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Wednesday, August 2, 2023

नीजेर की फौजी बगावत के निहितार्थ

अफ्रीकी देशों में तानाशाही और अलोकतांत्रिक-प्रवृत्तियों का पहले से बोलबाला है। अब मध्य अफ्रीका के साहेल (या साहिल) क्षेत्र के देश नीजेर की लोकतांत्रिक-सरकार का तख्ता पलट करके वहाँ की सेना ने सत्ता पर कब्जा कर लिया है। नीजेर, अफ़्रीका के गिने-चुने लोकतांत्रिक देशों में से एक था। दूसरे पड़ोसी देशों की तरह वहाँ भी सत्ता पर फौज क़ाबिज़ हो गई है। राष्ट्रपति मुहम्मद बज़ूम के समर्थकों ने भी 26 जुलाई को राजधानी नियामे में रैली निकाली। दूसरी तरफ 30 जुलाई को लोकतांत्रिक-सरकार विरोधी लोगों ने रूसी झंडे लेकर प्रदर्शन किया। वे फ्रांस मुर्दाबाद और पुतिन जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे।

राष्ट्रपति बज़ूम दो साल पहले ही इस पद पर चुनकर आए थे और देश के स्वतंत्र होने के बाद पहली लोकतांत्रिक सरकार थी। पश्चिम अफ्रीका में माली से लेकर पूरब में सूडान तक, अफ्रीका के एक बड़े इलाक़े में अब हुकूमत फौजी जनरलों के हाथों में आ गई है। नीजेर के राष्ट्रपति मुहम्मद बज़ूम, अफ्रीकी देशों में पश्चिम के सबसे करीबी दोस्तों में से एक रहे हैं। पश्चिम के ही नहीं ओआईसी में भारत के भी करीबी मित्र वे रहे हैं। उन्हें हिरासत में ले लिया गया है। गत 26 जुलाई को वहाँ की फौज ने सरकार पर कब्जा कर लिया है।