गज़ा में इसराइली सेना की कार्रवाई से तबाही
मची है. दस हजार से ज्यादा फलस्तीनियों की मौत इस दौरान हुई है. मरने वालों में ज्यादातर
स्त्रियाँ, बच्चे और बूढ़े हैं. इलाके की दस फीसदी इमारतें खंडहरों में तब्दील हो चुकी
हैं. इसराइली नाकेबंदी की वजह से ईंधन, पेयजल, खाद्य-सामग्री और चिकित्सा-सामग्री
की जबर्दस्त किल्लत पैदा हो गई है, जिससे लाखों लोगों का जीवन खतरे में है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने लड़ाई फौरन रोकने का
प्रस्ताव पास किया है, पर उसके रुकने की संभावना नज़र आ नहीं रही है. इसराइली
प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू खून का बदला खून से लेने और हमास को नेस्तनाबूद
करने का दावा कर रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा है कि अब इसराइल गज़ा की सुरक्षा का
काम हमेशा के लिए अपने हाथ में रखेगा. इसराइली जनरल मानते हैं कि इस समय वे जिस अभियान को चला रहे हैं, वह करीब एक साल तक जारी रहेगा.
उन्हें अपने देश के लोगों का और पश्चिम के काफी
देशों का समर्थन प्राप्त है. इसका एक मतलब यह भी है कि गज़ा का कब्ज़ा अब
इसराइल नहीं छोड़ेगा, पर अमेरिका इस बात से पूरी तरह सहमत नहीं है. यह लड़ाई खत्म
होने के बाद क्या होगा, इस विषय पर जापान में जी-7 देशों के
विदेशमंत्री भी विचार कर रहे हैं.
दुनिया का और खासतौर से भारत का हित इस बात में
है कि समस्या का स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान हो. हमारा अनुभव है कि पश्चिम से उठी
कट्टरपंथी आँधियाँ हमारे इलाके में भी आग भड़काती हैं.