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Saturday, December 20, 2014

भारत बनाम चीन : निर्माण क्षेत्र की भावी प्रतियोगिता

 Well before the arrival of Modi, Indian leaders had talked about promoting manufacturing. The slowdown in China, however, could make a big difference this time. China became an export powerhouse because of its vast pool of low-wage workers, but it’s no longer so cheap to manufacture there. Pinched by double-digit increases in China’s minimum wages, many companies are looking for low-cost alternatives. Southeast Asian countries such as Vietnam and Indonesia are attractive, but they lack the deep supply of workers available in India. “It’s the only country that has the scale to take up where China is leaving off,” says Frederic Neumann, a senior economist with HSBC (HSBC). Vietnam and Indonesia? “Neither one is big enough to take up the slack,” he says, leaving India with a “golden opportunity.
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क्या चीन ने अमरीका को पीछे छोड़ दिया है?

पिछले 140 सालों में यह पहली बार हुआ है. अमरीका ने दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का रुतबा खो दिया है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) के मुताबिक़ अब ये हैसियत चीन के पास है. लेकिन सवाल उठता है कि इस दावे को मजबूती देने वाले आंकड़ों पर किस हद तक भरोसा किया जा सकता है. बीबीसी के आर्थिक मामलों के संपादक रॉबर्ट पेस्टन बता रहे हैं कि आख़िर चीन क्यों हम सबके लिए मायने रखता है.
चीन की मौजूदा अर्थव्यवस्था 17.6 ट्रिलियन डॉलर की है जबकि आईएमएफ़ ने अमरीका के लिए 17.4 ट्रिलियन का अनुमान लगाया है.


Thursday, September 25, 2014

मंगलयान माने रास्ता इधर से है

संयोग से मंगलयान की सफलता और 'मेक इन इंडिया' अभियान की खबरें एक साथ आ रहीं हैं. पिछले साल नवम्बर में जब मंगलयान अपनी यात्रा पर निकला था, तब काफी लोगों को उसकी सफलता पर संशय था. व्यावहारिक दिक्कतों के कारण भारत ने इस यान को पीएसएलवी के मार्फत छोड़ा था. इस वजह से इसने अमेरिकी यान के मुकाबले ज्यादा वक्त लगाया और अनेक जोखिमों का सामना किया. हालांकि यह बात कहने वाले आज भी काफी हैं कि भारत जैसे गरीब देश को इतने महंगे अंतरिक्ष अभियानों की जरूरत नहीं है, पर वे इस बात की अनदेखी कर रहे हैं कि अंतरिक्ष तकनीक के साथ स्वास्थ्य, शिक्षा और संचार की तमाम तकनीकें जुड़ी हैं, जो अंततः हमारे जन-जीवन को बेहतर बनाने में मददगार होंगी. फिलहाल सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत की अंतरिक्ष तकनीक के लिए विकासशील देशों का बहुत बड़ा बाज़ार तैयार है. हमारे पड़ोसी देश श्रीलंका, मालदीव, बांग्लादेश और नेपाल तक अपने उपग्रह भजना चाहते हैं. चूंकि उनके पास यह तकनीक नहीं है, इसलिए ज्यादातर देश चीन की ओर देख रहे हैं. मंगलयान की सफलता ने भारत की एक नई तकनीकी खिड़की खोली है.