पिछले आठ साल से दुनिया भर में पूरे उत्साह से मनाए गए ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ ने भारत की ‘सॉफ्ट पावर’ को मज़बूती दी है। 21 जून 2015 को, जिस दिन पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब 37,000 लोगों के साथ योग का प्रदर्शन किया। यह असाधारण परिघटना थी, पर अकेली नहीं थी। ऐसे तमाम प्रदर्शन दुनिया के देशों में हुए थे। उस अवसर पर दुनिया के हर कोने से, योग-प्रदर्शन की तस्वीरें आईं थीं। अब प्रधानमंत्री 20 से 25 जून तक अमेरिका और मिस्र की यात्रा पर जा रहे हैं। यह यात्रा अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण है, और उसके व्यापक राजनयिक निहितार्थ हैं, पर फिलहाल यह जानकारी महत्वपूर्ण है कि न्यूयॉर्क स्थित संरा मुख्यालय में वे ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ का नेतृत्व करेंगे। यह भारत की सॉफ्ट पावर है। सॉफ्ट पावर का मतलब है बिना किसी ज़ोर-ज़बरदस्ती के दूसरों को प्रभावित करना। योग के मार्फत दुनिया का बदलते भारत से परिचय हो रहा है। योग के सैकड़ों कॉपीराइट दुनिया भर में कराए गए हैं। भारत में जन्मी इस विद्या के बहुत से ट्रेडमार्क दूसरे देशों के नागरिकों ने तैयार कर लिए हैं। एक उद्यम के रूप में भी योग विकसित हो रहा है। यह दुनिया को भारत का वरदान है।
हमारी ‘सॉफ्ट पावर’
भारत के पास प्राचीन संस्कृति और समृद्ध ऐतिहासिक विरासत है। हम अपनी इस विरासत को दुनिया के सामने अच्छी तरह पेश करें तो देश की छवि अपने आप निखरती जाएगी। इसी तरह भारत में बौद्ध संस्कृति से जुड़े महत्वपूर्ण केंद्र हैं। यह संस्कृति जापान, चीन, कोरिया और पूर्वी एशिया के कई देशों को आकर्षित करती है। अंतरराष्ट्रीय पर्यटन हमारी सॉफ्ट पावर को बढ़ाएगा। गूगल के तत्कालीन कार्याधिकारी अध्यक्ष एरिक श्मिट ने कुछ साल पहले कहा था कि आने वाले समय में भारत दुनिया का सबसे बड़ा इंटरनेट बाज़ार बन जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ बरसों में इंटरनेट पर जिन तीन भाषाओं का दबदबा होगा वे हैं- हिंदी, मंडारिन और अंग्रेजी। जिस तरह से लोकतांत्रिक मूल्यों का वैश्विक-प्रसार अमेरिका की सॉफ्ट पावर है, तो, भारत के लिए यही काम योग करता है। अगले एक दशक में योग की इस ताक़त को आप राष्ट्रीय शक्ति के रूप में देखेंगे। योग यानी भारत की शक्ति। विदेश नीति का लक्ष्य होता है राष्ट्रीय हितों की रक्षा। इसमें देश की फौजी और आर्थिक शक्ति से लेकर सांस्कृतिक शक्ति तक का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे इन दिनों ‘सॉफ्ट पावर’ कहते हैं। अमेरिका की ताकत केवल उसकी सेना की ताकत नहीं है। लोकतांत्रिक व्यवस्था, नवोन्मेषी विज्ञान-तकनीक और यहाँ तक कि उसकी संस्कृति और जीवन शैली ताकत को साबित करती है। करवट बदलती दुनिया में भारत भी अपनी भूमिका को स्थापित कर रहा है।