Showing posts with label इमरान-सरकार. Show all posts
Showing posts with label इमरान-सरकार. Show all posts

Monday, March 28, 2022

इमरान ने हर तरह के कार्ड को खेला


पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने रविवार को राजधानी इस्लामाबाद की  रैली में अपने हर कार्ड को खेल लिया। इसमें उन्होंने अपने खिलाफ विदेशी साजिश का हवाला दिया, भुट्टो की मौत के लिए नवाज शरीफ को जिम्मेदार ठहराकर पीपीपी और पीएमएल-एन के बीच मतभेद पैदा करने की कोशिश की, बार-बार दीन का नाम लेकर धर्म का जमकर इस्तेमाल किया और अपने विरोधियों को भ्रष्ट और बेईमान साबित करने की पूरी कोशिश की। आज दिन में संसद में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव रखा जाएगा, जिसपर विचार के बाद संभव है कि 3 या 4 अप्रेल को इसपर मतदान हो।

उन्होंने कहा, "मैं अपने दिल की बात रखना चाहता हूं और मैं चाहता हूं कि आप ख़ामोशी से मुझे सुने। मैंने आपको अच्छाई का साथ देने के लिए बुलाया है। हमारे पाकिस्तान की बुनियाद इस्लामी कल्याणकारी राज्य की विचारधारा पर पड़ी थी। हमें अपने देश को रियासत-ए-मदीना के आधार पर बनाना है।" उन्होंने  कहा, "मुझसे लोग पूछते हैं कि आप दीन को सियासत के लिए क्यों इस्तेमाल करते हैं, तो मैं अपने दिल की बात कहूंगा कि आज से पच्चीस साल पहले जब मैंने अपनी पार्टी बनाई थी तो मैं सिर्फ़ इसलिए सियासत में आया तो मेरा एक मक़सद था कि मेरा मुल्क जिस नज़रिए के तहत बना था। जब तक हम अपने नज़रिए पर नहीं खड़े होंगे, हम एक राष्ट्र नहीं बन पाएंगे।"

इमरान ने कहा, "ब्रिटेन में फ्री मेडिकल इलाज मिलता है, फ्री शिक्षा मिलती है, बेरोज़गारों को फ़ायदे मिलते हैं और लोगों को फ्री क़ानूनी सलाह भी दी जाती है। हमारे पैगंबर ने रियासत-ए-मदीना में ऐसा ही निज़ाम बनाया था जहां राज्य लोगों का खयाल रखता था।"

सेना पर टिप्पणी

इमरान ने उन्होंने परोक्ष रूप से सेना की भूमिका पर भी टिप्पणी की। वे जबर्दस्त भीड़ को जमा करने में कामयाब हुए, जिससे साबित यह भी होता है कि उन्होंने हार मान ली है और अब आने वाले वक्त की राजनीति का संकेत दे रहे हैं, जो उन्होंने नवाज़ शरीफ के कार्यकाल में अपनाई थी। यानी कि वे अब विरोध में बैठकर आंदोलन का सहारा लेंगे।

इमरान ने अपनी इस रैली का नाम अम्र बिन मारूफ़ रखा है, जिसका मतलब होता है अच्छाई के साथ आओ। इस्लामाबाद के परेड ग्राउंड में अपने समर्थकों की भारी भीड़ को संबोधित करते हुए इमरान ख़ान ने कहा, मेरे ख़िलाफ़ बाहर से साज़िश की जा रही है और मैं  किसी की ग़ुलामी स्वीकार नहीं करूँगा। यह बात वे पिछले दो-तीन हफ्तों से कह रहे हैं। जब यूरोपियन यूनियन के राजदूतों ने यूक्रेन के मामले में समर्थन माँगते हुए पत्र लिखा, तब उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा कि हम किसी के गुलाम नहीं हैं। अमेरिका को लेकर भी वे यह बात बार-बार कह रहे हैं। उन्होंने कहा, "हमारे देश को हमारे पुराने नेताओं की करतूतों की वजह से धमकियां मिलती रही हैं। हमारे देश में अपने लोगों की मदद से लोगों तब्दील किया जाता रहा।"

इमरान ख़ान ने कहा, "ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो ने जब देश की विदेश नीति को आज़ाद करने की कोशिश की तो फजलुर्रहमान और नवाज़ शरीफ़ की पार्टियों ने अभियान चलाया जिसकी वजह से उन्हें फाँसी दे दी गई। आज उसी भुट्टो के दामाद और उनके नवासे दोनों कुर्सी के लालच में अपने नाना की क़ुर्बानी को भुलाकर उसके क़ातिलों के साथ बैठे हुए हैं।"

