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Tuesday, October 26, 2021

हंगर इंडेक्स पर भारत की चिंताजनक फिसलन

हाल में स्वास्थ्य और कुपोषण को लेकर जारी हुए हंगर इंडेक्स को लेकर अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और भारत सरकार के बीच जो मतभेद उभरे हैं, वे गम्भीर प्रकृति के हैं। गिरावट पिछले चार-पाँच वर्षों से देखी जा रही है। इस वर्ष के वैश्विक क्षुधा (भूख) सूचकांक (जीएचआई-2021) के अनुसार भारत का रैंक 94 से गिरकर 101 हो गया है। भारत के लिए इसमें अपमानजनक दो बातें हैं। एक, यह सूचकांक 116 देशों का है, जिसका मतलब यह हुआ कि भारत दुनिया के निम्नतम स्तर पर है। दूसरे हमारे पड़ोसी देश, खासतौर से पाकिस्तान और बांग्लादेश भी इसमें हमसे ऊपर हैं। पिछले साल यह रैंक 94 जरूर था, पर 2017 के बाद से यह रैंक 100 से 103 के बीच रहता है। 

‘वैश्विक भुखमरी सूचकांक', भुखमरी की समीक्षा करने वाली वार्षिक रिपोर्ट को आयरलैंड स्थित एक एजेंसी ‘कंसर्न वर्ल्डवाइड’ और जर्मनी के एक संगठन ‘वेल्ट हंगर हिल्फे’ द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया जाता है। इसका उद्देश्य वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तरों पर भुखमरी की समीक्षा करना है। जीएचआई स्कोर चार संकेतकों के आधार पर निकाला जाता है: 1.अल्पपोषण, 2.चाइल्ड वेस्टिंग, 3.चाइल्ड स्टंटिंग और 4.बाल मृत्यु दर।

इन चार संकेतकों का मान 0 से 100 तक के पैमाने पर भुखमरी को निर्धारित करता है। जहाँ ‘0’ सबसे अच्छा स्कोर (भुखमरी नहीं) है और ‘100’ सबसे खराब। इन संकेतकों से संबंधित आँकड़ों के लिए विश्व खाद्य संगठन, विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र से प्राप्त सूचनाओं का उपयोग किया गया है। ये अंतर्राष्ट्रीय संगठन राष्ट्रीय डेटा का उपयोग करते हैं। भारत के संदर्भ में, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के डेटा का उपयोग किया जाता है।

भारत का विरोध

भारत के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कहा है कि भारत के रैंक को कम करना जमीनी वास्तविकता और तथ्यों से रहित है। रिपोर्ट का प्रकाशन करने वाली एजेंसियों ने उचित अध्ययन नहीं किया और रैंकिंग के लिए इस्तेमाल की गई पद्धति ‘अवैज्ञानिक’ है। सरकार के अनुसार उन्होंने ‘चार प्रश्न’ के एक जनमत सर्वेक्षण के परिणामों पर अपना मूल्यांकन किया है, जो गैलप द्वारा टेलीफोन पर किया गया था।