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Sunday, October 3, 2021

जी-23 वाले क्या चाहते हैं?

 


कपिल सिब्बल ने यह कहकर कि पार्टी में इस समय कोई अध्यक्ष नहीं है, एक बड़ी और उत्तेजक बात कह दी है। वास्तव में सोनिया गांधी अध्यक्ष हैं, पर सिब्बल का आशय है कि यह जाग्रत अवस्था नहीं है। कपिल सिब्बल जी-23 में शामिल हैं और पिछले कुछ समय से सबसे ज्यादा मुखर भी हैं। वे पार्टी के भीतर सुधार चाहते हैं और गांधी परिवार को चुनौती भी देते रहते हैं। उन्होंने 29 सितम्बर को प्रेस कांफ्रेंस में कहा, हम जी-23 हैं, जी हुजूर-23 नहीं।

आज के हिन्दू में प्रोफाइल्स के तहत जी-23 के बारे में संदीप फूकन ने रोचक जानकारी दी है। इसके जवाब में चाँदनी चौक से आए कुछ लोगों ने उनके घर के बाहर नारेबाजी की और टमाटर फेंके। चाँदनी चौक, कपिल सिब्बल का चुनाव-क्षेत्र है।

कांग्रेस बनाम कांग्रेस के इस टकराव में गांधी परिवार के समर्थक मानते हैं कि संकट के समय में गांधी परिवार के कारण ही पार्टी जुड़ी रह सकती है, अन्यथा टूट जाएगी। जी-23 में गुलाम नबी आज़ाद, शशि थरूर, मनीष तिवारी, आनन्द शर्मा, मुकुल वासनिक, भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, वीरप्पा मोइली, पृथ्वीराज चह्वाण, पीजे कुरियन, रेणुका चौधरी, मिलिन्द देवड़ा, जितिन प्रसाद, राजिन्दर कौर भट्टल, अखिलेश प्रसाद सिंह, राज बब्बर, अरविंदर सिंह लवली, कौल सिंह ठाकुर, कुलदीप शर्मा, योगानन्द शास्त्री, संदीप दीक्षित, अजय सिंह, विवेक तन्खा और कपिल सिब्बल के नाम हैं। जितिन प्रसाद पार्टी छोड़ चुके हैं और पीजे कुरियन ने खुद को इस ग्रुप से अलग कर लिया है।

हालांकि जी-23 से जुड़े नेताओं ने गांधी-नेहरू परिवार के प्रति अपनी वफादारी से इनकार नहीं किया है, पर वे इनके फैसलों, खासतौर से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के तौर-तरीकों के प्रति अपनी असहमति जताते रहते हैं। इन फैसलों में पंजाब का नवजोत सिद्धू से जुड़ा फैसला और कन्हैया कुमार का पार्टी में प्रवेश भी शामिल है।

Wednesday, September 29, 2021

कैप्टेन की अमित शाह से मुलाकात, कपिल सिब्बल ने फिर बोला नेतृत्व पर हमला


आजतक की वैबसाइट पर खबर है कि कैप्टेन जी-23 के नेताओं से भी मुलाकात करेंगे। इस खबर को पढ़ें यहाँ। इस वक्त की दूसरी बड़ी खबर कपिल सिब्बल का बयान है, जिसमें उन्होंने जी-23 की पुरानी माँगों को दोहराया है। पंजाब में संकट का सामना कर रही कांग्रेस पर अब दिल्ली में उसके वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने ही सवाल उठा दिया है। कपिल सिब्बल ने राहुल गांधी पर इशारों में हमला बोलते हुए कहा कि जो उनके करीबी थे
, वे भी साथ छोड़कर जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जितिन प्रसाद, ज्योतिरादित्य सिंधिया और ललितेश त्रिपाठी जैसे बड़े नेता हमें छोड़कर जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी में फिलहाल जिस तरह के हालात हैं, उस पर चर्चा करने के लिए कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बुलाई जानी चाहिए। सिब्बल ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे पास फिलहाल कोई अध्यक्ष तक नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें जल्द से जल्द एक निर्वाचित अध्यक्ष की जरूरत है।

बुधवार की शाम गृहमंत्री अमित शाह के साथ कैप्टेन अमरिंदर की मुलाकात के बाद कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। क्या वे बीजेपी में शामिल होंगे? मीडिया में कई तरह के कयास हैं। अमर उजाला की वैबसाइट पर प्रतिभा ज्योति ने लिखा है कि वह कौन सी शर्त है, जो कैप्टन को भाजपा में खींच सकती है? अमरिंदर भाजपा में शामिल हुए तो दोनों को क्या फायदा होगा?

इस रोचक खबर को पढ़ें यहाँ

Tuesday, August 10, 2021

राहुल गांधी की अनुपस्थिति में कपिल सिब्बल के घर हुई बैठक के मायने


सोमवार 9 अगस्त को कपिल सिब्बल के घर पर विरोधी-नेताओं की बैठक चर्चा का विषय बन गई है। 15 पार्टियों के क़रीब 45 नेता रात्रिभोज के लिए कपिल सिब्बल के घर पर जमा हुए। इनमें कुछ सांसद भी थे। इसके एक दिन पहले ही कपिल सिब्बल का 73वाँ जन्मदिन मनाया गया था। माना जाता है कि सोनिया गांधी को लिखे गए 23 नेताओं के पत्र के पीछे कपिल सिब्बल प्रमुख प्रस्तावक थे। उन्हें उन नेताओं में शुमार किया जाता है जो राहुल गांधी के तौर-तरीकों से असहमत हैं। इस बैठक के बाद कांग्रेस पार्टी के भीतर सुगबुगाहट है कि इस तरह से बैठक बुलाना क्या सही था?

