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Saturday, February 12, 2011

मिस्री बदलाव का निहितार्थ

 हुस्नी मुबारक का पतन क्या मिस्र में लोकतंत्र की स्थापना का प्रतीक है? मेरा ख्याल है कि मिस्र की परीक्षा की घड़ी अब शुरू हो रही है। हुस्नी मुबारक क्या अकेले तानाशाही चला रहे थे? वे सत्ता की कुंजी जिनके पास छोड़ गए हैं क्या वे लोकतंत्र की प्रतिमूर्ति हैं? मिस्र का दुर्भाग्य है कि वहाँ लम्बे अर्से से अलोकतांत्रिक व्यवस्था चल रही थी। लोकतंत्र जनता की मदद से चलता है पर उसकी संस्थाएं उसे चलातीं हैं। भारत में लोकतांत्रिक संस्थाएं खासी मजबूत हैं, फिर भी आए दिन घोटाले सामने आ रहे हैं।मिस्र को अभी काफी लम्बा रास्ता तय करना है। हाँ एक बात ज़रूर है कि इस आंदोलन से राष्ट्रीय आम राय ज़रूर बनी है।