Showing posts with label विभाजन. Show all posts
Showing posts with label विभाजन. Show all posts

Thursday, August 17, 2023

भारत-पाकिस्तान एकसाथ ‘15 अगस्त’ क्यों नहीं मनाते?

पाकिस्तान की स्वतंत्रता की पहली वर्षगाँठ पर जारी डाक टिकट, जिसमें स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त बताया गया है। 

भारत और पाकिस्तान के टाइम-ज़ोन अलग-अलग हैं. स्वाभाविक है, दोनों की भौगोलिक स्थितियाँ अलग हैं, इसलिए टाइम-ज़ोनभी अलग हैं, पर दोनों के स्वतंत्रता दिवस अलग क्यों हैं?  एक दिन आगे-पीछे क्यों मनाए जाते हैं, जबकि दोनों ने एक ही दिन स्वतंत्र देश के रूप में जन्म लिया था? इसके पीछे पाकिस्तानी सत्ता-प्रतिष्ठान की खुद को भारत से अलग नज़र आने की चाहत है.

पाकिस्तान में एक तबका खुद को भारत से अलग साबित करने पर ज़ोर देता है. उन्हें लगता है कि हम भारत के साथ एकता को स्वीकार कर लेंगे, तो इससे हमारे अलग अस्तित्व के सामने खतरा पैदा हो जाएगा. उनकी कोशिश होती हैं कि देश के इतिहास को भी केवल इस्लामी इतिहास के रूप में पेश किया जाए. सरकारी पाठ्य-पुस्तकों में इतिहास का काफी काट-छाँटकर विवरण दिया जाता है.

बेशक, यह न तो पूरे देश की राय है और न संज़ीदा लेखक, विचारक ऐसा मानते हैं, पर एक तबका ऐसा ज़रूर है, जो भारत से अलग नज़र आने के लिए कुछ भी करने को आतुर रहता है. इस इलाके में एकता से जुड़े जो सुझाव आते हैं, उनमें दक्षिण एशिया महासंघ बनाने, एक-दूसरे के यहाँ आवागमन आसान करने, वीज़ा की अनिवार्यता खत्म करने और कलाकारों, खिलाड़ियों तथा सांस्कृतिक-सामाजिक कर्मियों के आने-जाने की सलाह दी जाती है.

1857 की वर्षगाँठ

इन सलाहों पर अमल कौन और कब करेगा, इसका पता नहीं, अलबत्ता 14 और 15 अगस्त के फर्क से पता लगता है कि किसी को न बातों पर आपत्ति है. 2006-07 में जब भारत में 1857 की क्रांति की 150वीं वर्षगाँठ मनाई जा रही थी, तब एक प्रस्ताव था कि भारत-पाकिस्तान और बांग्लादेश तीनों मिलकर इसे मनाएं, क्योंकि ये तीनों देश उस संग्राम के गवाह हैं.

जनवरी 2004 में दक्षेस देशों के इस्लामाबाद में हुए 12वें शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सुझाव दिया था कि क्यों न हम 2007 में 1857 की 150वीं वर्षगाँठ तीनों देश मिलकर मनाएं. पाकिस्तान के विदेश विभाग के प्रवक्ता मसूद खान से जब यह सवाल पूछा गया, तब उन्होंने कहा, इसका जवाब है नहीं. उसके अगले दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री ज़फरुल्ला खां जमाली ने कहा, देखते हैं विचार करेंगे. वैसे पाकिस्तान 1857 को दूसरी निगाह से देखता है.

बहरहाल दोनों देशों के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हमारा सवाल बनता है कि हम मिलकर एक ही दिन अपना स्वतंत्रता-दिवस क्यों नहीं मनाते? इसके जवाब में अजब-गजब बातें कही जाती हैं.

एक दिन पहले शपथ

भारत 15 अगस्त, 1947 को आजाद हुआ, तो पाकिस्तान भी उसी दिन आज़ाद हुए. भ्रम केवल इस बात से है कि पाकिस्तान की संविधान सभा में गवर्नर जनरल और वायसरॉय लॉर्ड माउंटबेटन का भाषण और उसके बाद का रात्रिभोज 14 अगस्त को हुआ था.

चूंकि भारत ने अपना कार्यक्रम मध्यरात्रि से रखा था, इसलिए यह सम्भव नहीं था कि वे कराची और दिल्ली में एक ही समय पर उपस्थित हो पाते. किसी ने ऐसा सोचा होता, तो शायद दोनों देशों की सीमा पर 14-15 की मध्यरात्रि को एक ऐसा समारोह कर लिया जाता, जिसमें दोनों देशों का जन्म एकसाथ होता.

शायद इस वजह से 14 अगस्त की तारीख को चुना गया, पर 14 अगस्त को पाकिस्तान बना ही नहीं था. शपथ दिलाने से पाकिस्तान बन नहीं गया, वह 15 को ही बना. तब पाकिस्तान ने 15 अगस्त को ही स्वतंत्रता दिवस मनाया और कई साल तक 15 को मनाया.

Sunday, November 28, 2021

विभाजन को लेकर मोहन भागवत के बयान का मतलब क्या है?