हर रंग के विरोधी

बैठक में शामिल नेताओं में लालू यादव, शरद पवार, अखिलेश यादव, पी चिदंबरम, डेरेक ओब्रायन, कल्याण बनर्जी, सीताराम येचुरी, डी राजा और संजय राउत, डीएमके के तिरुचि शिवा, जयंत चौधरी, उमर अब्दुल्ला शामिल थे। इनके अलावा बीजेडी के पिनाकी मिश्रा, अकाली दल के नरेश गुजराल, और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह भी शामिल हुए। टीडीपी, टीआरएस और वाईएसआर कांग्रेस और आरएलडी के नेता भी इनमें थे। इनमें वे पार्टियां शामिल हैं, जो अमूमन विरोधी-दलों बैठकों बुलाई नहीं जातीं या फिर आती नहीं हैं। हाल में राहुल गांधी ने नाश्ते पर बुलाया था तो आम आदमी पार्टी शामिल नहीं हुई थी और बीजेडी, टीडीपी, टीआरएस और वाईएसआर कांग्रेस को बुलाया नहीं गया था।

राहुल गांधी सोमवार को ही दो दिवसीय दौरे पर कश्मीर गए हैं और इस बीच ये डिनर हुआ है। इतने महत्वपूर्ण नेताओं की बैठक में उनकी अनुपस्थिति अटपटी लगती है। इस डिनर में कांग्रेस के जी-23 के कुछ सदस्य भी शामिल हुए, जिनमें गुलाम नबी आज़ाद, भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, शशि थरूर, मुकुल वासनिक, पृथ्वीराज चह्वाण और संदीप दीक्षित के नाम प्रमुख हैं। पी चिदंबरम भी मौजूद थे, हालांकि उनकी गिनती जी-23 में नहीं होती।

Tuesday, November 24, 2020

कांग्रेस फिर से सवालों के घेरे में

 कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व को लेकर फिर से सवाल उठे हैं। इनके पीछे फौरी कारण है बिहार में पार्टी को मिली विफलता, पर स्थायी कारण है नेतृत्व से जुड़ा सवाल। केवल बिहार की बात ही नहीं है, बल्कि 11 राज्यों में हुए उपचुनाव भी हैं, जहाँ 59 सीटों पर मुकाबला था। बिहार में एक नई बात यह हुई कि उसका मुस्लिम आधार भी आंशिक रूप से खिसक कर असदुद्दीन ओवेसी की पार्टी मजलिस-ए-इत्तहादुल मुस्लिमीन की तरफ चला गया। इस बीच कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आजाद ने अपने सवाल फिर से उठाए हैं। वहीं पी चिदंबरम और तारिक अनवर जैसे वरिष्ठ नेताओं ने कहा है कि हमें अंतर्मंथन करना चाहिए। और जैसाकि हमेशा से होता रहा है, कांग्रेस के भीतर से जैसे ही अंतर्मंथन की आवाजें सुनाई पड़ती हैं, तब उन्हें गांधी-नेहरू परिवार के खिलाफ विद्रोह की संज्ञा दे देती जाती है। पार्टी के भीतर से कोई नेता खड़ा होकर ये बातें करता है। इस बार अशोक गहलोत और सलमान खुर्शीद ने कहा है कि इन बातों को पार्टी फोरमों के भीतर उठाना चाहिए। जब यह सवाल राजदीप सरदेसाई ने कपिल सिब्बल से किया, तो उन्होंने कहा किस फोरम में उठाएं? 

Monday, November 16, 2020

कांग्रेस के भविष्य पर फिर एक और सवाल


कांग्रेस का वरिष्ठ नेता सिब्बल ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा, बिहार चुनाव और दूसरे राज्यों के उपचुनावों के हाल के प्रदर्शन पर कांग्रेस पार्टी (के शीर्ष नेतृत्व) के विचार अब तक सामने नहीं आए हैं। शायद उन्हें लगता है कि सब ठीक है और इसे सामान्य घटना ही माना जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी ने शायद हर चुनाव में पराजय को ही अपनी नियति मान लिया है। और यह भी कहा कि लोग शायद अब कांग्रेस को बीजेपी का विकल्प मानते ही नहीं।  

इससे पहले बिहार कांग्रेस के बड़े नेता तारिक अनवर ने कहा था कि बिहार चुनाव परिणाम पर पार्टी में अंतर्मंथन होना चाहिए। इस दौरान आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने इशारों-इशारों में कहा कि कांग्रेस देशभर में अपने गठबंधन सहयोगियों पर बोझ बनती जा रही है। उसकी वजह से हर जगह गठबंधन का खेल खराब हो रहा है।

कपिल सिब्बल के पूरे इंटरव्यू को पढ़ें, तो उससे किसी झुंझलाए व्यक्ति की प्रतिक्रिया नहीं लगती है, पर इतना लगता है कि शायद पार्टी के भीतर उनका संवाद ज्यादा नहीं है। उनकी यह बात ध्यान देने वाली है कि जब विचार का कोई फोरम नहीं है, तब मैं अपनी बात सार्वजनिक रूप से कहने को बाध्य हूँ। उनकी बात से यह नहीं मान लिया जाना चाहिए कि पार्टी नेतृत्व अपनी उपलब्धियों या विफलताओं पर विचार नहीं करता, पर इतना जरूर लगता है कि नेतृत्व के स्तर पर भी पार्टी में या तो ध्रुवीकरण हो रहा है या कपिल सिब्बल जैसे लोग हाशिए हैं।