जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य बनाया जाएगा। सवाल है कि ऐसा कब होगा और यह भी कि वहाँ चुनाव कब होंगे

इस सिलसिले में महत्‍वपूर्ण यह भी है कि फारुक़ अब्दुल्ला के साथ-साथ महबूबा मुफ्ती भी इस बैठक में शामिल हो रही हैं। पहले यह माना जा रहा था कि वे फारुक़ अब्दुल्ला को अधिकृत कर देंगी। श्रीनगर में मंगलवार को हुई बैठक में गठबंधन से जुड़े पाँचों दल बैठक में आए। ये दल हैं नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी, माकपा, अवामी नेशनल कांफ्रेंस और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट। हमें नहीं भूलना चाहिए कि ये अलगाववादी पार्टियाँ नहीं हैं और भारतीय संविधान को स्वीकार करती हैं। 

पाकिस्तान में कुछ लोग मान रहे हैं कि मोदी सरकार को अपने कड़े रुख से पीछे हटना पड़ा है। यह उनकी गलतफहमी है। पाकिस्तान की सरकार और वहाँ की सेना के बीच से अंतर्विरोधी बातें सुनाई पड़ रही हैं। पर हमारे लिए ज्यादा महत्वपूर्ण कश्मीरी राजनीतिक दल हैं। उन्हें भी वास्तविकता को समझना होगा। इन दलों का अनुमान है कि भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय बिरादरी को यह जताना चाहती है कि हम लोकतांत्रिक-व्यवस्था को पुष्ट करने का प्रयास कर रहे हैं।

इंडियन एक्सप्रेस ने कश्मीरी राजनेताओं से इन सवालों पर बातचीत की है। गुपकार गठबंधन से जुड़े नेताओं को उधृत करते हुए अखबार ने लिखा है कि श्रीनगर में धारणा यह है कि इस वक्त आंतरिक रूप से तत्काल कुछ ऐसा नहीं हुआ है, जिससे इस बैठक को जोड़ा जा सके। केंद्र सरकार के सामने असहमतियों का कोई मतलब नहीं है। जिसने असहमति व्यक्त की वह जेल में गया।

एक कश्मीरी राजनेता ने अपना नाम को प्रकाशित न करने का अनुरोध करते हुए कहा कि 5 अगस्त, 2019 के बाद से जो कुछ भी बदला है, वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है। चीन ने (गलवान और उसके बाद के घटनाक्रम को देखते हुए) इस मसले में प्रवेश किया है। अमेरिका में प्रशासन बदला है। उसकी सेनाएं अब अफगानिस्तान से हट रही हैं और सम्भावना है कि तालिबान की काबुल में वापसी होगी। अमेरिका को फिर भी पाकिस्तान में अपनी मजबूत उपस्थिति की दरकार है। इन सब बातों के लिए वह दक्षिण एशिया में शांत-माहौल चाहता है। जम्मू-कश्मीर में जो होगा, उसके व्यापक निहितार्थ हैं।

Tuesday, June 22, 2021

आज की बैठक के पीछे हैं एनसीपी और तृणमूल की चुनावी महत्वाकांक्षाएं

 


नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार तृणमूल कांग्रेस के यशवंत सिन्हा की पहल पर आज दिल्ली में बुलाई गई बीजेपी-विरोधी बैठक में कांग्रेस और वामदलों के शामिल होने की सम्भावनाएं कम हैं। इस बैठक के पहले सुबह एनसीपी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक भी होने जा रही है। दूसरी तरफ कश्मीर को लेकर प्रधानमंत्री द्वारा 24 जून को बुलाई गई बैठक के सिलसिले में गुपकार समूह की बैठक भी आज हो रही है।

यशवंत सिन्हा ने इस बैठक की खबर को मीडिया में मिले महत्व पर हैरत जाहिर की है। उनके विचार से यह मामूली बैठक है। इसके पहले राष्ट्र मंच की बैठकों पर कोई ध्यान नहीं देता था। यह बैठक शरद पवार के घर पर नहीं हुई होती, तो शायद इसबार भी इसपर ध्यान नहीं जाता। और बैठक हो रही है, तो कुछ बातें भी होंगी। बहरहाल आज की बैठक उस फेडरल फ्रंट की तैयारी लगती है, जिसकी पेशकश 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले टीआरएस के चंद्रशेखर राव ने की थी और जिसका समर्थन ममता बनर्जी और नवीन पटनायक ने किया था।

यह गतिविधि उत्तर प्रदेश के चुनाव के पहले हो रही है। तृणमूल कांग्रेस की कामना उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने की है। आम आदमी पार्टी ने भी उत्तर प्रदेश के मंसूबे बाँध रखे हैं। देखना होगा कि इस वक्त इस मोर्चे में शामिल होने को उत्सुक कितने दल हैं। क्या समाजवादी पार्टी भी इसमें शामिल होगी? नवाब मलिक ने जो सूची जारी की है, उसमें अखिलेश यादव का नाम नहीं है।

Monday, June 21, 2021

शरद पवार ने विरोधी-महागठबंधन की पहल की, कल होगी बैठक

 


नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार आज दिल्ली में हैं। उन्होंने कल दिन में 4.00 बजे अपने निवास पर विरोधी दलों की बैठक बुलाई है, जिसमें 15-20 नेताओं के अलावा कुछ गैर-राजनीतिक व्यक्तियों के भी आने की सम्भावनाएं हैं, जिनमें वकील, अर्थशास्त्री और साहित्यकार शामिल हैं। शरद पवार ने आज चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से भी मुलाकात की। इससे पहले भी हाल में शरद पवार प्रशांत किशोर से मुलाकात कर चुके हैं। इस बैठक के पहले सुबह एनसीपी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक भी होने जा रही है।

तृणमूल कांग्रेस के यशवंत सिन्हा, राजद के मनोज झा, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह से भी आज शरद पवार की मुलाकात हुई। बताया जा रहा है कि यह बैठक राष्ट्रीय मंच के तत्वावधान में होने जा रही है, जिसका गठन कुछ साल पहले यशवंत सिन्हा और शत्रुघ्न सिन्हा ने किया था। खबर यह भी है कि यशवंत सिन्हा ने कहा है कि प्रशांत किशोर का इस बैठक से कोई वास्ता नहीं है। उधर प्रधानमंत्री ने 24 जून को जम्‍मू-कश्‍मीर के 14 नेताओं की बैठक बुलाई है, उसे लेकर भी कयास हैं।

इन दोनों बैठकों का राजनीतिक महत्व है। शरद पवार के घर पर होने वाली बैठक में शामिल होने के लिए कांग्रेस को भी बुलाया गया है या नहीं, यह भी स्पष्ट नहीं है। यह भी स्पष्ट नहीं है कि पार्टी का कोई प्रतिनिधि इसमें शामिल होगा या नहीं। यह बात इसलिए महत्वपूर्ण है कि बैठक यूपीए के तत्वावधान में नहीं हो रही है। इसका निमंत्रण शरद पवार और यशवंत सिन्हा की ओर से भेजा गया है। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार 15 राजनीतिक दलों को निमंत्रण दिया गया है। एक सूत्र ने बताया कि सात दलों ने इसमें शामिल होने की स्वीकृति दी है।

इस मामले में मीडिया कवरेज संदेह पैदा कर रही है। बैठक विरोधी दलों की है या किसी वैचारिक मंच की, यह स्पष्ट नहीं है। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार बैठक में फारूक अब्दुल्ला, यशवंत सिन्हा, संजय सिंह, पवन वर्मा, केटीएस तुलसी, डी राजा, जस्टिस एपी सिंह, करन थापर, आशुतोष, मजीद मेमन, वंदना चह्वाण, एसवाई कुरैशी, केसी सिंह, जावेद अख्तर, संजय झा, सुधीन्द्र कुलकर्णी, कॉलिन गोंज़ाल्वेस, अर्थशास्त्री अरुण कुमार, घनश्याम तिवारी और प्रीतीश नंदी शामिल हो सकते हैं। इनमें से कुछ नाम ऐसे हैं, जो प्रत्यक्ष रूप से राजनीति में सक्रिय नहीं हैं। एनडीटीवी के अनुसार एनसीपी के नेता और महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक ने ट्वीट करके इस विस्तृत सूची को जारी किया, जिसमें प्रतिष्ठित व्यक्तियों के नाम भी हैं। हालांकि नवाब मलिक की सूची में कांग्रेस के विवेक तन्खा और कपिल सिब्बल के नाम नहीं हैं, पर मीडिया में खबरें हैं कि उन्हें भी बुलाया गया है।  

दुनिया पर भारी पड़ेगी वैक्सीन-असमानता


ब्रिटेन के कॉर्नवाल में हुए शिखर सम्मेलन में जी-7 देशों ने घोषणा की है कि हम गरीब देशों के 100 करोड़ वैक्सीन देंगे। यह घोषणा उत्साहवर्धक है, पर 100 करोड़ वैक्सीन ऊँट में मुँह में जीरा जैसी बात है। दूसरी तरफ खबर यह है कि दक्षिण अफ्रीका में आधिकारिक रूप से कोविड-19 की तीसरी लहर चल रही है। वहाँ अब एक्टिव केसों की संख्या एक महीने के भीतर दुगनी हो रही है और पॉज़िटिविटी रेट 16 प्रतिशत के आसपास पहुँच गया है, जो कुछ दिन पहले तक 9 प्रतिशत था। सारी दुनिया में तीसरी लहर को डर पैदा हो गया है। ब्रिटेन में भी तीसरी लहर के शुरूआती संकेत हैं।

इतिहास बताता है कि महामारियों की लहरें आती हैं। आमतौर पर पहली के बाद दूसरी लहर के आने तक लोगों का इम्यूनिटी स्तर बढ़ जाता है। पर दक्षिण अफ्रीका और भारत में यह बात गलत साबित हुई। चूंकि अब दुनिया के पास कई तरह की वैक्सीनें भी हैं, इसलिए भावी लहरों को रोकने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। दुनिया की बड़ी आबादी को समय रहते टीके लगा दिए जाएं, तो सम्भव है कि वायरस के संक्रमण क्रमशः कम करने में सफलता मिल जाए, पर ऐसा तभी होगा, जब वैक्सीनेशन समरूप होगा।

टीकाकरण की विसंगतियाँ

दुनिया में टीकाकरण इस साल जनवरी से शुरू हुआ है। इसकी प्रगति पर नजर डालें, तो वैश्विक-असमानता साफ नजर आएगी। दुनिया के 190 से ज्यादा देशों में इस हफ्ते तक 2.34 अरब से ज्यादा टीके लग चुके हैं। वैश्विक आबादी को करीब 7.7 अरब मानें तो इसका मतलब है कि करीब एक तिहाई आबादी को टीके लगे हैं। पर जब इस डेटा को ठीक से पढ़ें, तो पता लगेगा कि टीकाकरण विसंगतियों से भरा है।

Sunday, June 20, 2021

सावधान, कोरोना कहीं गया नहीं है!