 


राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि विभाजन की पीड़ा का समाधान, विभाजन को निरस्त करने में है। इस बात का अर्थ क्या है, इसे उन्होंने स्पष्ट नहीं किया है, पर कम से कम दो अर्थ निकाले जा सकते हैं। पहला और सीधा अर्थ यही है कि विभाजन के सिद्धांत को निरस्त करते हुए भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश फिर से एक राजनीतिक इकाई के रूप में जुड़ जाएं।

दूसरा अर्थ यह है कि 1947 में स्वतंत्र हुआ भारत एक और विभाजन से बचने की कोशिश करे। शायद उन्होंने दूसरे अर्थ में यह बात भारत के मुसलमानों से कही है। आशय यह भी है कि एक और विभाजनकारी धारणा पनप रही है। उन्होंने कहा है कि हमारा अस्तित्व दुभंग यानी दो हिस्से होकर नहीं चल सकता।

कृष्णानंद सागर की किताब, 'विभाजन कालीन भारत के साक्षी' के विमोचन के दौरान मोहन भागवत ने नोएडा में हुए एक समारोह में यह बात कही है। उन्होंने कहा कि यह 2021 का भारत है, 1947 का नहीं। विभाजन एक बार हुआ था, दोबारा नहीं होगा। जो ऐसा सोचते हैं उनको खुद विभाजन झेलना पड़ेगा। भागवत ने सबको इतिहास पढ़ने और उसे मान लेने की भी हिदायत दी। उन्होंने कहा, विभाजन का दर्द तब तक नहीं मिटेगा जब तक यह रद्द नहीं होगा।'

विभाजन का खतरा

भागवत ने यह भी कहा कि हम लोगों को स्वतंत्रता मिली है संपूर्ण दुनिया को कुछ देने के लिए और संपूर्ण दुनिया को कुछ देने लायक हम तब हो जाएंगे जब अपने इतिहास के इस दुराध्याय को उलटकर हम अपने परम वैभव का मार्ग चलने लगेंगे। विभाजन के पीछे कुछ परिस्थितियां जरूर थीं, लेकिन इसका सबसे बड़ा कारण इस्लाम और ब्रिटिश आक्रमण ही था। इस विभाजन से कोई भी खुश नहीं है और न ही ये किसी संकट का उपाय था।

Sunday, May 6, 2018

हमारे ‘हीरो’ नहीं हैं जिन्ना


अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्रसंघ के हॉल में लगी मुहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर के विवाद की रोशनी में हम अपने साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के कुछ स्रोतों को देख सकते हैं। एक दलील है कि जिन्ना की वजह से देश का विभाजन हुआ। स्वतंत्र भारत में उनकी तस्वीर के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। यह माँग बीजेपी के एक सांसद ने की है, इसलिए एक दूसरा पक्ष भी खड़ा हो गया है। वह कहता है कि तस्वीर नहीं हटेगी। जिन्ना भारतीय इतिहास का हिस्सा हैं। आजादी के बाद से अब तक इस तस्वीर के लगे रहने से भारतीय राष्ट्रवाद को कोई ठेस नहीं लगी, तो अब क्या लगेगी?

इस बीच सोशल मीडिया पर संसद भवन में लगी एक तस्वीर वायरल हुई है। इस तस्वीर में देश के कुछ महत्वपूर्ण राजनेताओं के साथ जिन्ना भी नजर आ रहे हैं। वायरल-कर्ताओं का सवाल है कि संसद भवन से भी क्या जिन्ना की तस्वीर हटाओगे? इस तस्वीर में जिन्ना के साथ जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी नज़र आते हैं। जिन्ना की तस्वीर हटती या नहीं हटती, उसकी खबर मीडिया में नहीं आई होती, तो हंगामा नहीं होता। अब हंगामा हो चुका है। अब फैसला कीजिए कि करें क्या? पहली बार में ही इसे हटा देना चाहिए था। सोचिए कि इस हंगामे से किसका भला हुआ? कुछ लोग हिन्दुओं के एक वर्ग को यह समझाने में कामयाब हुए हैं कि मुसलमानों का तुष्टीकरण हो रहा है और दूसरी ओर मुसलमानों के एक तबके के मन में यह बैठाया जा रहा है कि भारत में उनका रहना दूभर है। 

Tuesday, June 27, 2017

कश्मीर पर इंटरनेट सामग्री

कश्मीर को लेकर हाल में इंटरनेट पर उपलब्ध सामग्री को मैने एक जगह सूचीबद्ध किया है। यदि आपकी दिलचस्पी इस संग्रह को और बेहतर बनाने में है तो आप इसके कमेंट सेक्शन में लिंक लगा सकते हैं। मैं उन्हें मुख्य आलेख में लगा दूँगा।






Kashmir Questions By AG Noorani

Kashmir talks: Reality & Myth

Post cold war US Policy on Kashmir

Security Council Resolution 47

मुशर्रफ ने कहा, हमने जनमत संग्रह के प्रस्ताव से किनारा कर लिया है
AG Noorani

Arundhati Roy


Kashmir : The unwritten history

Guardian's report on BalochistanCurfew without end


Three generations of Azadi