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Wednesday, April 12, 2023

पाकिस्तानी सत्ता-प्रतिष्ठान में आपसी टकराव से बढ़ता असमंजस


देस-परदेश

पाकिस्तान में सुप्रीमकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और सरकार के बीच तलवारें खिंच गई हैं. मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में तीन जजों की बेंच ने पंजाब में चुनाव कराने का आदेश दिया है, जिसे मानने से सरकार ने इनकार कर दिया है. चुनाव दो सूबों में होने हैं, पर सुप्रीम कोर्ट ने केवल पंजाब में 14 मई को चुनाव कराने का निर्देश दिया है. खैबर पख्तूनख्वा के बारे में कोई निर्देश नहीं दिया है.

देश में असमंजस का माहौल है. सोमवार को संसद के दोनों सदनों के विशेष सेशन में सरकार ने चुनाव खर्च से जुड़ा विधेयक पेश कर दिया है. अब संसद के फैसले पर काफी बातें निर्भर करेंगी. संभव है कि संसद पूरे देश में चुनाव एकसाथ कराने का फैसला करे. 

सोमवार को नेशनल असेंबली विदेशमंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा कि पाकिस्तान के इतिहास में निडर जज भी हुए हैं. ऐसे भी जज थे जो ज़ुल्फिकार अली भुट्टो को मौत की सजा देने के फैसले से असहमत थे. उसके विपरीत ऐसे न्यायाधीश भी, जो तब भी साजिश में शामिल थे और आज भी न्यायपालिका में मौजूद हैं.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्रतिक्रिया में गुरुवार 6 अप्रेल को राष्ट्रीय असेंबली ने प्रस्ताव पास करके प्रधानमंत्री से कहा है कि इस फैसले को मानने की जरूरत नहीं है. उसके अगले ही दिन नेशनल सिक्योरिटी कमेटी (एनएससी) ने देश की पश्चिमी सीमा पर आतंकवाद के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करने का फैसला करके इस बात का संकेत दे दिया है कि चुनाव नहीं, अब लड़ाई पश्चिमी सरहद पर लड़ाई होगी. सरकार ने 10 अप्रेल को संविधान दिवस मनाया और अब से हर साल यह दिवस मनाने की घोषणा भी की है. 10 अप्रेल 1973 को देश का वर्तमान संविधान लागू हुआ था.   

अवमानना का खतरा

सवाल यह भी है कि हुकूमत यदि सुप्रीमकोर्ट के फ़ैसले को तस्लीम नहीं करेगी, तो क्या उसे तौहीन-ए-अदालत की बिना पर वैसे ही हटाया जा सकता है, जैसे यूसुफ़ रज़ा गिलानी को सादिक़ और अमीन ना होने की वजह से तौहीन-ए-अदालत पर जून 2012 में हटा दिया गया था? पर जजों के बीच आपसी मतभेद हैं. पूरी न्यायपालिका एकसाथ नहीं है.

उधर रविवार 9 अप्रेल को छुट्टी के दिन कैबिनेट की बैठक बुलाई गई, जिसमें वित्त मंत्रालय से कहा गया है कि चुनाव के खर्चों का ब्योरा तैयार करे, ताकि उसे संसद के सामने रखा जा सके. सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि सरकार 10 अप्रेल तक 21 अरब रुपया चुनाव आयोग को दे, ताकि चुनाव कराए जा सकें. सरकार कानूनी स्थितियों का भी गंभीरता से अध्ययन कर रही है. संसद से धनराशि की स्वीकृति नहीं मिलने पर जो वैधानिक स्थिति बनेगी, वह हालात को और जटिल बनाएगी.

Thursday, November 24, 2022

पाकिस्तान के नए सेनाध्यक्ष होंगे आसिम मुनीर, राष्ट्रपति ने स्वीकृति दी


पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने देश के नए सेनाध्यक्ष के पद पर नियुक्ति के लिए सैयद आसिम मुनीर के नाम को स्वीकृति दे दी है। इस तरह से आशंकाएं खत्म हो गई हैं कि राष्ट्रपति किसी किस्म का अड़ंगा लगाएंगे। इस संशय की वजह थी, देश की राजनीतिक परिस्थितियाँ।

आज दिन में पाकिस्तान की सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब ने एक ट्वीट में कहा कि प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्जा को जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ का अध्यक्ष और लेफ्टिनेंट जनरल सैयद आसिम मुनीर को सेना प्रमुख नियुक्त करने का फैसला किया है।

सांविधानिक व्यवस्था के अनुसार देश के राष्ट्रपति आसिफ़ अल्वी को प्रधानमंत्री के फ़ैसले पर मुहर लगानी चाहिए, पर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने इसके पहले कहा था कि राष्ट्रपति अपना फैसला करने के पहले मुझसे परामर्श करेंगे। अल्वी साहब इमरान खान की पार्टी पीटीआई से आते हैं।

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेता फवाद चौधरी ने कहा है कि नए सेना प्रमुख की नियुक्ति को लेकर पीटीआई के अध्यक्ष इमरान खान और राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के बीच बैठक के दौरान राजनीतिक, संवैधानिक और कानूनी मुद्दों पर चर्चा हुई।

राष्ट्रपति आरिफ़ अल्वी की भूमिका तब विवादास्पद हो गई थी, जब इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ अविश्वास मत के सफल होने के बाद शहबाज़ शरीफ़ सरकार के फ़ैसलों में वे 'देरी' वाली रणनीति अपनाने लगे थे। उन्होंने नई सरकार को पहला झटका तब दिया था, जब शहबाज़ शरीफ़ के कार्यभार संभालने का दिन आया था।