दिल्ली में अनलॉक के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल के उल्लंघन पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है और सरकार को तथा जनता को सावधान करते हुए कहा है कि छोटी सी गलती भी तीसरी लहर को बुलावा देगी। अदालत ने केंद्र और दिल्ली सरकार से मामले की रिपोर्ट भी मांगी है। दिल्ली में अनलॉक के बाद से ही बाजारों में उमड़ी भारी भीड़ के फोटो वॉट्सऐप पर प्रसारित हो रहे हैं। लोग बिना मास्क लगाए घूम रहे हैं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी नहीं किया जा रहा है। कोरोना की दूसरी लहर में हम बड़ी कीमत अदा कर चुके हैं। ऐसा कोई घर नहीं बचा, जो दूसरी लहर की चपेट में न आया हो।

हाईकोर्ट ने इन तस्वीरों का स्वत: संज्ञान लेकर जनहित याचिका शुरू करते हुए केंद्र, दिल्ली सरकार व दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी करते हुए स्टेटस रिपोर्ट तलब की है और सुनवाई के लिए 9 जुलाई की तारीख तय की है। अदालत ने कहा है कि लोगों में डर होना चाहिए, लेकिन डर भीतर से आना चाहिए। यह चेतावनी केवल दिल्ली के लिए नहीं, पूरे देश के लिए है। इस साल जनवरी-फरवरी में हम इसी तरह से निर्द्वंद होकर मान बैठे थे कि कोरोना तो गया। पर वह धोखा था। उधर भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार सहित स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने तीसरी लहर की चेतावनी दी है। विशेषज्ञों ने कहा है कि  लोग एहतियात नहीं बरतेंगे, तो हालात फिर से खराब हो जाएंगे।

दूसरी लहर काबू में

सच यह भी है कि कोरोना की दूसरी लहर कमजोर पड़ी है। इस हफ्ते नए मामलों का साप्ताहिक औसत साठ हजार के आसपास है, जो अगले हफ्ते पचास हजार के आसपास आने की उम्मीदें हैं। सक्रिय केसों की देश में संख्या साढ़े सात लाख के आसपास है, जिसमें तेज गिरावट है। उत्तर भारत में संक्रमण का असर काफी कम हुआ है, पर दक्षिण में अभी असर है। पर यह गिरावट लॉकडाउन और एहतियात का परिणाम है। हम फिर से बेखबर होंगे, तो महामारी का अगला हमला और ज्यादा खतरनाक हो सकता है।

Thursday, June 17, 2021

बाइडेन ने पुतिन को मनाने की कोशिश की

 


अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच जिनीवा में शिखर-वार्ता बुधवार को हुई। यह मुलाकात ऐसे मौके पर हुई है जब दोनों देशों के रिश्ते बदतर स्थिति में हैं और दुनिया पर एक नए शीतयुद्ध का खतरा मंडरा रहा है, जिसमें रूस और चीन मिलकर अमेरिका और उसके मित्र देशों का प्रतिरोध कर रहे हैं। हालांकि बातचीत काफी अच्छे माहौल में हुई, पर बाइडेन ने साइबर हमलों, रूसी विरोधी नेता अलेक्सी नवेलनी की गिरफ्तारी और मानवाधिकार के सवालों को उठाकर अपने मंतव्य को भी स्पष्ट कर दिया। पर इतना लगता है कि अमेरिका की कोशिश है कि रूस पूरी तरह से चीन के खेमे में जाने के बजाय अमेरिका के साथ भी जुड़ा रहे। रूस के लिए महान शक्ति विशेषण का इस्तेमाल करके उन्होंने रूस को खुश करने की कोशिश भी की है।

जिनीवा में बातचीत के बाद जो बाइडेन ने कहा कि दो महान शक्तियों ने उम्मीद से काफी पहले यह वार्ता संपन्न की है। इस रूबरू बातचीत का परिणाम है कि दोनों देशों ने तनाव दूर करने के लिए अपने-अपने देशों के राजदूतों को फिर से काम पर वापस भेजने का फैसला किया है।

दोनों के बीच यह बातचीत विला ला ग्रेंज में हुई। बातचीत को दो दौर में होना था और दोनों के बीच मध्यांतर की योजना थी, पर वार्ता लगातार चलती रही और एक ही दौर में पूरी हो गई। दोनों पक्षों को लगता था कि कुल मिलाकर चार से पाँच घंटे तक बातचीत चलेगी, पर वह तीन घंटे से कम समय में ही पूरी हो गई।

