प्रसिद्ध पत्रिका ‘इकोनॉमिस्ट’
ने लिखा है, आप कल्पना करें कि किसी टैक्सी में बैठे हैं और ड्राइवर
तेजी से चलाते हुए एक दीवार की और ले जाए और उससे कुछ इंच पहले रोककर कहे कि तीन
महीने बाद भी ऐसा ही करूँगा। अमेरिकी संसद द्वारा अंतिम क्षण में डैट सीलिंग पर
समझौता करके फिलहाल सरकार को डिफॉल्ट से बचाए जाने पर टिप्पणी करते हुए पत्रिका ने
लिखा है कि इस लड़ाई में सबसे बड़ी हार रिपब्लिकनों की हुई है। डैमोक्रैटिक पार्टी
को समझ में आता था कि अंततः इस संकट की जिम्मेदारी रिपब्लिकनों पर जाएगी। उन्होंने
हासिल सिर्फ इतना किया कि लाभ पाने वालों की आय की पुष्टि की जाएगी। पर क्या डैमोक्रेटों
की जीत इतने भर से है कि बंद सरकार खुल गई और डिफॉल्ट का मौका नहीं आया? वे हासिल सिर्फ इतना कर पाए कि डैट सीलिंग तीन महीने के लिए बढ़ा दी गई।
अब तमाशा नए साल पर होगा। यह संकट यों तो अमेरिका का अपना संकट लगता है, पर इसमें
भविष्य की कुछ संभावनाएं भी छिपीं हैं। अमेरिकी जीवन की महंगाई हमारे जैसे देशों
के लिए अच्छा संदेश लेकर भी आई है। कम से कम स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में हम न
केवल विश्व स्तरीय है, बल्कि खासे किफायती भी हैं। इसके पहले अमेरिका में आर्थिक
प्रश्नों पर मतभेद सरकार के आकार, उसके ख़र्चों और अमीरों पर टैक्स लगाने को लेकर
होते थे, पर इस बार ओबामाकेयर का मसला था।