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Sunday, May 1, 2022

गर्म लू की लपेट में कांग्रेस

सतीश आचार्य का कार्टून साभार

पाँच राज्यों के चुनाव परिणाम आने के बाद देश की निगाहें अब गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों पर हैं। पर राजनीति की निगाहें इससे आगे हैं। यानी कि 2024 और 2029 के लोकसभा चुनावों और भविष्य के गठबंधनों के बारे में सोचने लगी हैं। इस सिलसिले में रणनीतिकार प्रशांत किशोर और कांग्रेस के संवाद का एक दौर हाल में हुआ है और अब 13-15 मई को उदयपुर में होने वाले चिंतन शिविर का इंतजार है। दूसरी तरफ प्रशांत किशोर की ही सलाह से तैयार हो रहे एक ऐसे विरोधी गठबंधन की बुनियाद भी पड़ रही है, जिसके केंद्र में कांग्रेस नहीं है। इसकी शुरुआत वे हैदराबाद में टीआरएस के नेता के चंद्रशेखर राव से समझौता करके कर चुके हैं। इस बीच भारतीय जनता पार्टी के उत्तर-मोदी स्वरूप को लेकर भी पर्यवेक्षकों के बीच विमर्श शुरू है, पर यह इस आलेख का विषय नहीं है।

पीके का प्रेज़ेंटेशन

प्रशांत किशोर के प्रेज़ेंटेशन के पहले अटकलें थीं कि शायद वे पार्टी में शामिल होंगे, पर ऐसा हुआ नहीं। मीडिया में इस आशय की अटकलें जरूर हैं कि उन्होंने पार्टी को सलाह क्या दी थी। इस बीच बीबीसी हिंदी के साथ एक विशेष बातचीत में प्रशांत किशोर ने कहा कि मजबूत कांग्रेस देश के हित में है, पर कांग्रेस की कमान किसके हाथ में हो, इस पर उनकी राय 'लोकप्रिय धारणा' से अलग है। राहुल गांधी या उनकी बहन प्रियंका गांधी उनकी पहली पसंद नहीं हैं। उनका सुझाव सोनिया गांधी को ही अध्यक्ष बनाए रखने का है। दूसरी तरफ खबरें यह भी हैं कि प्रशांत किशोर को शामिल करने में सोनिया गांधी की ही दिलचस्पी थी, राहुल और प्रियंका की नहीं।

दूसरी ताकत?

कई सवाल हैं। प्रशांत कुमार के पास क्या कोई जादू की पुड़िया है? क्या राजनीतिक दलों ने अपने तरीके से सोचना और काम करना बंद कर दिया है और उन्हें सेल्समैन की जरूरत पड़ रही है? ऐसा है, तो बीजेपी कैसे अपने संगठन के सहारे जीतती जा रही है और कांग्रेस पिटती जा रही है? प्रशांत किशोर का यह भी कहना है कि बीजेपी एक मजबूत राजनीतिक शक्ति के रूप में इस देश में रहेगी, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे 2024 या 29 जीत जाएंगे। साथ ही वे यह भी जोड़ते हैं कि कोई थर्ड फ्रंट बीजेपी को चुनौती नहीं दे सकता। जिसे भी चुनाव जीतना है, उसे सेकंड फ्रंट बनना होगा। जो भी फ्रंट बीजेपी को हराने की मंशा रख रहा है, उसे 'सेकंड फ्रंट' होना होगा। कांग्रेस देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन बीजेपी को चुनौती देने वाला 'सेकंड फ्रंट' नहीं है।

Thursday, October 28, 2021

फिलहाल बीजेपी को हिला पाना कांग्रेस के बस की बात नहीं: प्रशांत किशोर


प्रशांत किशोर का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी अभी दशकों तक ताकतवर बनी रहेगी। राहुल गांधी को यदि लगता है कि मोदी की लोकप्रियता कम हो रही है, तो वे गलत सोच रहे हैं। प्रशांत किशोर की कंसल्टेंसी संस्था इंडियन पोलिटिकल एक्शन कमेटी (आईपीएसी) इन दिनों तृणमूल कांग्रेस के साथ है और उन्होंने यह बात गोवा में कही है।