वार्ता खत्म होने के बाद रूसी राष्ट्रपति ने सबसे पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा, बातचीत 'बेहद रचनात्मक' रही और मुझे नहीं लगता है कि हमारे बीच कोई 'दुश्मनी' है। पुतिन ने अमेरिकी राष्ट्रपति की तारीफ़ की और उन्हें एक 'अनुभवी राजनेता' बताया। उन्होंने कहा कि बाइडेन "पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से काफी अलग हैं।" उन्होंने कहा कि हमने विस्तार से दो घंटे में बातचीत की जो कि आप बहुत से राजनेताओं के साथ नहीं कर सकते हैं।

पुतिन के एक घंटे तक चले वक्तव्य के बाद जो बाइडेन ने कहा कि दोनों के बीच बैठक सकारात्मक रही। उन्होंने कहा, "मैंने राष्ट्रपति पुतिन से कहा कि मेरा एजेंडा रूस या किसी और ख़िलाफ़ नहीं है, बल्कि यह अमेरिका और अमेरिकी लोगों के हक में हैं।"

Wednesday, June 16, 2021

मंदिर की जमीन के सौदे का आरोप लगाने वाले अपने ही जाल में उलझे


अयोध्या में राम मंदिर से जुड़ी जमीन की खरीद में घोटाले का आरोप लगाने वाले अपने ही जाल में उलझ गए लगते हैं। पंद्रह मिनट में दो करोड़ से साढ़े अठारह करोड़ का जो आरोप लगाया गया है, वह तथ्यों की जमीन पर टिक नहीं पाएगा। आरोप लगाने वालों को कम से कम बुनियादी होमवर्क जरूर करना चाहिए। आम आदमी पार्टी और सपा के साथ कांग्रेस ने भी इन आरोपों के साथ खुद को जोड़कर जल्दबाजी की है। आरोपों की बुनियाद कच्ची साबित हुई और वे फुस्स हुए, तो इन्हें लगाने वालों के हाथ भी हाथ जलेंगे। इन सभी पार्टियों पर आरोप लगता रहा है कि मंदिर निर्माण में अड़ंगे लगाने की वे कोशिशें करती रहती हैं।

वायरल आरोप

पिछले तीन-चार दिनों में दो खबरों ने तेजी से सिर उठाया और फिर उतनी ही तेजी से गुम हो गईं। इन दोनों खबरों पर जमकर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आईं। लानत-मलामत हुई और जब गर्द-गुबार साफ हुआ तो किसी ने न तो सफाई देने की कोशिश की और न गलती मानी। पहली खबर एक बुजुर्ग मुसलमान व्यक्ति की पिटाई और फिर उनकी दाढ़ी काटने से जुड़ी थी। दूसरी खबर अयोध्या में राम जन्मभूमि के निर्माण के सिलसिले में जमीन की खरीदारी को लेकर थी। दोनों ही खबरों में काफी राजनीतिक मसाला था, इसलिए सोशल मीडिया के साथ-साथ मुख्यधारा के मीडिया में जमकर शोर मचा।

गाजियाबाद के 72 वर्षीय अब्दुल समद सैफी की पिटाई और दाढ़ी कटने का एक वीडियो वायरल होने के एक दिन बाद, गाजियाबाद पुलिस ने दावा किया कि यह ‘व्यक्तिगत दुश्मनी’ का मामला था। कुछ लोग उनसे नाराज़ थे क्योंकि उन्होंने एक व्यक्ति को तावीज’ दी थी, जिससे अभीप्सित परिणाम नहीं मिला। उनकी पिटाई के वीडियो में वायरल करने वालों ने आवाज बंद कर दी थी, जिससे पता नहीं लग रहा था कि पीटने की वजह क्या थी।

उसके बाद इन सज्जन के साथ बातचीत का एक और वीडियो जारी हुआ, जिसमें इनके मुख से कहलवाया गया था कि पीटने वाले जय श्रीराम बोलने के लिए मजबूर कर रहे थे। यह वीडियो जिन सज्जन के सौजन्य से आया था उनके कमरे की दीवार पर लगी तस्वीर बता रही थी कि वे एक राजनीतिक दल के कार्यकर्ता हैं। यहाँ से कहानी में लोच आ गया और मीडिया की मुख्यधारा ने इस मामले की तफतीश से हाथ खींच लिया।

Tuesday, June 15, 2021

जी-7 ने ‘इंटरनेट-शटडाउन’ पर शब्दावली भारत के सुझाव पर बदली?

बाएं आज के हिन्दू की लीड और दाएं कोलकाता के टेलीग्राफ की लीड

रविवार को सम्पन्न हुए जी-7 के शिखर सम्मेलन में भारत ने खुले समाज से जुड़े एक संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। इसे लेकर कल भारतीय मीडिया में टिप्पणियाँ थीं कि भारत ने इंटरनेट शटडाउन-विरोधी इस घोषणापत्र पर दस्तखत कैसे कर दिए, जबकि 2019 में उसने जम्मू-कश्मीर में शटडाउन किया था। आज के हिन्दू की लीड है कि भारत के कहने पर इस घोषणापत्र की भाषा बदली गई और इसमें राष्ट्रीय-सुरक्षा को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के ऊपर रखा गया है।

मूलतः इस घोषणापत्र में ऑनलाइन और ऑफलाइन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने की बातें हैं, ताकि लोग भय और शोषण-मुक्त माहौल में रह सकें। इस घोषणापत्र में इन स्वतंत्रताओं में इंटरनेट की भूमिका को खासतौर से रेखांकित किया गया है। इस विषय पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि लोकतंत्र और वैचारिक स्वतंत्रता की रक्षा के साथ भारत की सभ्यतागत प्रतिबद्धता है।

