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Monday, July 29, 2019

हर साल बाढ़ झेलने को अभिशप्त क्यों है बिहार?


बिहार में बाढ़ की विभीषिका विकराल रूप ले रही है. इसकी वजह से कई गाँवों का अस्तित्व समाप्त हो गया है. सवा सौ से ज्यादा लोगों की मृत्यु की पुष्टि सरकार ने की है. न जाने कितनों की जानकारी ही नहीं है. पिछले हफ्ते जारी सूचना के अनुसार, आकाशीय बिजली गिरने से बिहार के अलग-अलग जिलों में 39 और झारखंड में 12 लोगों की मौत हुई है. करीब 82 लाख की आबादी बाढ़ से प्रभावित है. विडंबना है कि उत्तर बिहार और सीमांचल के 13 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं, तो 20 जिलों पर सूखे का साया है. दोनों आपदाओं के पीड़ितों को राहत पहुंचाने की चुनौती है. पानी उतरने के बाद बीमारियों का खतरा ऊपर से है.
असम और उत्तर प्रदेश से भी बाढ़ की विभीषिका की खबरें हैं. असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक 33 जिलों में से 20 जिलों में बाढ़ से 38.82 लाख लोग प्रभावित हैं. केंद्रीय जल आयोग के अनुसार बिहार में बूढ़ी गंडक, बागमती, अधवारा समूह, कमला बलान, कोसी, महानंदा और परमान नदी अलग-अलग स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. पश्चिम बंगाल के निचले इलाकों में भी भारी बारिश के कारण बाढ़ जैसे हालात बन रहे हैं.
बिहार के बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव के काम चल रहे हैं. अभी पीड़ित परिवारों को छह-छह हजार रुपये की मदद सीधे खातों में भेजी जा रही है. इसके बाद खेती से नुकसान का आकलन होगा और किसान फसल सहायता और कृषि इनपुट सब्सिडी के जरिए मदद की जाएगी. आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार सीतामढ़ी, शिवहर, मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, सहरसा, सुपौल, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया और  कटिहार जिलों में बाढ़ है. सीतामढ़ी में सबसे ज्यादा 37 लोगों की मौत हुई है.

Tuesday, July 23, 2019

प्रकृति को मत कोसो, प्रबंधकों से पूछो


असम और बिहार के काफी बड़े हिस्से में बाढ़ आई हुई है। बिहार के 12 जिलों के 102 प्रखंडों में बाढ़ का पानी फैला हुआ है, जिससे 66 लाख से ज्यादा की जनसंख्या प्रभावित है। इस साल बारिश देर से हुई है, जिसकी वजह से बाढ़ की खबरें कुछ देर से मिल रही हैं, वर्ना ये खबरें हर साल की हैं। कुछ दिन पहले सूखे की खबरें थीं, बल्कि आज भी हैं। कुछ दिन पहले मुम्बई शहर के लोग गर्मी से परेशान थे। मना रहे थे कि बारिश जल्द से जल्द हो। और जब हुई, तो शहर पानी में डूब गया।
एक टीवी चैनल दिल्ली की खबर दिखा रहा था, जिसमें एक ट्रैक्टर वाला 10-10 रुपये सवारी के रेट से पानी से भरी सड़क पार करा रहा था। देश की राजधानी और कोसी की बाढ़ के दर्द अलग-अलग हैं, पर दर्द है जो खत्म होकर नहीं दे रहा। इस साल समुद्र के किनारे बसे चेन्नई शहर में पीने का पानी खत्म हो गया। स्पेशल ट्रेन से वहाँ पानी भेजा गया। 2015 में वहाँ भारी वर्ष के कारण पूरा शहर पानी में डूब गया था। इस साल गर्मी वहाँ की सवा करोड़ आबादी को पानी का महत्व समझा गई।