![]() |
कार्टून फ्राइडे टाइम्स से साभार |
इमरान खान की हार या जीत से ज्यादा महत्वपूर्ण
है, पाकिस्तानी व्यवस्था का भविष्य। यह केवल वहाँ
की आंतरिक राजनीति का मसला नहीं है, बल्कि विदेश-नीति में भी बड़े बदलावों का
संकेत मिल रहा है। इमरान जीते या हारे, कुछ बड़े बदलाव
जरूर होंगे। बदलते वैश्विक-परिदृश्य में यह बदलाव बेहद महत्वपूर्ण साबित
होगा।
अविश्वास-प्रस्ताव
बताया जा रहा है कि 28 मार्च को अविश्वास-प्रस्ताव
पर मतदान हो सकता है। इमरान खान की पार्टी तहरीके इंसाफ ने उसके एक दिन पहले 27
मार्च को इस्लामाबाद में विशाल रैली निकालने का एलान किया है। उसी रोज विरोधी
‘पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट’ की विशाल रैली भी इस्लामाबाद में प्रवेश करेगी।
क्या दोनों रैलियों में आमने-सामने की भिड़ंत होगी? देश
में विस्फोटक स्थिति बन रही है।
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नून और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के करीब 100 सांसदों ने 8 मार्च को नेशनल असेंबली सचिवालय को अविश्वास प्रस्ताव दिया था। सांविधानिक व्यवस्था के तहत यह सत्र 22 मार्च या उससे पहले शुरू हो जाना चाहिए था, पर 22 मार्च से संसद भवन में इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) का 48वाँ शिखर सम्मेलन शुरू हुआ है, इस वजह से अविश्वास-प्रस्ताव पर विचार पीछे खिसका दिया गया है।