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Thursday, September 28, 2023

भारत-कनाडा रिश्ते और अमेरिका की भूमिका

ग्लोबल टाइम्स में कार्टून

भारत-कनाडा रिश्तों में बढ़ती तपिश अब भारत और अमेरिका के रिश्तों पर भी पड़ेगी। भारत के विदेशमंत्री एस जयशंकर इस समय अमेरिका में हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा की सालाना बैठक में परोक्ष रूप से कनाडा और पश्चिमी देशों के पाखंड का उल्लेख करते हुए कहा है कि हर बात की एक पृष्ठभूमि भी होती है। उसे भी समझें। वस्तुतः पश्चिमी देश हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के आरोपों का जिक्र तो कर रहे हैं, पर इन देशों में चल रही भारत-विरोधी गतिविधियों का उल्लेख नहीं कर रहे हैं।

आज जयशंकर की मुलाकात अमेरिका के विदेशमंत्री एंटनी ब्लिंकन से होगी। जयशंकर ने कहा है कि हमारी नीति इस किस्म की हत्याएं कराने की नहीं है। हमारे सामने ठोस तथ्य रखे जाएंगे, तभी हम कुछ कह पाएंगे। उधर अमेरिकी प्रवक्ता ने कहा है कि हमने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। बहरहाल लगता यह है कि अमेरिका अपनी चीन-विरोधी रणनीति में भारत का इस्तेमाल करना चाहता है, पर इस मामले में अमेरिकी इंटेलिजेंस ने ही कनाडा को कुछ जानकारियाँ दी हैं। सवाल है कि क्या अमेरिका डबल गेम खेल रहा है? यह कहा जा रहा है कि जी-20 की बैठक के दौरान अमेरिका ने भी नरेंद्र मोदी के सामने निज्जर का मामला उठाया था।

दूसरी तरफ इन दिनों चीनी मीडिया लगातार अमेरिकी पाखंड का उल्लेख कर रहा है। चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने चार रिपोर्टें (एक, दो, तीन और चार) इस आशय की जारी की हैं, जिनमें भारत-कनाडा प्रकरण के बहाने अमेरिका के पाखंड का जिक्र किया गया है। 

Tuesday, July 4, 2023

खालिस्तानी आंदोलन के पीछे है पाकिस्तान

रविवार 2 जुलाई को अमेरिका में सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय कौंसुलेट में कुछ खालिस्तान समर्थकों ने आग लगाने की कोशिश की। उधर कनाडा में भारतीय राजनयिकों के खिलाफ खालिस्तान-समर्थकों के पोस्टर लगे हैं। ऐसीी घटनाओं को लेकर भारत के विदेशमंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूके जैसे मित्र देशों से अनुरोध किया है कि वे खालिस्तानी तत्वों को स्पेस न दें। हाल में ऐसी घटनाएं बढ़ी हैं। हाल में कुछ खालिस्तानी नेताओं की  रहस्यमय मौत भी हुई है। शायद उनके बीच आपसी झगड़े भी हैं।

बहुत से लोगों को लगता है कि खालिस्तानी आंदोलन भारत के भीतर से निकला है और उसका असर उन देशों में भी है, जहाँ भारतीय रहते हैं। गहराई से देखने पर आप पाएंगे कि यह आंदोलन पाकिस्तानी सत्ता-प्रतिष्ठान की देन है और वहाँ से ही इस आंदोलन को प्राणवायु मिल रही है। इस आंदोलन के प्रणेताओं ने अपने खालिस्तान का जो नक्शा बनाया है, उसमें लाहौर और ननकाना साहिब जैसी जगहें शामिल नहीं हैं, जो पाकिस्तान में हैं।

गत 6 मई को पाकिस्तान से खबर आई कि आतंकी संगठन खालिस्तान कमांडो फोर्स के मुखिया परमजीत सिंह पंजवड़ की लाहौर में हत्या कर दी गई। उसे जौहर कस्बे की सनफ्लावर सोसाइटी में घुसकर गोलियां मारी गईं। पंजवड़ 1990 से पाकिस्तान में शरण लेकर बैठा था और उसे पाकिस्तानी सेना ने सुरक्षा भी दे रखी थी। बताते हैं कि सुबह 6 बजे बाइक पर आए दो लोगों ने इस काम को अंजाम दिया और फिर वे फरार हो गए।

