कांग्रेस पार्टी के प्रदर्शन और अंदरूनी बहस के बाहर निकल कर आने के बाद भीतर से अब सुगबुगाहट सुनाई पड़ रही है। मंगलवार 24 नवंबर को पार्टी की केंद्रीय चुनाव प्राधिकार (सीईए) की बैठक में पार्टी अध्यक्ष तथा कार्यसमिति के सदस्यों के चुनावों को लेकर विचार किया गया। सीईए अब तक तीन बैठकें हो चुकी हैं। अनुमान है कि चुनाव कार्यक्रम इस साल के अंत तक तैयार हो जाएगा, पर अखिल भारतीय कांग्रेस महासमिति (एआईसीसी) की बैठक फरवरी के पहले होने की संभावना नहीं है। इधर अहमद पटेल के निधन के बाद पार्टी की आंतरिक संरचना पर भी फर्क पड़ने की संभावनाएं हैं।
यह बैठक इसलिए
महत्वपूर्ण है, क्योंकि दो दिन पहले ही गुलाम नबी आजाद ने एकबार फिर से पार्टी
नेतृत्व को निशाना बनाया। बिहार चुनाव और राज्यों में हुए उपचुनाव में
कांग्रेस की हार के बाद गुलाम नबी आजाद के अलावा कपिल सिब्बल, तारिक अनवर और पी चिदंबरम
ने भी अंतर्मंथन की माँग की है। तारिक अनवर ने कहा कि पार्टी हार
के कारणों पर विचार करेगी।
सीईए के एक वरिष्ठ सदस्य ने द हिन्दू को बताया कि अगले 20-25 दिन में मतदाता सूची तैयार हो जाएगी। चुनाव गोपनीय मतदान के माध्यम से होंगे। हमें इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए 25 दिन और चाहिए। जैसे ही कार्यसमिति की अनुमति होगी, चुनाव प्रक्रिया शुरू कर देंगे। फिलहाल मतदाता सूची बनने के बाद इसकी जानकारी पार्टी अध्यक्ष को सौंपेंगे, जिसके बाद का फैसला उन्हें करना है। सीईए के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री हैं और उसमें कर्नाटक के कृष्ण बायरे गौडा, तमिलनाडु से लोकसभा सदस्य एस जोतिमणि, दिल्ली के अरविंदर सिंह लवली और उत्तर प्रदेश के राजेश कुमार मिश्रा शामिल हैं।
मधुसूदन मिस्त्री
ने मीडिया को बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष के लिए चुनाव में प्रदेश कांग्रेस
कमेटियों के प्रतिनिधि मतदान करते हैं जैसा 2017 में हुआ था। चूंकि यह
चुनाव कार्यकाल के बीच में हो रहा है इसलिए नियमानुसार एआईसीसी यानी अखिल भारतीय
कांग्रेस कमिटी के सदस्य मतदान करेंगे। इनकी संख्या लगभग 1500 है। सभी मतदाताओं को डिजिटल परिचय पत्र दिया जाएगा।
हालांकि यह साफ किया गया है कि मतदान मतपत्रों के जरिए करवाया जाएगा ऑनलाइन या
डिजिटल तरीके से नहीं। अध्यक्ष के साथ ही सीडब्ल्यूसी यानी कांग्रेस कार्यसमिति के
सदस्यों का चुनाव भी होना है। कुल 12 सीडब्ल्यूसी के सदस्यों
का चुनाव किया जाना है। इनमें कम से कम चार सदस्य महिलाएं, और कम से कम दो सदस्य अनुसूचित जाति, जनजाति और अल्पसंख्यक वर्ग से आते हैं।
एआईसीसी के
सदस्यों के लिए डिजिटल पहचान पत्र तैयार किए जाएंगे। सन 2017 सदस्यता का आधार वर्ष
है। 1500 से ऊपर सदस्यों की सूची को अपडेट करने की प्रक्रिया कुछ राज्यों में चल
रही है। कुछ राज्यों में यह काम पूरा हो चुका है। यदि पार्टी अध्यक्ष के लिए
गैर-गांधी परिवार का कोई व्यक्ति सामने आया, तो नवंबर 2000 के बाद पहला ऐसा मौका
होगा। उस साल सोनिया गांधी के सामने जितेंद्र प्रसाद चुनाव लड़े थे और हार गए थे। उसके
बाद से पार्टी में परिवार को चुनौती किसी ने नहीं दी है।
पिछले दिनों 23
नेताओं का एक पत्र सामने आया था, जिसके बाद यह बहस शुरू हुई है। गत 24 अगस्त को उस
सिलसिले में हुई कार्यसमिति की बैठक में फैसला किया गया कि यदि महामारी के हालात
अनुमति देंगे, तो छह महीने के भीतर सांगठनिक चुनाव करा लिए जाएंगे। महामारी के बीच
पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन अपने आप में चुनौती भरा काम है। अलबत्ता कहा
जा रहा है कि अगले होने वाले बंगाल समेत पांच राज्यों के चुनाव से पहले नया
अध्यक्ष कमान संभाल ले।
उम्मीद जताई जा
रही है कि फरवरी तक पार्टी को नया पूर्णकालिक अध्यक्ष मिल जाएगा। दिलचस्पी इस बात
को लेकर है कि क्या राहुल गांधी की पार्टी अध्यक्ष के तौर पर वापसी होगी या फिर
करीब 23 साल के बाद गांधी परिवार के बाहर का कोई नेता
कांग्रेस अध्यक्ष बनेगा? पिछले साल लोकसभा चुनाव
में हार के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था।
इसके करीब ढाई महीने बाद अगस्त में सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया था।
राहुल गांधी पार्टी
अध्यक्ष की जिम्मेदारियों से तो मुक्त हो गए लेकिन पार्टी के फैसलों और
कार्यक्रमों में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही। उनकी वरीयता सूची में बहुत से नए
नेता आगे हैं और कुछ पुराने नेता, पीछे चले गए हैं। शायद इसी उपेक्षा से असंतुष्ट कुछ
नेताओं ने सोनिया गांधी के नाम पत्र लिख कर संगठनात्मक चुनाव करवाने की मांग की थी।
इस टीवी चर्चा को भी देखें
आगे-आगे देखिए होता है क्या?
ReplyDeleteजोर लगा कर हैशा जैसा कुछ करें।
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