तकनीकी लिहाज से जब अर्थव्यवस्था में लगातार दो तिमाही संकुचन दिखाएं, उस स्थिति को मंदी कहते हैं। तकनीकी दृष्टि से भारतीय अर्थव्यवस्था मंदी में है। इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी का संकुचन 7.5 प्रतिशत है, जो बहुत से अंदेशों से बेहतर है, पर है तो संकुचन। देश के ज्यादातर विशेषज्ञ मानकर चल रहे थे कि यह संकुचन आठ फीसदी या उससे ज्यादा होगा। रिजर्व बैंक का अनुमान 8.6 फीसदी का था। मूडीज़ ने 10.6, केयर रेटिंग ने 9.9, क्रिसिल ने 12, इक्रा ने 9.5% और एसबीआई रिसर्च ने 10.7% की गिरावट का अनुमान जताया था।
इस संकुचन को नकारात्मक रूप से देखने के बाद यदि अर्थव्यवस्था को सकारात्मक
रूप से देखना चाहें, तो वह भी संभव है। चूंकि पहली तिमाही में संकुचन करीब 24
फीसदी था, इसलिए यह 7.5 फीसदी का संकुचन तेज रिकवरी की जानकारी भी देता है। केवल
पिछली तिमाही से तुलना करें, तो यह रिकवरी 20 फीसदी से भी ज्यादा की है। कहा जा
सकता है कि लॉकडाउन के कारण बंद हुई अर्थव्यवस्था ने तेजी से अपनी वापसी शुरू की
है।
जैसी आशा थी इस रिकवरी में सबसे बड़ी भूमिका खेती की है, जिसकी ग्रोथ 3.4 फीसदी की है। पर ज्यादा हैरत की बात है कि मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र भी संकुचन के बाह निकल आया है और उसमें 0.6 प्रतिशत की संवृद्धि दर्ज हुई है, जबकि अंदेशा था कि उसमें 9 प्रतिशत का संकुचन होगा। यह बाउंसबैक उम्मीद से ज्यादा साबित हुआ है।
इस तिमाही में
उद्योग क्षेत्र में 2.1, खनन क्षेत्र में 9.1 और विनिर्माण के क्षेत्र में 8.6 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। रिज़र्व बैंक के गवर्नर
ने 26 नवंबर को एक आयोजन के दौरान कहा था कि भारतीय
अर्थव्यवस्था उम्मीद से बेहतर तरीक़े से वापस पटरी पर आ रही है लेकिन यह देखे जाने
की ज़रूरत है कि यह रिकवरी टिकी रहे।
जीडीपी के
आंकड़ों पर कांग्रेस ने अपने ट्विटर हैंडल से कहा है कि अब भारत 'आधिकारिक' तौर पर मंदी में है। क्या
मोदी सरकार यह बताने की कृपा करेंगे कि उनके पास इस मंदी से उबरने की क्या योजना
है।
जुलाई-सितंबर की तिमाही में स्थिर मूल्यों (2011-12) पर जीडीपी का अनुमान 33.14 लाख करोड़ रुपए आंका गया है। एक साल पहले इसी अवधि में यह 35.84 लाख करोड़ रुपए था। यानी 7.5% की गिरावट है। 2019-20 की दूसरी तिमाही में 4.4% की ग्रोथ थी। राष्ट्रीय
सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) से जारी आंकड़ों के मुताबिक 2020-21 के पहले 6 महीनों (अप्रैल-सितंबर) के लिए स्थिर मूल्य (2011-12) पर जीडीपी का अनुमान 60.04 लाख करोड़ रुपए आंका गया है, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में
यह आंकड़ा 71.20 लाख करोड़ रुपए था। इसमें 15.7% की गिरावट पहली छमाही में दिखी
है। जबकि एक साल पहले इसमें 4.8% की संवृद्धि थी। 2020-21 के वर्तमान मूल्य पर जीडीपी का अनुमान 85.30 लाख करोड़ रुपए है
जबकि एक साल पहले यह 98.39 लाख करोड़ रुपए थी। इसमें 13.3% की गिरावट आई है। एक साल पहले
इसमें 7% की ग्रोथ थी।
जीडीपी के आंकड़ों से ठीक पहले
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के आर्थिक सलाहकार कार्यालय ने अक्टूबर, 2020 के लिए आठ कोर उद्योगों का सूचकांक जारी किया, जो 124.2 पर रहा जिसमें अक्टूबर 2019
की तुलना में 2.5 फीसदी (अनंतिम) की गिरावट दर्ज की गई। इनकी संचयी वृद्धि दर
अप्रैल-अक्टूबर, 2020-21 के (-) 13.0 प्रतिशत थी।
जुलाई, 2020 में आठ कोर उद्योगों के
सूचकांक की अंतिम वृद्धि दर को संशोधित कर (-) 7.6 % कर दिया गया है। औद्योगिक उत्पादन
सूचकांक (आईआईपी) में शामिल वस्तुओं के कुल भारांक (वेटेज) का 40.27 प्रतिशत
हिस्सा आठ कोर उद्योगों में ही निहित होता है।
अक्टूबर में जीएसटी 1.05 लाख करोड़ रुपए रहा है, जो एक साल
पहले की तुलना में ज्यादा रहा है। साथ ही देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई की रिपोर्ट
का अनुमान है कि नवंबर में जीएसटी 1.08 लाख करोड़ रुपए रहेगा। वैसे जुलाई
सितंबर के दौरान विश्व की ज्यादातर देशों की अर्थव्यवस्था में गिरावट ही रही है।
No comments:
Post a Comment