इसके पहले प्रशांत किशोर ने इस महीने के शुरू में कहा था कि कांग्रेस पार्टी यदि समझती है कि लखीमपुर खीरी के घटनाक्रम के बाद राहुल और प्रियंका गांधी की आक्रामक मुद्रा से पार्टी का पुनरुद्धार हो जाएगा, तो यह गलत सोच है। प्रशांत किशोर के ताजा बयान बता रहे हैं कि उनकी कांग्रेस पार्टी से दूसरी बन चुकी है, जबकि पिछले महीने तक ऐसा लग रहा था कि शायद वे कांग्रेस पार्टी में बाकायदा शामिल हो जाएं।

जुलाई के महीने में खबरें थीं कि प्रशांत किशोर के साथ राहुलसोनिया और प्रियंका गांधी की एक साथ हुई मुलाक़ात काफ़ी सुर्खियाँ बटोर रही है। समाचार पत्रों से लेकर तमाम न्यूज़ चैनल में सूत्र बता रहे थे कि 'कुछ बड़ाहोने वाला है। यह 'बड़ाक्या हैइसके बारे खुल कर कोई कुछ नहीं बता रहा था। चारों की मुलाक़ात की आधिकारिक पुष्टि भी अंततः हो गई। और लगने लगा कि यह बड़ा प्रशांत किशोर हैं, जो कांग्रेस में बाकायदा शामिल हो सकते हैं। कांग्रेस में उनके शामिल होने की खबर इतने जोरदार तरीके से सुनाई पड़ी है कि राहुल गांधी की करीबी मानी जाने वाली एक नेता ने ट्वीट करके इस खबर का स्वागत भी कर दिया। इसके फौरन बाद यह ट्वीट डिलीट कर दिया गया। पार्टी सूत्रों ने बताया कि इस मुलाकात का अनुरोध प्रशांत किशोर ने किया था। यह मुलाकात चार घंटे तक चली थी।  

इस साल के शुरू में पश्चिम बंगाल में हुए विधान सभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की सफलता के बाद से प्रशांत किशोर का महत्व बढ़ा है। इस बीच तृणमूल कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी गतिविधियाँ बढ़ा दी हैं। गोवा में गतिविधियाँ भी पार्टी के बढ़ते कदमों की ओर इशारा कर रही है।

प्रशांत किशोर का कहना है कि बीजेपी अब भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण बनी रहेगी। वह जीते या हारे उसका वैसा ही महत्व बना रहेगा, जैसा स्वतंत्रता के बाद के पहले 40 वर्षों तक था। जैसे ही कोई पार्टी 30 फीसदी या ज्यादा वोट जीतने लग जाती है, तब उसका मतलब होता है कि जल्द ही उसका महत्व खत्म होने वाला नहीं है।  

Wednesday, July 14, 2021

प्रशांत किशोर क्या कांग्रेस में शामिल होंगे?


बीबीसी का हिंदी वैबसाइट के अनुसार प्रशांत किशोर के साथ राहुल, सोनिया और प्रियंका गांधी की एक साथ हुई मुलाक़ात काफ़ी सुर्खियाँ बटोर रही है। समाचार पत्रों से लेकर तमाम न्यूज़ चैनल में सूत्र बस ये बता रहे हैं कि 'कुछ बड़ा' होने वाला है। यह 'बड़ा' क्या है? इसके बारे खुल कर कोई कुछ नहीं बता रहा है। चारों की मुलाक़ात की आधिकारिक पुष्टि भी अंततः हो गई। और लग यह रहा है कि यह बड़ा प्रशांत किशोर हैं, जो कांग्रेस में बाकायदा शामिल हो सकते हैं। कांग्रेस में उनके शामिल होने की खबर इतने जोरदार तरीके से सुनाई पड़ी है कि राहुल गांधी की करीबी मानी जाने वाली एक नेता ने ट्वीट करके इस खबर का स्वागत भी कर दिया। इसके फौरन बाद यह ट्वीट डिलीट कर दिया गया। पार्टी सूत्रों ने बताया कि इस मुलाकात का अनुरोध प्रशांत किशोर ने किया था। यह मुलाकात चार घंटे तक चली थी।  