यह खबर दो वजह से महत्वपूर्ण है। पंजवाड़ का नाम आतंकवादियों की उस सूची में शामिल है, जिनकी भारत को तलाश है। दाऊद इब्राहीम की तरह वह भी पाकिस्तान में रह रहा था, पर वहाँ की सरकार ने कभी नहीं माना कि वह पाकिस्तान में है। भारत सरकार ने नवंबर, 2011 में 50 ऐसे लोगों की सूची पाकिस्तान को सौंपी थी, जिनकी तलाश है। गृह मंत्रालय ने 2020 में जिन नौ आतंकियों की लिस्ट जारी की थी, उनमें पंजवड़ का नाम आठवें नंबर पर था।

Sunday, March 26, 2023

खालिस्तानी आंदोलन के खतरे


भारत सरकार और पंजाब सरकार ने खालिस्तानी आंदोलन के खिलाफ हालांकि कार्रवाई शुरू की है, पर लगता है कि इसमें कुछ देर की गई है। दो-तीन साल से जिस बात की सुगबुगाहट थी, वह खुलकर सामने आ रहा है। दिल्ली की सीमा पर एक साल तक चले किसान-आंदोलन के दौरान सोशल मीडिया पर खालिस्तान समर्थक सक्रिय हुए थे। 26 जनवरी, 2021 को लालकिले के द्वार तोड़कर जब भीड़ ने अपना झंडा फहराया था, तब मसले की गंभीरता की आशंका व्यक्त की गई थी। उन्हीं दिनों टूलकिट-प्रकरण उछला, जिसे सबसे पहले स्वीडिश जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने सोशल मीडिया पर शेयर किया था। किसान आंदोलन शुरू होने के पहले ही पंजाब में पाकिस्तान से भेजे गए ड्रोनों की मदद से हथियार गिराने की घटनाएं हुई थीं। कनाडा स्थित कुछ समूहों ने सन 2018 से ‘रेफरेंडम-2020’ नाम से एक अभियान शुरू किया था, जिसके लक्ष्य बहुत खतरनाक हैं। हालांकि यह रेफरेंडम सफल नहीं हुआ, पर इससे साबित हुआ कि दुनिया में भारत-विरोधी गतिविधियाँ चल रही हैं। उन्हें जब भारत के भीतर समर्थन नहीं मिला, तो बाहर से अपने आदमी को प्लांट किया। इन बातों का सकारात्मक पक्ष यह है कि सिख समुदाय ने इन प्रवृत्तियों का विरोध  किया है।

अमृतपाल की भरती

इन बातों का संदर्भ अमृतपाल सिंह के नेतृत्व में हुई घटनाएं और फिर उसकी गिरफ्तारी की कोशिशों से जुड़ा है। पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 1 सितंबर 2022 को एक सभा के दौरान अमृतपाल सिंह पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा कि अमृतपाल दुबई से आया है और उसका पूरा परिवार दुबई में है। ऐसे में उसे भारत किसने भेजा? इसका पता लगाना पंजाब की आप सरकार की जिम्मेदारी है। अमृतपाल की अगुआई में उसके हजारों समर्थकों ने गत 23 फरवरी को अमृतसर के अजनाला थाने पर जिस तरह से हमला किया था, उसके बाद उनके इरादों को लेकर कोई संशय नहीं रह गया था। अमृतपाल दुबई में ट्रक ड्राइवर था। उसे पाकिस्तानी आईएसआई ने भारत में गड़बड़ी फैलाने के लिए तैयार किया। वे चाहते हैं कि पंजाब की नई पीढ़ी के मन में उन्माद भरा जाए, ताकि एकबार फिर से देश में अराजकता की लहर फैले जैसी अस्सी के दशक में पंजाब में चले खालिस्तानी आंदोलन के दौरान फैली थी। उसकी परिणति 1984 के ऑपरेशन ब्लूस्टार और इंदिरा गांधी की हत्या के रूप में देखने को मिली थी। उन परिघटनाओं से पैदा हुआ गर्द-गुबार छँट ही रहा था कि भारत की एकता से ईर्ष्या रखने वालों ने दूसरी योजनाओं पर काम शुरू कर दिया।