भारत ने इस घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने के पहले इस विषय पर अपनी राय भी रखी थी। मई के महीने में जी-7 विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में भारत के विदेशमंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि वैचारिक स्वतंत्रता की रक्षा के साथ-साथ इस स्वतंत्रता के दुरुपयोग, खासतौर से फ़ेकन्यूज़ और डिजिटल छेड़छाड़ के खतरों से बचने की जरूरत भी होगी।

हिन्दू की खबर के अनुसार भारत सरकार के सूत्रों का कहना है कि भारत के जोरदार-विरोध के बाद इंटरनेट-शटडाउन की आलोचना से जुड़ी शब्दावली में संशोधन किया गया। अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाए जाने के बाद राज्य में काफी समय तक इंटरनेट और मोबाइल टेलीफोन सेवाएं बंद रहीं। उसके बाद नागरिकता कानून के विरोध में हुए आंदोलन और जनवरी, 2021 में दिल्ली में किसान-आंदोलन के दौरान दिल्ली और असम में भी ऐसी पाबंदियाँ लगाई गई थीं। दुनिया के कुछ और देशों में भी इंटरनेट शटडाउन हुआ है। इसमें हांगकांग का शटडाउन उल्लेखनीय है।

वैक्सीन को पेटेंट-फ्री करने में दिक्कत क्या है?

इस साल जबसे दुनिया में कोरोना वैक्सीनेशन शुरू हुआ है, गरीब और अमीर देशों के बीच का फर्क पैदा होता जा रहा है। अमीर देशों में जहाँ आधी आबादी को टीका लग गया है, वहीं बहुत से गरीब देशों में टीकाकरण शुरू भी नहीं हुआ है। वैक्सीन उपभोक्ता सामग्री है, जिसकी कीमत होती है। गरीबों के पास पैसा कहाँ, जो उसे खरीदें। विश्व व्यापार संगठन के ट्रेड रिलेटेड इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स (ट्रिप्स) इसमें बाधा बनते हैं। दवा-कम्पनियों का कहना है कि अनुसंधान-कार्यों को आकर्षक बनाए रखने के लिए पेटेंट जरूरी है।

भारत और दक्षिण अफ्रीका ने पिछले साल अक्तूबर में विश्व व्यापार संगठन में कोरोना वैक्सीनों को पेटेंट-मुक्त करने की पेशकश की थी। इसे करीब 100 देशों का समर्थन हासिल था। हालांकि अमेरिका ने केवल कोरोना-वैक्सीन पर एक सीमित समय के लिए छूट देने की बात मानी है, पर वैक्सीन कम्पनियों को इसपर आपत्ति है। यूरोपियन संघ ने भी आपत्ति व्यक्त की है।

ब्रिक्स भी आगे आया

इस महीने ब्रिक्स देशों के विदेशमंत्रियों के एक सम्मेलन में भारत और दक्षिण अफ्रीका के उस प्रस्ताव का समर्थन किया गया, जिसमें गरीब देशों के वैक्सीन देने, उनकी तकनीक के हस्तांतरण और उत्पादन की क्षमता के विस्तार में सहायता देने की माँग की गई है, ताकि इन देशों में भी बीमारी पर जल्द से जल्द काबू पाया जा सके।

यह पहला मौका है, जब ब्रिक्स देशों ने इस मामले में एक होकर अपनी राय व्यक्त की है। हालांकि अमेरिका ने शुरूआती झिझक के बाद इस सुझाव को मान लिया है, पर यूरोपियन यूनियन ने इसे स्वीकार नहीं किया है। ईयू ने गत 4 जून को डब्लूटीओ को एक प्रस्ताव दिया है, जिसके तहत टीकों के वैश्विक वितरण में तेजी लाने का सुझाव है, पर उसमें लाइसेंस से जुड़े नियमों में छूट देने की सलाह नहीं है।

Monday, June 14, 2021

नेतन्याहू अपदस्थ, इसराइली राजनीति में अस्थिरता का एक और दौर शुरू


अंततः रविवार 13 जून को इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू को अपना पद छोड़ना पड़ा। उनके स्थान पर आठ पार्टियों के गठबंधन के नेता नेफ़्टाली बेनेट ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली है, पर लगता नहीं कि यह सरकार भी लम्बी चलेगी। इस अनुमान के पीछे कुछ बड़े कारण हैं। एक तो इस सरकार के पास बहुमत नाममात्र का है। रविवार को हुए मतदान में 120 सदस्यों के सदन में सरकार बेनेट को 60 और नेतन्याहू को 59 वोट मिले। एक सदस्य ने मतदान में भाग नहीं लिया। दूसरे, इस गठबंधन में वैचारिक एकता का भारी अभाव है। इसमें धुर दक्षिणपंथी, मध्यमार्गी और वामपंथियों के अलावा इसराइल के इतिहास में पहली बार एक इस्लामिक अरब पार्टी के सांसद सरकार में शामिल होने जा रहे हैं।

नई सरकार बनाने के लिए जो गठजोड़ बना है, उसमें विचारधाराओं का कोई मेल नहीं है। यह गठजोड़ नेतन्याहू के साथ पुराना हिसाब चुकाने के इरादे से एकसाथ आए नेताओं ने मिलकर बनाया है, जो कब तक चलेगा, कहना मुश्किल है। खासतौर से यदि विपक्ष का नेतृत्व नेतन्याहू जैसे ताकतवर नेता के हाथ में होगा, तो इसका चलना और मुश्किल होगा। इसराइल में आनुपातिक प्रतिनिधित्व की चुनावी प्रक्रिया की वजह से किसी एक पार्टी के लिए चुनाव में बहुमत जुटाना मुश्किल होता है। इसी वजह से वहाँ पिछले दो साल में चार बार चुनाव हो चुके हैं।

चुनावी फ्रॉड!