प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद शहबाज़ शरीफ़ को राष्ट्रपति से शपथ लेनी थी, लेकिन राष्ट्रपति भवन से ख़बर आई कि राष्ट्रपति आरिफ़ अल्वी की तबीयत अचानक बिगड़ गई है जिसके कारण वे शपथ नहीं दिलवा सकेंगे। उन्हें सीनेट चेयरमैन सादिक संजरानी ने शपथ दिलाई। बाद में जब पंजाब के मुख्यमंत्री परवेज़ इलाही को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलवाने की बात आई तो उन्होंने रातोंरात राष्ट्रपति भवन में परवेज़ इलाही को शपथ दिलाई।

इसी वजह से यह सवाल उठाया जा रहा था कि इमरान ख़ान की तरफ़ से आरिफ़ अल्वी के साथ मिलकर जिस खेल की बात की जा रही थी वह क्या हो सकता है? बहरहाल पाकिस्तान में इस वक्त कुछ भी हो सकता है। खासतौर से इमरान खान किसी भी हद तक जा सकते हैं।

Monday, March 28, 2022

इमरान ने हर तरह के कार्ड को खेला


पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने रविवार को राजधानी इस्लामाबाद की  रैली में अपने हर कार्ड को खेल लिया। इसमें उन्होंने अपने खिलाफ विदेशी साजिश का हवाला दिया, भुट्टो की मौत के लिए नवाज शरीफ को जिम्मेदार ठहराकर पीपीपी और पीएमएल-एन के बीच मतभेद पैदा करने की कोशिश की, बार-बार दीन का नाम लेकर धर्म का जमकर इस्तेमाल किया और अपने विरोधियों को भ्रष्ट और बेईमान साबित करने की पूरी कोशिश की। आज दिन में संसद में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव रखा जाएगा, जिसपर विचार के बाद संभव है कि 3 या 4 अप्रेल को इसपर मतदान हो।

उन्होंने कहा, "मैं अपने दिल की बात रखना चाहता हूं और मैं चाहता हूं कि आप ख़ामोशी से मुझे सुने। मैंने आपको अच्छाई का साथ देने के लिए बुलाया है। हमारे पाकिस्तान की बुनियाद इस्लामी कल्याणकारी राज्य की विचारधारा पर पड़ी थी। हमें अपने देश को रियासत-ए-मदीना के आधार पर बनाना है।" उन्होंने  कहा, "मुझसे लोग पूछते हैं कि आप दीन को सियासत के लिए क्यों इस्तेमाल करते हैं, तो मैं अपने दिल की बात कहूंगा कि आज से पच्चीस साल पहले जब मैंने अपनी पार्टी बनाई थी तो मैं सिर्फ़ इसलिए सियासत में आया तो मेरा एक मक़सद था कि मेरा मुल्क जिस नज़रिए के तहत बना था। जब तक हम अपने नज़रिए पर नहीं खड़े होंगे, हम एक राष्ट्र नहीं बन पाएंगे।"

इमरान ने कहा, "ब्रिटेन में फ्री मेडिकल इलाज मिलता है, फ्री शिक्षा मिलती है, बेरोज़गारों को फ़ायदे मिलते हैं और लोगों को फ्री क़ानूनी सलाह भी दी जाती है। हमारे पैगंबर ने रियासत-ए-मदीना में ऐसा ही निज़ाम बनाया था जहां राज्य लोगों का खयाल रखता था।"

सेना पर टिप्पणी

इमरान ने उन्होंने परोक्ष रूप से सेना की भूमिका पर भी टिप्पणी की। वे जबर्दस्त भीड़ को जमा करने में कामयाब हुए, जिससे साबित यह भी होता है कि उन्होंने हार मान ली है और अब आने वाले वक्त की राजनीति का संकेत दे रहे हैं, जो उन्होंने नवाज़ शरीफ के कार्यकाल में अपनाई थी। यानी कि वे अब विरोध में बैठकर आंदोलन का सहारा लेंगे।

इमरान ने अपनी इस रैली का नाम अम्र बिन मारूफ़ रखा है, जिसका मतलब होता है अच्छाई के साथ आओ। इस्लामाबाद के परेड ग्राउंड में अपने समर्थकों की भारी भीड़ को संबोधित करते हुए इमरान ख़ान ने कहा, मेरे ख़िलाफ़ बाहर से साज़िश की जा रही है और मैं  किसी की ग़ुलामी स्वीकार नहीं करूँगा। यह बात वे पिछले दो-तीन हफ्तों से कह रहे हैं। जब यूरोपियन यूनियन के राजदूतों ने यूक्रेन के मामले में समर्थन माँगते हुए पत्र लिखा, तब उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा कि हम किसी के गुलाम नहीं हैं। अमेरिका को लेकर भी वे यह बात बार-बार कह रहे हैं। उन्होंने कहा, "हमारे देश को हमारे पुराने नेताओं की करतूतों की वजह से धमकियां मिलती रही हैं। हमारे देश में अपने लोगों की मदद से लोगों तब्दील किया जाता रहा।"

इमरान ख़ान ने कहा, "ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो ने जब देश की विदेश नीति को आज़ाद करने की कोशिश की तो फजलुर्रहमान और नवाज़ शरीफ़ की पार्टियों ने अभियान चलाया जिसकी वजह से उन्हें फाँसी दे दी गई। आज उसी भुट्टो के दामाद और उनके नवासे दोनों कुर्सी के लालच में अपने नाना की क़ुर्बानी को भुलाकर उसके क़ातिलों के साथ बैठे हुए हैं।"

इमरान ने कहा, "मेरे ख़िलाफ़ साज़िश बाहर से की जा रही है, बाहर से हमारी विदेश नीति को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है। ये जो आज क़ातिल और मक़तूल इकट्ठा हो गए हैं, इन्हें इकट्ठा करने वालों का भी हमें पता है।"