इमरान ने कहा, "मेरे ख़िलाफ़ साज़िश बाहर से की जा रही है, बाहर से हमारी विदेश नीति को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है। ये जो आज क़ातिल और मक़तूल इकट्ठा हो गए हैं, इन्हें इकट्ठा करने वालों का भी हमें पता है।"

Wednesday, March 23, 2022

संकट में इमरान, पाक-राजनीति में घमासान

कार्टून फ्राइडे टाइम्स से साभार
पाकिस्तान में इमरान सरकार के सामने परेशानियों के पहाड़ खड़े हो गए हैं। उनके खिलाफ संसद में अविश्वास-प्रस्ताव रखा गया है। उनके विरोधी एकजुट होकर उन्हें हर कीमत पर अपदस्थ करना चाहते हैं। शायद सेना भी ने भी उनकी पीठ पर से हाथ हटा लिया है। पूरे आसार हैं कि संसद में रखे गए अविश्वास प्रस्ताव में वे हार जाएंगे। इमरान सरकार को अभी तीन साल आठ महीने हुए हैं। लगता है कि पाँच साल का पूरा कार्यकाल इसके नसीब में भी नहीं है। विडंबना है कि पाकिस्तान में किसी भी चुने हुए प्रधानमंत्री ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है।  

इमरान खान की हार या जीत से ज्यादा महत्वपूर्ण है, पाकिस्तानी व्यवस्था का भविष्य। यह केवल वहाँ की आंतरिक राजनीति का मसला नहीं है, बल्कि विदेश-नीति में भी बड़े बदलावों का संकेत मिल रहा है। इमरान जीते या हारे, कुछ बड़े बदलाव जरूर होंगे। बदलते वैश्विक-परिदृश्य में यह बदलाव बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा। 

अविश्वास-प्रस्ताव

बताया जा रहा है कि 28 मार्च को अविश्वास-प्रस्ताव पर मतदान हो सकता है। इमरान खान की पार्टी तहरीके इंसाफ ने उसके एक दिन पहले 27 मार्च को इस्लामाबाद में विशाल रैली निकालने का एलान किया है। उसी रोज विरोधी ‘पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट’ की विशाल रैली भी इस्लामाबाद में प्रवेश करेगी। क्या दोनों रैलियों में आमने-सामने की भिड़ंत होगी? देश में विस्फोटक स्थिति बन रही है।

पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नून और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के करीब 100 सांसदों ने 8 मार्च को नेशनल असेंबली सचिवालय को अविश्वास प्रस्ताव दिया था। सांविधानिक व्यवस्था के तहत यह सत्र 22 मार्च या उससे पहले शुरू हो जाना चाहिए था, पर 22 मार्च से संसद भवन में इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) का 48वाँ शिखर सम्मेलन शुरू हुआ है, इस वजह से अविश्वास-प्रस्ताव पर विचार पीछे खिसका दिया गया है।

Saturday, March 6, 2021

इमरान सरकार बची, पर खतरा टला नहीं

युसुफ रजा गिलानी ने सीनेट की सीट जीतकर तहलका मचाया

 सीनेट चुनाव में हार के बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने वहाँ की राष्ट्रीय असेम्बली में विश्वासमत हासिल कर लिया है। शनिवार को हुए मतदान में उनके पक्ष में 178 वोट पड़े, जबकि विरोधी दलों ने मतदान का बहिष्कार किया। इमरान और उनकी पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ की निगाहें उन नेताओं पर रहीं जिन पर सीनेट चुनाव में पार्टी का साथ छोड़ विपक्ष का दामन थामने का आरोप लगाया गया था। जब वोट पड़े तो सरकार को आसानी से बहुमत मिल गया। 

इस जीत से इमरान सरकार बच तो गई है, पर ऐसा लग रहा है कि सेना ने खुद को तटस्थ बना लिया है। यों विश्वासमत के दो दिन पहले गुरुवार को इमरान देश के सेनाध्यक्ष और आईएसआई के प्रमुख से मिले थे। उसके बाद उन्होंने विश्वासमत हासिल करने की घोषणा की। विरोधी दल जानते हैं कि पीटीआई के पास अभी बहुमत है। उनकी लड़ाई सड़क पर चल रही है। देश पर छाया आर्थिक संकट अभी टला नहीं है। विदेश-नीति में भी इमरान को विशेष सफलता मिली नहीं है। सरकार के पास वैक्सीन खरीदने तक का पैसा नहीं है। उसकी अलोकप्रियता बढ़ती जा रही है।