पिछले
मंगलवार को संसद भवन में सरदार पटेल के जन्मदिवस के सिलसिले में हुए समारोह की
तस्वीरें अगले रोज के अखबारों में छपीं। ऐसी तस्वीरें भी थीं, जिनमें राहुल गांधी
नरेन्द्र मोदी के सामने से होकर गुजरते नजर आते हैं। कुछ तस्वीरों से लगता था कि
मोदी की तरफ राहुल तरेर कर देख रहे हैं। यह तस्वीर तुरत सोशल मीडिया में वायरल हो
गई। यह जनता की आम समझ से मेल खाने वाली तस्वीर थी। दुश्मनी, रंज़िश और मुकाबला
हमारे जीवन में गहरा रचा-बसा है। मूँछें उमेठना, बाजुओं को फैलाना, ताल ठोकना और
ललकारना हमें मजेदार लगता है।
जाने-अनजाने
हमारी लोकतांत्रिक शब्दावली में युद्ध सबसे महत्वपूर्ण रूपक बनकर उभरा है। चुनाव
के रूपक संग्राम, जंग और लड़ाई के हैं। नेताओं के बयानों को ब्रह्मास्त्र और
सुदर्शन चक्र की संज्ञा दी जाती है। यह आधुनिक लोकतांत्रिक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा
नहीं लगती, बल्कि महाभारत की सामंती लड़ाई जैसी लगती है। इस बात की हम कल्पना ही
नहीं करते कि कभी सत्तापक्ष किसी मसले पर विपक्ष की तारीफ करेगा और विपक्ष किसी
सरकारी नीति की प्रशंसा करेगा।