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Thursday, May 27, 2021

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के साथ सरकारी टकराव निर्णायक दौर में


भारत सरकार और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के बीच टकराव अब निर्णायक मोड़ की तरफ बढ़ रहा है। एक तरफ अभिव्यक्ति और प्राइवेसी के अधिकारों की रक्षा का सवाल है, तो दूसरी तरफ सामाजिक जिम्मेदारियों, राष्ट्रीय हितों और पारदर्शिता से जुड़े नियमों का सवाल है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वॉट्सऐप ने भारत सरकार के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें नए नियमों पर रोक लगाने की मांग की गई है। सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को नई गाइडलाइन बनाने के लिए 90 दिन का वक्त दिया था, जिसकी मियाद मंगलवार को खत्म हो चुकी है।

दूसरी तरफ कल भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय ने एक विज्ञप्ति जारी करके एक लम्बी सफाई दी है कि हम निजता का सम्मान करते हैं, पर किसी एक संदेश लेखक के बारे में जानकारी पाने के पीछे सार्वजनिक हित की कामना है। ऐसी जरूरत सिर्फ उसी मामले में है जब भारत की सम्प्रभुता, अखंडता, राज्य की सुरक्षा, दूसरे देशों के साथ दोस्ताना संबंधों या सार्वजनिक आदेश या उक्त अपराधों को उकसाने से संबंधित बहुत गंभीर अपराधों या बलात्कार, यौन सामग्री या बाल यौन उत्पीड़न सामग्री से संबंधित अपराधों की रोकथाम, जांच या सजा के लिए संदेश की जरूरत होती है

सरकार ने टेक कंपनियों से कोरोना से जुड़ी भ्रामक जानकारियों को भी हटाने को कहा है जिसके बाद आरोप लगाया गया कि सरकार अपनी आलोचना से जुड़ी जानकारी को छुपा रही है। सोशल मीडिया कंपनियों के नई गाइडलाइन बनाने के लिए 90 दिन का वक्त दिया गया था, जिसकी मियाद मंगलवार को खत्म हो चुकी है।

गत 25 मई को दाखिल इस याचिका में कंपनी ने कोर्ट में दलील दी है कि भारत सरकार के नए आईटी नियमों से प्राइवेसी खत्म हो जाएगी। वॉट्सऐप के प्रवक्ता ने कहा कि हमारे मैसेज एनक्रिप्ट किए गए हैं। ऐसे में लोगों की चैट को इस तरह ट्रेस करना वॉट्सऐप पर भेजे गए सभी मैसेज पर नजर रखने के बराबर है जो कि इस प्लेटफॉर्म को इस्तेमाल करने वालों की प्राइवेसी को खत्म कर देगा। कंपनी सिर्फ उन लोगों के लिए नियमन चाहती है, जो प्लेटफॉर्म का गलत इस्तेमाल करते हैं।

उन्होंने कहा कि हम प्राइवेसी के हनन को लेकर दुनियाभर के सिविल सोसाइटी और विशेषज्ञों के संपर्क में हैं। इसके साथ ही लगातार भारत सरकार से चर्चा के जरिए इसका समाधान खोजने में लगे हैं। प्रवक्ता की ओर से कहा गया कि हमारा मकसद लोगों की सुरक्षा और जरूरी कानूनी समस्याओं का हल खोजना है।

Monday, November 4, 2019

वॉट्सएप जासूसी के पीछे कौन?


वॉट्सएप मैसेंजर पर स्पाईवेयर पेगासस की मदद से दुनिया के कुछ लोगों की जासूसी की खबरें आने के बाद से इस मामले के अलग-अलग पहलू एकसाथ उजागर हुए हैं। पहला सवाल है कि यह काम किसने किया और क्यों? जासूसी करना-कराना कोई अजब-अनोखी बात नहीं है। सरकारें भी जासूसी कराती हैं और अपराधी भी कराते हैं। दोनों एक-दूसरे की जासूसी करते हैं। राजनीतिक उद्देश्यों को लिए जासूसी होती है और राष्ट्रीय हितों की रक्षा और मानवता की सेवा के लिए भी। यह जासूसी किसके लिए की जा रही थी? और यह भी कि इसकी जानकारी कौन देगा?
इसका जवाब या तो वॉट्सएप के पास है या इसरायली कंपनी एनएसओ के पास है। बहुत सी बातें सिटिजन लैब को पता हैं। कुछ बातें अमेरिका की संघीय अदालत की सुनवाई के दौरान पता लगेंगी। इन सवालों के बीच नागरिकों की स्वतंत्रता और उनके निजी जीवन में राज्य के हस्तक्षेप का सवाल भी है। सबसे बड़ा सवाल है कि तकनीकी जानकारी के सदुपयोग या दुरुपयोग की सीमाएं क्या हैं? फिलहाल इस मामले के भारतीय और अंतरराष्ट्रीय संदर्भ अलग-अलग हैं।