सीमा पर हरकतें

भारतीय खुफिया एजेंसियों का कहना है कि पाकिस्तान से सक्रिय आतंकी ग्रुप सोशल मीडिया में काफी एक्टिव है और वे युवाओं को बरगला कर आतंकी संगठन में शामिल होने के लिए मना रहे हैं। इन संगठनों का इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है। इस काम में पंजाब और कश्मीर के उन अपराधियों को भी शामिल किया जा रहा है, जो नशे का अवैध कारोबार करते हैं। हाल में पंजाब से सटी पाकिस्तानी सीमा आईएसआई  की गतिविधियों में इजाफा देखने को मिल रहा है। पाक रेंजर्स और आईएसआई की मदद से सीमा के नजदीक कई जगहों पर भारत में ड्रग्स और हथियार भेजने के लिए स्मगलरों और आतंकियों को ड्रोन्स मुहैया कराए गए हैं। फ़िरोज़पुर और अमृतसर के बीच कई पाकिस्तानी ड्रोन-गतिविधि काफी बढ़ गई है। पाकिस्तान की तरफ से सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देने के लिए डमी ड्रोन्स का सहारा भी लिया जा रहा है।

Tuesday, February 16, 2021

दिशा रवि मामले की पृष्ठभूमि

निकिता जैकब, दिशा रवि और ग्रेटा थनबर्ग

बेंगलुरु की पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को 14 फरवरी को दिल्ली की एक अदालत ने पांच दिनों की पुलिस-रिमांड में भेज दिया है। दिल्ली पुलिस ने उन्हें टूलकिट केस में गिरफ्तार किया था। दिशा पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया है। उसकी गिरफ्तारी का अब देशभर में विरोध हो रहा है। सोशल मीडिया पर लोग इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम ने भी दिशा की गिरफ्तारी की आलोचना की है और कहा है कि जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि राष्ट्र के लिए खतरा बन गई है
, तो इसका मतलब है कि भारत बहुत ही कमजोर नींव पर खड़ा है। गिरफ्तारी का समर्थन करने वालों की संख्या भी काफी बड़ी है। कोई नहीं चाहेगा कि लोकतांत्रिक तरीके से आवाज उठाने वालों का दमन किया जाए, पर यह तो समझना ही होगा कि उन्हें गिरफ्तार करने के पीछे के कारण क्या हैं। 

यह हैरान करने वाली घटना है। पर्यावरण से जुड़े मसलों पर काम करने वाली दिशा ने रुंधे गले से अदालत को कहा कि मैं किसी साजिश में शामिल नहीं थी और कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में किसानों का सिर्फ समर्थन कर रही थी। दिल्ली पुलिस का आरोप है कि दिशा टूलकिट में संपादन करके खालिस्तानी ग्रुप को मदद कर रही थी। कुछ और गिरफ्तारियाँ हो रही हैं। अंततः अदालत के सामने जाकर बातें साफ होंगी। केवल आंदोलन का समर्थन करने या प्रचार सामग्री का प्रसारण किसी को देशद्रोही साबित नहीं करता, पर यह भी साफ है कि किसी अलगाववादी आंदोलन को लाभ पहुँचाने की मंशा से कोई काम किया गया है, तो पुलिस कार्रवाई करेगी। पुलिस कार्रवाई हमेशा सही होती रही हों, ऐसा भी नहीं, पर वह गलत ही होगी ऐसा क्यों माना जाए।

तमाम सम्भावनाएं हैं। हो सकता है कि दिशा रवि या ग्रेटा थनबर्ग को इस बात का अनुमान ही नहीं हो कि वे किसके हित साध रही हैं। हो सकता है कि यह सब गलत हो। दिशा को ज्यादा-से-ज्यादा सरकारी नीतियों का विरोधी माना जा सकता है, लेकिन सरकार का विरोध करना देशद्रोह नहीं होता। उसकी गिरफ्तारी और हिरासत में रखने की प्रक्रिया को लेकर भी आरोप हैं, इसलिए सुप्रीम कोर्ट या दिल्ली हाई कोर्ट को इस बात का परीक्षण करना चाहिए कि उनकी गिरफ्तारी के सिलसिले में सारी प्रक्रियाएं पूरी की गई थी या नहीं। सरकारी मशीनरी के मुकाबले देश में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की भी पूरी मशीनरी है। वह भी अदालती कार्रवाई कर ही रही होगी। इस मामले में मुम्बई की वकील निकिता जैकब और शांतनु मुलुक ने मुम्बई हाईकोर्ट की शरण ली है, जो उनकी अर्जी पर 17 फरवरी को फैसला सुनाएगी।