आंदोलन को जारी रखने की घोषणा करते हुए बलवीर सिंह राजेवाल
देश में चल रहे किसान आंदोलन, उसकी राजनीति और अंतर्विरोध
अब ज्यादा स्पष्ट होने का समय आ गया है। तीन कानूनों की वापसी इसका एक पहलू था।
इसके साथ किसानों की दूसरी माँगें भी जुड़ी हैं। ये माँगे फिलहाल पंजाब और हरियाणा
के किसानों की नजर आती हैं, क्योंकि इनमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को
कानूनी रूप देने की माँग भी शामिल है।
कृषि क़ानूनों की वापसी की घोषणा के बाद नागरिकता संशोधन क़ानून को
लेकर भी आंदोलन फिर से शुरू करने की सुगबुगाहट है। अंग्रेज़ी अख़बार 'द हिंदू' के अनुसार असम
में सीएए के ख़िलाफ़ कई समूह फिर से जागे हैं और
12 दिसंबर को प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं।
उधर केंद्रीय कैबिनेट
24 नवंबर को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मंजूरी पर विचार करेगी। इसके
बाद कानूनों को वापस लेने वाले बिल संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किए जाएंगे।
संसद का सत्र 29 नवंबर से शुरू होने वाला है।
आंदोलन जारी रहेगा
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) का आंदोलन
फिलहाल जारी रहेगा। रविवार को यह फैसला मोर्चे की बैठक में लिया गया। भारतीय
किसान यूनियन राजेवाल के अध्यक्ष बलवीर सिंह राजेवाल और जतिंदर सिंह विर्क ने
बताया- 22 नवंबर को लखनऊ में महापंचायत बुलाई गई है। 26 नवंबर को काफी किसान आ रहे
हैं। 27 को आंदोलन के अगले कदम के बारे में विचार किया जाएगा।
इसके पहले संयुक्त किसान मोर्चा की नौ सदस्यीय
कोऑर्डिनेशन कमेटी की शनिवार बैठक हुई, जिसमें मोर्चा के शीर्ष नेता बलवीर सिंह
राजेवाल, डॉ. दर्शन पाल, गुरनाम
सिंह चढूनी, हन्नान मोल्ला, जगजीत
सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्काजी), युद्धवीर सिंह
आदि उपस्थित थे।
कुछ और माँगें
राजेवाल के मुताबिक, प्रधानमंत्री को खुला पत्र लिखा है, जिसमें कुछ मांगें की जाएंगी। ये हैं- एमएसपी-गारंटी बिल के लिए कमेटी बनाई जाए, बिजली के शेष बिल को रद्द किया जाए और पराली जलाने के लिए लाए गए कानून को रद्द किया जाए। पत्र में अजय मिश्र टेनी को लखीमपुर मामले का मास्टरमाइंड मानते हुए कहा गया है कि उन्हें पद से हटाकर गिरफ्तार किया जाए।