Showing posts with label राष्ट्रगान. Show all posts
Showing posts with label राष्ट्रगान. Show all posts

Thursday, March 19, 2015

जन,गण मन और आमार बांग्ला...


भारत और बांग्लादेश के इस मैच के पहले बजाए गए दोंनों देशों के राष्ट्रगान एक ही लेखक के लिखे हुए थे। दोनों के गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर का लिखा है। जनगण मन और आमार शोनार बांग्ला की भावना भी ेक जैसी है। इन दोनों राष्ट्रगीतों के बारे में हम काफी कुछ जानते हैं। हमें पाकिस्तान के राष्ट्रगीत के बारे में भी जानना चाहिए। 

आज़ादी के समय पाकिस्तान के पास कोई राष्ट्र-गीत नही था। इसलिए जब भी ध्वज वन्दन होता " पाकिस्तान जिन्दाबाद, आज़ादी पाइन्दाबाद" के नारे लगते थे। शुरुआती दिनों में तराना-ए-पाकिस्तान के नाम से एक गीत प्रचलित था। हालंकि पाकिस्तान सरकार के रिकॉर्ड्स में इसका विवरण नहीं मिलता। इस गीत के बारे में कहा जाता है कि मुहम्मद अली जिन्ना चाहते थे कि पाकिस्तान के राष्ट्र-गीत को रचने का काम शीघ्र ही पूरा करना चाहिए। उनके सलाह कारों ने उनको अनेक जानेमाने उर्दू शायरों के नाम सुझाए जो गीत रच सकते थे। लेकिन जिन्ना साहब का सोच कुछ और ही थी। वे दुनिया के सामने पाकिस्तान की धर्मनिरपेक्ष छवि स्थापित करना चाहते थे। उन्होने लाहौर के  श्रेष्ठ उर्दू शायर और मूलरूप से हिन्दू जगन्नाथ आज़ाद से निवेदन किया कि आप पाकिस्तान के लिए राष्ट्र-गीत लिखें। जगन्नाथ आज़ाद तैयार हो गए। गाने के बोल थे -

ऐ सरज़मी ए पाक जर्रे तेरे हैं आज सितारो से तबनक रोशन है कहकशाँ से कहीं आज तेरी खाक
वास्तव में यह गीत वहाँ के राष्ट्रगीत का दर्जा पा सका था या नहीं और जिन्ना ने इसे लिखवाया था या नहीं यह सब विवाद का विषय है। 

जिन्ना की मृत्यु के बाद पाकिस्तान सरकार ने एक राष्ट्र-गीत कमेटी बनाई। जाने माने शायरो के पास से गीत के नमूने मंगवाए। लेकिन कोई भी गीत राष्ट्र-गीत के लायक नही बन पा रहा था। आखिरकार पाकिस्तान सरकार ने 1950 मे अहमद चागला द्वारा रचित धुन को राष्ट्रीय धुन के रूप मे मान्यता दी। उसी समय ईरान के शाह पाकिस्तान की यात्रा पर आए और उन्होने धुन को काफी पसंद किया। यह धुन पाश्चात्य अधिक लगती थी, लेकिन राष्ट्र-गीत कमेटी का मानना था कि इसका यह स्वरूप पाश्चात्य समाज मे अधिक स्वीकृत होगा। सन 1954 में उर्दू शायर हाफ़िज़ जलन्धरी ने इस धुन के आधार पर एक गीत की रचना की। यह गीत राष्ट्र-गीत कमेटी के सदस्यों को पसंद भी आया। और आखिरकार हाफ़िज़ जलन्धरी का लिखा गीत पाकिस्तान का राष्ट्र-गीत बना। 'पाक सरज़मीन' को उर्दू में "क़ौमी तराना" (قومی ترانہ) कहा जाता है। जैसे कि पाकिस्तान की किसी भी चीज के साथ होता है इसका भी भारत कनेक्शन है। हफीज़ जालंधरी का जालंधर भारत में है। यह सन् 1954 में पाकिस्तान का राष्ट्रगान बना। इस राष्ट्रगान में भी पाकिस्तान को मातृभूमि के रूप से माना गया है। इसके शुरुआती शब्द हैंः-

पाक सरज़मीन शाद बाद
किश्वर-ए-हसीन शाद बाद
तू निशान-ए-अज़्म-ए-आलिशान
अर्ज़-ए-पाकिस्तान!
मरकज़-ए-यक़ीन शाद बाद