हालांकि प्रशांत किशोर ने कहा था कि बंगाल के चुनाव के बाद मैं इस काम से हट जाऊंगा, पर लगता है कि वे राजनीति में सक्रिय रहेंगे। कहा यह भी जा रहा है के वे अब कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। इसबार सलाहकार के रूप में नहीं बल्कि किसी पदाधिकारी के रूप में आएंगे। सच यह भी है कि चारों की मुलाक़ात ऐसे वक़्त में हुई, जब कांग्रेस आलाकमान चौतरफ़ा संकट से घिरी है। अब विश्लेषण इस बात पर होगा कि वे पार्टी के किसी महत्वपूर्ण पद पर शामिल हुए, तो संगठन पर क्या प्रभाव पड़ेगा? हालांकि प्रशांत किशोर इसके पहले जेडीयू में भी शामिल हो चुके हैं और वहाँ उपाध्यक्ष पद पर रहे हैं, पर वे खांटी राजनीतिक नेता नहीं है। 

कई लोग इस मुलाक़ात को पंजाब कांग्रेस में चल रही कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के खींचतान से जोड़ कर देख रहे थे, तो कहीं राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रही रस्साकशी से इसे जोड़ा गया। कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़ में भी टीएस सिंह देव और भूपेश बघेल के बीच भी सब कुछ ठीक नहीं है। पता यह लगा है कि इस मुलाकात में राज्यों की राजनीति पर विचार नहीं हुआ, बल्कि प्रशांत किशोर को कोई महत्वपूर्ण भूमिका देने पर विचार हुआ।

उधर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी की संसदीय नीति समूह की बैठक भी आज बुलाई है। इस बैठक में लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी को हटाकर उनकी जगह किसी दूसरे नेता की नियुक्ति किए जाने की संभावना थी, पर बैठक के बाद कांग्रेस के सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया कि आगामी सत्र में भी अधीर रंजन चौधरी ही कांग्रेस के नेता होंगे। पार्टी ने उनकी जगह किसी और को नेता चुनने की अटकलों को खारिज कर दिया।

संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई से शुरू होगा और 11 अगस्त तक चलेगा। इस सत्र की तारीख आने के साथ ही बीते कुछ दिन सें अधीर रंजन को हटाने की खबरें लगातार आ रही थीं। कहा जा रहा था कि कांग्रेस सदन में और संसद से बाहर केंद्र की मोदी सरकार को घेरने के लिए विपक्षी रणनीति को उत्प्रेरित करने वाले एक नया चेहरा को नियुक्त करने पर विचार कर रही है। पार्टी के आधिकारिक सूत्र के मुताबिक, संसद सत्र में एक हफ्ते से भी कम समय बचा है। ऐसे में लोकसभा में पार्टी के नेता का बदलाव संभव नहीं है। बहरहाल बुधवार की बैठक में संसद के मानसून सत्र के दौरान पार्टी द्वारा उठाए जाने वाले विभिन्न मुद्दों पर भी चर्चा हुई।

राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी की चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ हुई बैठक के बारे में बताया गया कि बैठक के दौरान कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ऑनलाइन जुड़ीं। उनके अलावा केसी वेणुगोपाल भी बैठक में मौजूद रहे। यह बैठक करीब एक घंटे तक चली। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में पंजाब में कांग्रेस नेताओं के बीच विवाद पर कोई बात नहीं हुई, और न शरद पवार को यूपीए अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर कोई चर्चा की हुई। प्रशांत किशोर ने आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की संभावनाओं को लेकर बात की।

 

 

 

Monday, November 7, 2016

अखिलेश और पीके की मुलाकात तो हुई

कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ पीके की रविवार की यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से सोमवार 7 नवम्बर को आखिरकार मुलाकात हो गई। इसके पहले खबरें थीं कि अखिलेश ने उनसे मिलने से मना कर दिया है। बहरहाल इस मुलाकात के बाद समाजवादी पार्टी के साथ कांग्रेस के गठबंधन के कयासों को और हवा मिल गई है।

प्रशांत इससे पहले दिल्ली में और फिर लखनऊ में मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव से मुलाकात कर चुके हैं। वहीं पीके को लेकर कांग्रेस के भीतर असमंजस है। दिल्ली में राहुल गांधी को पार्टी का अध्यक्ष बनाने की तैयारियाँ हो रहीं है। उधर खबरें हैं कि कांग्रेस के प्रदेश सचिव सुनील राय समेत कई पदाधिकारियों ने उपाध्यक्ष राहुल गांधी को लिखे पत्र में यूपी में गठजोड़ का विरोध किया है।