क्वॉड सम्मेलन
प्रधानमंत्री की अमेरिका-यात्रा के मोटे तौर पर
क्या निहितार्थ हैं, इसे समझने के लिए देश के कुछ प्रमुख पत्रकारों-विशेषज्ञों और
मीडिया-हाउसों की राय जानने का प्रयास करना होगा। पिछले सात साल में मोदी जी की यह
सातवीं अमेरिका यात्रा थी। इसके पहले वे 2014,2015 के बाद 2016 में दो बार और फिर
2017 और 2019 में अमेरिका गए थे। इन यात्राओं के दौरान तीन अलग-अलग राष्ट्रपतियों
से उन्होंने मुलाकात की। बराक ओबामा, डोनाल्ड ट्रंप और अब जो बाइडेन। आज के हिन्दू
में प्रकाशित सुहासिनी
हैदर के निष्कर्ष सबसे पहले पढ़ें। उनके अनुसार यह यात्रा खास थी, क्योंकि:
1.कोविड के कारण करीब
दो साल बाद (बांग्लादेश की एक यात्रा को छोड़कर) यह उनकी पहली और बड़ी
विदेश-यात्रा थी।
2.राष्ट्रपति के रूप
में जो बाइडेन से यह उनकी पहली रूबरू मुलाकात थी।
3.वे क्वॉड के
व्यक्तिगत उपस्थिति वाले पहले शिखर सम्मेलन में भी शामिल हुए। यह सम्मेलन इसलिए भी
महत्वपूर्ण था, क्योंकि इसके एक हफ्ते पहले ही अमेरिका ने हिन्द-प्रशांत क्षेत्र
में ऑकस नाम के एक नए गठबंधन की घोषणा की थी।
4.कमला हैरिस के साथ
पहली मुलाकात हुई, जो कुछ समय पहले तक मोदी सरकार की कश्मीर-नीतियों की आलोचक थीं।
सन 2019 में विदेशमंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी सांसद प्रमिला जयपाल से मुलाकात के
साथ एक बैठक का बहिष्कार किया था, उसकी भी कमला हैरिस ने आलोचना की थी।
5.नरेंद्र मोदी अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के
साथ हाउडी-मोदी कार्यक्रम में शामिल होने के बाद पहली बार अमेरिका-यात्रा पर गए
हैं।
अमेरिका की बैठकों के कुछ सामान्य विषय इस
प्रकार थे:
हिन्द-प्रशांत क्षेत्र पर फोकस। हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय नियम-आधारित व्यवस्था की स्थापना को लेकर प्रायः सभी बैठकों में चर्चा हुई। हालांकि चीन का नाम नहीं लिया गया, जिससे लगता है कि बाइडेन-प्रशासन सावधानी बरत रहा है।