कुछ साल पहले मैने फेसबुक पर एक स्टेटस लिखकर मीडिया में काम करने वालों से जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की थी कि उनके संस्थान में सेवाशर्तें किस प्रकार की हैं। तब कुछ लोगों ने फोन से और कुछ ने मेल से जानकारी दी थी। पर यह जानकारी काफी कम थी। उन दिनों मैं इस विषय पर एक लम्बा आलेख लिखना चाहता था। यह काफी ब़ड़ा विषय है। इस विषय पर लिखते समय कम से कम चार तरह के दृष्टिकोणों को सामने रखा जाना चाहिए। एक, ट्रेड यूनियन का दृष्टिकोण, दूसरे मालिकों का नजरिया, तीन, सरकार की भूमिका और चार, पाठक का नजरिया। पाठक का नज़रिया इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दूसरे व्यवसायों से भिन्न है। यह कारोबार हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं के लिए सूचना और विचार का कच्चा माल तैयार करता है। इसमें पाठक एक महत्वपूर्ण कारक है।
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Tuesday, May 5, 2015
Wednesday, December 1, 2010
पुराने स्टाइल का मीडिया क्या परास्त हो गया है?
आईबीएन सीएनएन ने राडिया लीक्स और विकी लीक्स के बाद अपने दर्शकों से सवाल किया कि क्या पुराने स्टाइल के जर्नलिज्म को नए स्टाइल के मीडिया ने हरा दिया हैं? क्या है नए स्टाइल का जर्नलिज्म? सागरिका घोष की बात से लगता है कि नया मीडिया। यानी सोशल मीडिया, ट्विटर वगैरह।
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