दिल्ली का शाहीन बाग राष्ट्रीय सुर्खियों में है। पिछले
महीने की 15 तारीख से वहाँ दिन-रात एक धरना चल रहा है। यह धरना नागरिकता कानून और जामिया मिलिया और अलीगढ़ विवि के
छात्रों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के विरोध में शुरू हुआ था। इसे नागरिकता कानून के
खिलाफ सबसे बड़ा शांतिपूर्ण प्रदर्शन बताया जा रहा है। इस
आंदोलन के साथ प्रतिरोध से जुड़ी कविताएं, चित्र, नाटक और तमाम तरह की रचनात्मक
अभिव्यक्तियाँ देखने को मिल रही हैं। दूसरी तरफ इस धरने के कारण दिल्ली और नोएडा
को जोड़ने वाला महत्वपूर्ण मार्ग बंद है, जिससे बड़ी संख्या में लोगों को
परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। संयोग से दिल्ली विधानसभा के चुनाव नजदीक
हैं और लगता नहीं कि यह आंदोलन चुनाव परिणाम आने से पहले खत्म होगा।
यह धरना 14-15 दिसम्बर को इस इलाके में रहने वाली 15-20
महिलाओं ने शुरू किया था। देखते ही देखते यह राष्ट्रीय सुर्खियों में आ गया है। दिल्ली
पुलिस ने पिछले शुक्रवार को प्रदर्शनकारियों से अनुरोध किया कि वे सार्वजनिक हित
में इस रास्ते को खाली कर दें, ताकि यातायात शुरू हो सके। यह रास्ता दिल्ली को
नोएडा से जोड़ता है। स्कूली बच्चों, रोज कामकाज और दूसरे जरूरी काम के लिए
आने-जाने लोगों को परेशानी है। इस क्षेत्र में काफी बड़े शो रूम हैं, जो एक महीने
से ज्यादा समय से बंद पड़े हैं। काम करने वाले कर्मचारियों की दिहाड़ी की समस्या
खड़ी हो गई है। सरिता विहार रेज़ीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने इस रास्ते को खुलवाने
के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की तो शुक्रवार को अदालत ने दिल्ली पुलिस से कहा
कि वह रास्ता बंद होने की समस्या की ओर ध्यान दे।