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Friday, April 16, 2021

कैसे रुकेगी दूसरी लहर?


भारत में कोरोना की पहली लहर 16 सितम्बर 2020 को अपने उच्चतम स्तर पर पहुँची और उसके बाद उसमें कमी आती चली आई। फिर फरवरी के तीसरे सप्ताह से दूसरी लहर आई है, जिसमें संक्रमितों की संख्या दो लाख के ऊपर चली गई है। यह संख्या कहाँ तक पहुँचेगी और इसे किस तरह रोका जाए? इस आशय के सवाल अब पूछे जा रहे हैं। अखबार द हिन्दू की ओर से पत्रकार आर प्रसाद ने गौतम मेनन और गिरिधर बाबू से इस विषय पर बातचीत की, जिसका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:  

आपको क्या लगता है, दूसरी लहर कब तक अपने उच्चतम स्तर (पीक) पर होगी? और जब यह पीक होगी, तब दैनिक संक्रमणों की संख्या क्या होगी?

गौतम मेनन: यह बताना बहुत मुश्किल है। पहले यह जानकारी होनी चाहिए कि फिर से इंफेक्शन का स्तर क्या है और बीमारी से बाहर निकलने वालों का इम्यून स्तर क्या है।  अलबत्ता इतना स्पष्ट है कि नए वेरिएंट काफी तेजी से फैल रहे हैं और उनका प्रसार पिछली बार से ज्यादा तेज है। मुझे लगता है कि स्थितियाँ सुधरने के पहले काफी बिगड़ चुकी होंगी। हमें हर रोज करीब ढाई लाख नए केस देखने पड़ेंगे। इसका उच्चतम स्तर इस महीने के त या अगले महीने के पहले हफ्ते में होगा।

तमाम राज्यों में आवागमन पर बहुत कम रोक हैं। क्या संक्रमण रोकने के लिए आवागमन पर रोक लगनी चाहिए?

गौतम मेनन: हमें अंतर-राज्य आवागमन पर रोक लगानी चाहिए। पर यह रोक तभी लगाई जा सकेगी, जब पता हो कि नए वेरिएंट का प्रसार कितना है। मेरी समझ से नए मामलों की संख्या नए वेरिएंट के कारण है। यदि उनका प्रसार हो चुका है, तो यात्रा पर रोक लगाने से भी कुछ नहीं होगा। हमें डेटा की जरूरत है। इसके अलावा मास्किंग, धार्मिक और राजनीतिक कार्यक्रमों की फिक्र करनी होगी, जिनपर पूरी तरह रोक लगनी चाहिए। मेरी समझ से अंतर-राज्य और राज्य के भीतर भी लोगों के आवागमन को रोकना चाहिए।

गिरिधर बाबू: मुझे लगता है कि हमने देर कर दी है। फरवरी के पहले और दूसरे हफ्ते में हमने देख लिया था कि संक्रमण संख्या बढ़ रही है। हमें पता था कि किन जगहों पर ऐसा हो रहा है। हमें वहीं पर जेनोमिक सीक्वेंसिंग और एपिडेमियोलॉजिकल जाँच करनी चाहिए थी। बावजूद इसके कि जेनोमिक सीक्वेंसिंग के परिणाम हालांकि मार्च के तीसरे सप्ताह में मिल गए थे।  

Monday, August 31, 2020

क्या अब कोरोना के अंत का प्रारम्भ है?


विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि कोरोनावायरस महामारी 1918 के स्पेनिश फ्लू की तुलना में कम समय तक रहेगी। संगठन के प्रमुख टेड्रॉस गैब्रेसस ने गत 21 अगस्त को कहा कि यह महामारी दो साल से कम समय में  खत्म हो सकती है। इसके लिए दुनियाभर के देशों के एकजुट होने और एक सर्वमान्य वैक्सीन बनाने में सफल होने की जरूरत है। जो संकेत मिल रहे हैं उनके अनुसार जो पाँच छह उल्लेखनीय वैक्सीन परीक्षणों के अंतिम दौर से गुजर रही हैं, उनमें से दो-तीन जरूर सफल साबित होंगी। कहना मुश्किल है कि सारी दुनिया को स्वीकार्य वैक्सीन कौन सी होगी, पर डब्लूएचओ के प्रमुख का बयान हौसला बढ़ाने वाला है।

इतिहास लिखने वाले कहते हैं कि महामारियों के अंत दो तरह के होते हैं। एक, चिकित्सकीय अंत। जब चिकित्सक मान लेते हैं कि बीमारी गई। और दूसरा सामाजिक अंत। जब समाज के मन से बीमारी का डर खत्म हो जाता है। कोविड-19 का इन दोनों में से कोई अंत अभी नहीं हुआ है, पर समाज के मन से उसका भय कम जरूर होता जा रहा है। यानी कि ऐसी उम्मीदें बढ़ती जा रही हैं कि इसका अंत अब जल्द होगा। डब्लूएचओ का यह बयान इस लिहाज से उत्साहवर्धक है।

Tuesday, August 25, 2020

कोरोना-संहारक रामबाण की प्रतीक्षा

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गत 11 अगस्त को घोषणा की कि उनके देश की स्वास्थ्य विनियामक संस्था ने दुनिया की पहली कोरोना वायरस वैक्सीन के इस्तेमाल की अनुमति दे दी है। यह खबर बेहद सनसनीखेज है। इसलिए नहीं कि बहुत बड़ी चीज दुनिया के हाथ लग गई है, बल्कि इसलिए कि ज्यादातर विज्ञानियों ने इस फैसले को खतरनाक बताया है। वैज्ञानिक मानते हैं कि अभी यह सवाल नहीं है कि यह वैक्सीन कारगर होगी या नहीं, बल्कि चिंता इस बात पर है कि इसके परीक्षण का एक महत्वपूर्ण चरण छोड़ दिया गया है।

विश्व के तमाम देशों को रूसी वैक्सीन से उम्मीदें और आशंकाएं हैं। आखिर रूस इतनी जल्दबाजी क्यों दिखा रहा है? ऐसी ही जल्दबाजी चीन भी दिखा रहा है? ऐसा नहीं कि जल्दी बाजार में आने से किसी देश को ज्यादा आर्थिक लाभ मिल जाएगा। अंततः सफल वही वैक्सीन होगी, जिसकी साख सबसे ज्यादा होगी। और लगता है कि अब वह समय आ रहा है, जब तीसरे चरण को पार करके सफल होने वैक्सीन की घोषणा भी हो जाए। अगले दो-तीन महीने इस लिहाज से महत्वपूर्ण हैं।