पिछले साल जनवरी के इन्हीं दिनों में ट्यूनीशिया से जनतांत्रिक विरोध की एक लहर उठी थी, जिसने पूरे पश्चिम एशिया और बाद में यूरोप और अमेरिका को हिलाकर रख दिया था। सोशल मीडिया के सहारे उठीं बगावत की वे लहरें अब भी चल रहीं हैं। पर पिछले हफ्ते इस क्रांति का एक और रूप देखने को मिला। पिछले बुधवार को दुनिया के सबसे बड़े ऑनलाइन एनसाइक्लोपीडिया विकीपीडिया ने अपनी सेवाओं को एक दिन के लिए ब्लैकआउट कर दिया। गूगल ने अपनी साइट पर एक ऑनलाइन पिटीशन जारी की जिसका 70 लाख से ज्यादा लोगों ने समर्थन किया। इलेक्ट्रॉनिक फ्रंटियर फाउंडेशन की पिटीशन को 10 लाख से ज्यादा लोगों का समर्थन मिला। सायबर संसार में विचरण करने वालों ने इंटरनेट पर जो बगावत देखी उसकी तुलना किसी और कार्य से नहीं की जा सकती।