नेतन्याहू ने विपक्ष के सरकार बनाने के फैसले को लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे बड़ा चुनावी फ्रॉड करार दिया है। उधर देश के सुरक्षा-प्रमुख ने राजनीतिक हिंसा होने की आशंका भी व्यक्त की है। नेतन्याहू ने यह आरोप विपक्षी दलों के चुनाव प्रचार के दौरान किए गए वायदों को लेकर लगाया है। गठबंधन बनाने में सफलता प्राप्त करने वाले नेफ़्टाली बेनेट ने चुनाव-प्रचार के दौरान कहा था कि हम वामपंथियों, मध्यमार्गी पार्टियों और अरब पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। अब उन्हीं दलों के साथ उन्होंने गठबंधन किया है। इसी को लेकर नेतन्याहू ने आरोप लगाया कि यह इलेक्शन फ्रॉड है।

जी-7 ने शुरू की चीन की घेराबंदी


रविवार को ब्रिटेन में सम्पन्न हुई जी-7 देशों की बैठक के एजेंडा में आधिकारिक रूप से तीन प्रमुख विषय थे-कोरोना, वैश्विक जलवायु और चीन। पर राजनीतिक दृष्टि से इस सम्मेलन का महत्व चीन के बरक्स दुनिया के लोकतांत्रिक देशों की रणनीति से जुड़ा था। इस सम्मेलन को लेकर चीन की जैसी प्रतिक्रिया आई है, उससे भी यह बात स्पष्ट है। इंग्लैंड के कॉर्नवाल में हुए सम्मेलन दौरान चीन में जारी मानवाधिकारों का मुद्दा भी उठा। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस मंच पर इस बात को दोहराया कि यह आशंका अभी खत्म नहीं हुई है कि दुनिया में कोरोना-संक्रमण चीनी-प्रयोगशाला से फैला हो। इस बैठक में वायरस की उत्पत्ति की निष्पक्ष जांच को लेकर मांग उठी।

कोरोना वायरस

जो बाइडेन ने कहा कि चीन ने वैज्ञानिकों को अपनी प्रयोगशालाओं तक जाने की इजाजत नहीं दी, जो कोरोना के स्रोत के बारे में अध्ययन के लिए जरूरी था। हालांकि मैं किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा हूँ, पर हमारी खुफिया एजेंसियां इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हैं कि वायरस चमगादड़ से फैला या प्रयोगशाला में बनाया गया। इस सवाल का जवाब ढूंढ़ना जरूरी है। बाइडेन ने यह भी कहा कि कोरोना महामारी के बाद की दुनिया में लोकतांत्रिक देशों और तानाशाही व्यवस्था वाले देशों के बीच टकराव साफ हुआ है।

हालांकि अमेरिका का इशारा चीन और रूस दोनों की ओर है, पर संकेत मिल रहे हैं कि बाइडेन रूस के साथ सम्पर्क बढ़ा रहे हैं और कोशिश कर रहे हैं कि चीन अलग-थलग हो जाए। इस सम्मेलन के बाद बुधवार को जिनीवा में उनकी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत होने वाली है। यह वार्ता काफी महत्वपूर्ण होगी।

जी-7 समूह में अमेरिका, फ्रांस, कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान और इटली शामिल हैं। ये सभी सदस्य देश बारी-बारी से सालाना शिखर सम्मेलन का आयोजन करते हैं। सम्मेलनों में यूरोपियन कौंसिल और यूरोपियन कमीशन के अध्यक्ष विशेष अतिथि के रूप में शामिल होते हैं।

Sunday, June 13, 2021

कांग्रेस का असंतोष-द्वार


कांग्रेस पार्टी एकबार फिर से संकट का सामना कर रही है। अगले साल के फरवरी-मार्च महीनों में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधान सभा चुनाव होंगे। पिछले बुधवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद के पार्टी छोड़ने के बाद राजस्थान में सचिन पायलट खेमे का हौसला बढ़ा है। शुक्रवार को सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि थी। पिछले साल उनकी पुण्यतिथि से पैदा हुए असंतोष ने फिर से सिर उठाया है। यह आक्रोश किस हद तक जाएगा, इसका पता अगले कुछ दिन में लगेगा। पार्टी हाईकमान ने अजय माकन, रणदीप सुरजेवाला और अविनाश पांडेय को जयपुर भेजा है। सचिन खुद शुक्रवार को दिल्ली आ गए हैं और हाईकमान के सम्पर्क में हैं। उनसे फौरन खतरा नजर नहीं आ रहा है, पर पार्टी में असंतोष है।

