कांग्रेस का नया पोस्टर है ‘राहुल जी के नौ हथियार दूर करेंगे भ्रष्टाचार।’ इन पोस्टरों में नौ कानूनों के नाम हैं। इनमें से तीन पास हो चुके हैं और
छह को संसद के अगले अधिवेशन में पास कराने की योजना है। यह पोस्टर कांग्रेस
महासमिति में राहुल गांधी के भाषण से पहले ही तैयार हो गया था। राहुल का यह भाषण
आने वाले लोकसभा चुनाव का प्रस्थान बिन्दु है। इसका मतलब है कि पार्टी ने ‘कोर्स करेक्शन’ किया है। हाल में हुए विधानसभा के
चुनावों तक राहुल मनरेगा, सूचना और शिक्षा के अधिकार, खाद्य सुरक्षा और कंडीशनल
कैश ट्रांसफर को ‘गेम चेंजर’ मानकर चल
रहे थे। ग्राम प्रधान को वे अपने कार्यक्रमों की धुरी मान रहे थे। पर 8 दिसंबर को
आए चुनाव परिणामों ने बताया कि शहरों और मध्य वर्ग की अनदेखी महंगी पड़ेगी।
सच यह है कि कोई पार्टी उदारीकरण को राजनीतिक प्रश्न बनाने
की हिम्मत नहीं करती। विकास की बात करती है, पर इसकी कीमत कौन देगा यह नहीं बताती।
राजनीतिक समझ यह भी है कि भ्रष्टाचार का रिश्ता उदारीकरण से है। क्या राहुल इस
विचार को बदल सकेंगे? कॉरपोरेट सेक्टर नरेंद्र मोदी की ओर देख रहा है। दिल्ली में ‘आप’ की सफलता ने साबित किया कि शहर, युवा, महिला,
रोजगार, महंगाई और भ्रष्टाचार छोटे मुद्दे नहीं हैं। 17 जनवरी की बैठक में सोनिया
गांधी ने अपनी सरकार की गलतियों को स्वीकार करते हुए मध्य वर्ग से नरमी की अपील
की। और अब कांग्रेस के प्रवक्ता बदले गए हैं। ऐसे चेहरे सामने आए हैं जो आर्थिक
उदारीकरण और भ्रष्टाचार विरोधी व्यवस्थाओं के बारे में ठीक से पार्टी का पक्ष रख
सकें।