Sunday, May 5, 2013

राष्ट्रगान के रिकॉर्ड बनाने से ज्यादा मिलकर काम करें

राष्ट्रगान के विश्व रिकॉर्ड बनाने से काम चलता हो तो भारत को सिर्फ चीन ही पछाड़ पाएगा, पर हमारी प्रतियोगिता पाकिस्तान से चल रही है। 6 मई को हमारे यहाँ नया विश्व रिकॉर्ड बनने जा रहा है। पर क्या इस विश्व रिकॉर्ड के बाद हमारा समाज ज्यादा समझदार, विवेकशील और कल्याणकारी हो जाएगा। हमें सबके लिए अच्छी शिक्षा, सबके लिए अच्छा स्वास्थ्य और सुशासन चाहिए। पर हमारे यहाँ एक के बाद एक खुलते घोटाले कुछ और कहानी कहते हैं। ठीक है राष्ट्रगीत गाइए, पर गीतों की भावना को जीवन में भी उतारिए। वर्ना यह सब पाखंड भर साबित होगा। इस विषय में मैने इसके पहले एक पोस्ट लिखी थी, उसे नीचे पढ़ें


25 जनवरी 2012 औरंगाबाद

20 अक्टूबर 2012 लाहौर

केवल राष्ट्र्गान गाने से काम चलता हो तो पाकिस्तान ने गिनीज़ बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के अंतर्गत विश्व रिकॉर्ड कायम कर लिया है। शनिवार 20 अक्टूबर को लाहौर के नेशनल हॉकी स्टेडियम में 44,200 लोगों ने एक साथ खड़े होकर देश का राष्ट्रगान गाया। पाकिस्तान के लिए एक उपलब्धि यह भी थी कि उसने इस मामले में भारत का रिकॉर्ड तोड़ा था। 25 जनवरी 2012 को महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के डिवीज़नल स्पोर्ट्स ग्राउंड में 15,243 लोगों ने एक साथ खड़े होकर वंदे मातरम गाया था। वह कार्यक्रम लोकमत मीडिया कम्पनी ने आयोजित किया था। उसके पहले 14 अगस्त 2011 को पाकिस्तान के कराची शहर में 5,857 लोगों ने एक साथ अपना राष्ट्रगान गाया था। इस रिकॉर्ड को कायम करने के लिए फेसबुक और ट्विटर की मदद ली गई थी।

शनिवार को लाहौर में कायम किए गए विश्व रिकॉर्ड में पाकिस्तान के पंजाब सूबे के मुख्यमंत्री शाहबाज़ शरीफ भी शामिल थे। राष्ट्रगान और समूहगान हमें एक जुट होने की प्रेरणा देते हैं। हाल में मलाला युसुफज़ई प्रकरण में पाकिस्तान की सिविल सोसायटी ने एकता का परिचय दिया था। इस एकता की दिशा बदहाली और बुराइयों से लड़ने की होनी चाहिए। हम होंगे कामयाब जैसे समूहगान चमत्कारी हो सकते हैं बशर्ते हमारी सामूहिक पहलकदमी में दम हो। सम्भव है कल भारत में कोई इससे भी बड़ी भीड़ से राष्ट्रगान गवाने में कामयाब हो जाए, पर असल बात भावना की है।
राष्ट्रगान के विश्व रिकॉर्ड

Sunday, October 21, 2012

राष्ट्रगान के विश्व रिकॉर्ड

25 जनवरी 2012 औरंगाबाद

20 अक्टूबर 2012 लाहौर
केवल राष्ट्रगान गाने से काम चलता हो तो पाकिस्तान ने गिनीज़ बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के अंतर्गत विश्व रिकॉर्ड कायम कर लिया है। शनिवार 20 अक्टूबर को लाहौर के नेशनल हॉकी स्टेडियम में 44,200 लोगों ने एक साथ खड़े होकर देश का राष्ट्रगान गाया। पाकिस्तान के लिए एक उपलब्धि यह भी थी कि उसने इस मामले में भारत का रिकॉर्ड तोड़ा था। 25 जनवरी 2012 को महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के डिवीज़नल स्पोर्ट्स ग्राउंड में 15,243 लोगों ने एक साथ खड़े होकर वंदे मातरम गाया था। वह कार्यक्रम लोकमत मीडिया कम्पनी ने आयोजित किया था। उसके पहले 14 अगस्त 2011 को पाकिस्तान के कराची शहर में 5,857 लोगों ने एक साथ अपना राष्ट्रगान गाया था। इस रिकॉर्ड को कायम करने के लिए फेसबुक और ट्विटर की मदद ली गई थी।

शनिवार को लाहौर में कायम किए गए विश्व रिकॉर्ड में पाकिस्तान के पंजाब सूबे के मुख्यमंत्री शाहबाज़ शरीफ भी शामिल थे। राष्ट्रगान और समूहगान हमें एक जुट होने की प्रेरणा देते हैं। हाल में मलाला युसुफज़ई प्रकरण में पाकिस्तान की सिविल सोसायटी ने एकता का परिचय दिया था। इस एकता की दिशा बदहाली और बुराइयों से लड़ने की होनी चाहिए। हम होंगे कामयाब जैसे समूहगान चमत्कारी हो सकते हैं बशर्ते हमारी सामूहिक पहलकदमी में दम हो। सम्भव है कल भारत में कोई इससे भी बड़ी भीड़ से राष्ट्रगान गवाने में कामयाब हो जाए, पर असल बात भावना की है।

पाकिस्तान में 44,200 ने एक साथ गाया राष्ट्रगान