पंजाब और राजस्थान

पंजाब में नवजोत सिद्धू की महत्वाकांक्षाओं ने सिर उठाया है। मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में तीन सदस्यों की समिति ने हाईकमान को सुझाव दिया है कि राज्य में वैकल्पिक नेतृत्व तैयार करना चाहिए। कांग्रेस ने अपेक्षाकृत अच्छे परिणाम पंजाब में दिए हैं। इसके पीछे कैप्टेन अमरिंदर सिंह का कड़क नेतृत्व भी है। फिर भी बीजेपी से कांग्रेस में आए सिद्धू की इतनी हिम्मत कैसे होती है? इसके पीछे कारण है कि वे हाईकमान से रिश्ता बनाकर रखते हैं। एकबार वे कह भी चुके हैं कौन कैप्टेन अमरिंदर? मेरे कैप्टेन राहुल गांधी हैं।

उधर राजस्थान में सचिन पायलट के समर्थकों का कहना है कि पार्टी पंजाब में वैकल्पिक नेतृत्व की बात कर रही है और राजस्थान में हमारी उपेक्षा।  हाईकमान के सूत्र कह रहे हैं कि कोई बगावत राजस्थान में नहीं है। मंत्रिमंडल में खाली पड़े नौ पदों को जल्दी ही भरा जाएगा। इतने पदों के लिए करीब 40 दावेदार हैं। पायलट-समर्थक भी 30-35 हैं। अशोक गहलोत सरकार को बहुमत प्राप्त करने के लिए बसपा और निर्दलीय विधायकों का समर्थन लिया गया था। इनकी कुल संख्या 15 के आसपास है। उन्हें भी जगह देनी है।

Friday, June 11, 2021

अब राजस्थान में कांग्रेसी अंतर्विरोध की लहरें

 


कांग्रेस हाईकमान के आंतरिक अंतर्विरोध फिर से मुखर हो रहे हैं। पिछले साल मध्य प्रदेश उठी लहरें अब राजस्थान में उछाल मार रही हैं। जितिन प्रसाद के फैसले से राजस्थान के सचिन पायलट खेमे का हौसला बढ़ा है। आज सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि है। पिछले साल उनकी पुण्यतिथि से पैदा हुआ असंतोष फिर से सिर उठा रहा है। यह आक्रोश किस हद तक जाएगा, इसका पता जल्द ही लगेगा।

हालांकि सचिन पायलट ने दौसा के कार्यक्रम में शामिल नहीं होने की घोषणा की है, पर किसी तनाव खत्म हुआ नहीं है। मौके की नजाकत को देखते हुए पार्टी हाईकमान ने अजय माकन, रणदीप सुरजेवाला और राजस्थान के प्रभारी अविनाश पांडेय को जयपुर भेजा है। एक आशंका है कि कुछ विधायक इस दौरान इस्तीफा देंगे।

चुनावी पृष्ठभूमि में पंजाब और उत्तर प्रदेश में राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हुईं


अगले साल के फरवरी-मार्च महीनों में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधान सभा चुनाव होंगे। उसके पहले इन सभी राज्यों में राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दिल्ली में हैं। गुरुवार को उनकी मुलाकात गृहमंत्री अमित शाह से हुई है और आज वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी उनकी मुलाकात होगी। कयास हैं कि केंद्रीय नेतृत्व के साथ उन्होंने मंत्रिमंडल विस्तार, पंचायत चुनाव समेत कई अन्य मुद्दों पर चर्चा की है। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए जितिन प्रसाद से भी उनकी मुलाकात हुई है।

उधर पंजाब में तेज गतिविधियाँ चल रही हैं। कांग्रेस पार्टी घोषणा कर चुकी है कि हम मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के चेहरे के साथ चुनाव मैदान में उतरेंगे, पर प्रदेश के नेतृत्व में विकल्प की भी तलाश हो रही है। इस तलाश के पीछे कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच चल रहे टकराव की भूमिका भी है। दोनों नेताओं के बीच राज्य में पोस्टर युद्ध चल रहा है। लगता यह भी है कि सिद्धू को बढ़ावा देने में हाईकमान की भूमिका भी है।

Thursday, June 10, 2021

क्यों साथ छोड़ रहे हैं ‘कांग्रेस के युवा-सितारे?’

कांग्रेस का मार्च 2018 का ट्वीट
बुधवार को जैसे ही जितिन प्रसाद के कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की खबर आई कर्नाटक के युवा सांसद तेजस्वी सूर्य ने कांग्रेस पार्टी के एक पुराने ट्वीट को शेयर किया। यह ट्वीट मार्च 2018 में हुए कांग्रेस महासमिति के सम्मेलन के मौके पर जारी किया गया था। इसमें अंग्रेजी में लिखा था द यंग गन्स ऑफ द पार्टी एट कांग्रेस प्लैनरी-2018।इसमें पार्टी के पाँच युवा नेताओं की तस्वीरें थीं। ये थे ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट, जितिन प्रसाद, मिलिंद देवड़ा और दिव्य स्पंदना।

तेजस्वी सूर्य ने अपने ट्वीट में लिखा, कांग्रेस अपने युवाओं के साथ कैसा बर्ताव करती है? इनमें से दो पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। दो का एक-एक पैर बाहर है। और एक (यानी दिव्य स्पंदना) लापता है।

