Monday, November 30, 2020

हैदराबाद के निकाय चुनाव में अमित शाह और योगी को क्यों जाना पड़ा?

 


ग्रेटर हैदराबाद नगर निकाय चुनाव के प्रचार में अमित शाह और योगी आदित्य नाथ के उतर जाने के बाद देश का ध्यान इस तरफ गया है। आखिर क्या बात है इस चुनाव में? देश के गृहमंत्री को स्थानीय निकाय चुनाव के प्रचार में जाने की जरूरत क्यों पड़ी? इसके राजनीतिक कारण भी साफ हैं। बीजेपी को तेलंगाना में प्रवेश का रास्ता नजर आ रहा है। मुकाबले में टीआरएस, कांग्रेस और AIMIM के शामिल हो जाने से यह इतना खुला चुनाव हो गया है कि बीजेपी को सफलता के आसार नजर आ रहे हैं।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव को तब धक्का लगा, जब AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवेसी ने कहा कि ग्रेटर हैदराबाद के निकाय चुनाव हम अकेले ही लड़ेंगे। उनके अनुसार ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां टीआरएस AIMIM से प्रतिस्पर्धा कर रही है, और ऐसे में दोनों का साथ आना श्रेयस्कर नहीं होगा। यों भी बिहार की सफलता के बाद AIMIM अपनी ताकत के विस्तार को दिखाना चाहती है। उसे पता है कि बहुमत नहीं मिलेगा, पर एक हैसियत बनेगी। यही उसका लक्ष्य है। इस चुनाव में टीआरएस 150 सीटों पर, बीजेपी 149 और कांग्रेस 146 पर चुनाव लड़ रही है। AIMIM ने 51 प्रत्याशियों को टिकट दिए हैं।

मुकाबला जब तीन-तरफा या चौ-तरफा होता है, तब भाजपा को फायदा होता है, क्योंकि उसका वोटर आधार ठोस होता है और उसके विरोधियों का वोट बँट जाता है। इस समय तेलंगाना राष्ट्र समिति ग्रेटर हैदराबाद नगर महापालिका में 150 में से 99 सीट सहित सत्ता पर कब्जा जमाए हुए हैं, और AIMIM को 44 सीटें मिली है। लेकिन जिस प्रकार से भाजपा तेजी से उभरकर सामने आ रही है, उससे एक बात तो स्पष्ट है कि इस पार्टी का जनाधार पिछले कुछ वर्षों में काफी मजबूती से बढ़ रहा है।

पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा आए, फिर शनिवार को योगी आदित्यनाथ। उन्होंने कहा कि कुछ लोग पूछ रहे थे कि क्या हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर किया जाएगा? मैंने कहा-क्यों नहीं, भाजपा के सत्ता में आने पर जब फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या हो गया,इलाहाबाद का नाम प्रयागराज हो गया तो फिर हैदराबाद का नाम भाग्यनगर क्यों नहीं हो सकता है? इसके बाद अमित शाह की रैली से यहाँ का रंग बदल गया। कर्नाटक से युवा सांसद तेजस्वी सूर्य आए। 

अभिनेता और जन सेना पार्टी अध्यक्ष पवन कल्याण ने भाजपा को शत प्रतिशत समर्थन देने का निर्णय लिया है। पवन कल्याण 2014 में स्थापित जन सेना पार्टी के अध्यक्ष हैं, जिसकी स्थापना तेलुगु भाषियों के मुद्दों और उनके अधिकारों के लिए लड़ने के उद्देश्य से हुई थी। तेलुगु फिल्म उद्योग में बेहद प्रसिद्ध होने के अलावा पवन कल्याण उन चंद लोगों में भी शामिल है, जिन्होंने जगन मोहन रेड्डी की सरकार के अंतर्गत हिन्दू मंदिरों की लूट के विरुद्ध अपनी आवाज उठाई।

ग्रेटर हैदराबाद अथवा हैदराबाद के पुराने इलाके में मुस्लिम आबादी बड़ी संख्या में है। यह ओवेसी भाइयों का गढ़ है। केसीआर को विधानसभा चुनाव में इस वोटर का साथ मिला था, जो अब नहीं मिलेगा। इसलिए नुकसान टीआरएस का होने का अंदेशा है। कुछ दिन पहले GHMC के पूर्व मेयर और पूर्व कांग्रेस नेता बंडा कार्तिका रेड्डी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुईं हैं। 2014 तक यहाँ कांग्रेस का वर्चस्व था, पर अब वह सीन से तकरीबन गायब है। राज्य में अब बीजेपी नई ताकत के रूप में उभरना चाहती है।

सन 2016 के चुनाव में यहाँ से टीआरएस ने 99 और AIMIM ने 44 सीटें जीती थीं। बीजेपी, कांग्रेस और टीडीपी को क्रमशः 3, 2 और 1 सीट मिली थीं। ग्रेटर हैदराबाद इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 2019 के आम चुनावों में भाजपा इस क्षेत्र में दूसरी सबसे ज्यादा सीटें जीतनी वाली पार्टी बनी, और सिकंदराबाद की सीट पर भी कब्जा जमाया। पार्टी ने 17 में से 4 सीटों पर विजय हासिल की। भाजपा की निगाहें अब विधानसभा पर होंगी, जिसके चुनाव 2023 में होंगे।

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