सात साल पहले कांग्रेस पार्टी से भगदड़ का जो सिलसिला शुरू हुआ था, वह बजाय कम होने के तेज होता जा रहा है। केवल विधायकों या उस स्तर के नेताओं को ही शामिल किया जाए, तो यह संख्या अबतक सैकड़ों में पहुँच चुकी है। हाल में केरल विधानसभा के चुनावों के ठीक पहले जब पीसी चाको ने पार्टी छोड़ी, तो किसी ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया, क्योंकि वरिष्ठ नेताओं की तरफ अब कोई ध्यान दे भी नहीं रहा है।

उठा-पटक जारी

पार्टी के भीतर लगातार उठा-पटक जारी है। पंजाब विधानसभा के चुनाव करीब हैं और वहाँ नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के बीच टकराव चल रहा है। ध्यान देने वाली बात यह है कि सिद्धू को लगता है कि उन्हें हाईकमान का सहारा है। राजस्थान में भी कलह है।

वास्तव में किसी पार्टी का भविष्य उसके युवा नेताओं से जुड़ा होता है। पर जब उदीयमान युवा नेता पार्टी छोड़कर जाने लगें, तो सवाल पैदा होते हैं कि यह हो क्या रहा है। पिछले कुछ वर्षों में राहुल गांधी ने अपने जिन युवा सहयोगियों को बढ़ावा दिया है, वे क्यों भाग रहे हैं? पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने बुधवार को पार्टी छोड़कर पार्टी को गहरा सदमा पहुँचाया है। इन खबरों से पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरता है।

कांग्रेस की टूट का लम्बा सिलसिला

काँग्रेस की स्थापना के समय सन् 1885 का चित्र

भारत के सबसे पुराने राजनीतिक दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन 1885 में हुआ था और इस पार्टी ने देश की आज़ादी की लड़ाई में बड़ा योगदान दिया था। आजादी के बाद इसी पार्टी ने सबसे अधिक समय तक देश पर शासन किया। 1947 से अब तक टुकडों-टुकड़ों में कांग्रेस ने कोई 54 साल तक केंद्र की सरकार चलाई।

इस बीच पार्टी का कई बार विभाजन हुआ और वर्तमान कांग्रेस भी इसका एक धड़ा ही था जिसे कांग्रेस (आई) यानी कांग्रेस इंदिरा कहा जाता था। बाद में चुनाव आयोग ने इसे ही असली कांग्रेस का दर्जा दे दिया। जवाहर लाल नेहरू के नाती और इंदिरा गाँधी के बेटे राजीव गाँधी की पत्नी सोनिया गाँधी इस समय कांग्रेस की अध्यक्ष हैं। उन्होंने 1998 में कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाला था। एक छोटे से दौर में उनके पुत्र राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष बने थे, पर 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की पराजय के बाद उन्होंने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। उसके बाद सोनिया गांधी फिर से का4यकारी अध्यक्ष की भूमिका निभा रही हैं। पार्टी के अध्यक्ष का चुनाव जून में कराने की योजना थी, पर महामारी के कारण यह चुनाव फिर टल गया है।

Wednesday, June 9, 2021

जितिन प्रसाद ने भी कांग्रेस छोड़ी


उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के युवा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने पार्टी छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है। बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। इस मौके पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद थे। 2019 में भी कांग्रेस छोड़कर उनके बीजेपी में आने की चर्चा चली थी, पर अंतिम क्षणों में वह घोषणा रुक गई। उस वक्त खबर थी कि जितिन प्रसाद बीजेपी में शामिल होने के लिए दिल्ली रवाना हो चुके हैं। बहरहाल बाद में खबर आई कि प्रियंका गांधी ने उन्हें फोन करके मना लिया और प्रसाद रास्ते से लौट गए। अब कहा जा रहा है कि इसबार जितिन प्रसाद ने दो दिनों से अपना फोन बंद कर रखा था।

पर्यवेक्षकों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को कमजोर करने के बीजेपी के अभियान की शुरुआत हो गई है। जितिन प्रसाद ब्राह्मणों के बड़े नेता माने जाते हैं और यूपी में ब्राह्मण मतदाताओं की 10% की बड़ी हिस्सेदारी है।  जितिन प्रसाद ने बीजेपी मुख्यालय में पार्टी की सदस्यता लेने के बाद कहा कि मैंने कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में शामिल होने का फैसला बहुत सोच-समझकर लिया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र के नाम पर कोई राजनीतिक दल है तो वह एकमात्र बीजेपी है। उन्होंने कहा, "मैं ज्यादा बोलना नहीं चाहता हूं, मेरा काम बोलेगा। मैं बीजेपी कार्यकर्ता के रूप में 'सबका साथ, सबका विश्वास' और 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के लिए काम करूंगा।"

यूपी में महत्वपूर्ण भूमिका

पीयूष गोयल ने उन्हें बीजेपी मुख्यालय में पार्टी की सदस्यता दिलाई। उन्होंने जितिन प्रसाद को उत्तर प्रदेश का बड़ा नेता बताया और कहा कि यूपी की राजनीति में प्रसाद की बड़ी भूमिका होने वाली है। गोयल ने उत्तर प्रदेश की जनता के हित में जितिन प्रसाद के किए गए कामों का भी उल्लेख किया और कहा कि उनके आने से यूपी में बीजेपी का हाथ और मजबूत हुआ है।