राष्ट्रगीत में भला कौन वह/ भारत-भाग्य-विधाता है/ फटा सुथन्ना पहने जिसका/ गुन हरचरना गाता है/ मखमल, टमटम, बल्लम, तुरही/ पगड़ी, छत्र-चँवर के साथ/ तोप छुड़ाकर, ढोल बजाकर/ जय-जय कौन कराता है/ पूरब-पश्चिम से आते हैं/ नंगे-बूचे नरकंकाल/ सिंहासन पर बैठा/ उनके तमगे कौन लगाता है।
हमारे यहाँ हर रोज कोई न कोई पर्व होता है, पर तीन राष्ट्रीय पर्व हैं: स्वतंत्रता दिवस, गांधी जयंती और ‘गणतंत्र दिवस।’ नागरिकों की दृष्टि से तीनों महत्वपूर्ण हैं, पर तीनों में 26 जनवरी खासतौर से नागरिकों का दिन है। स्वतंत्र नागरिकों की अपनी व्यवस्था का नाम है ‘गणतंत्र’। जिस देश के राष्ट्राध्यक्ष को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से नागरिक चुनते हैं। शासन-प्रणाली वह रूप है, जो ‘सार्वजनिक’ है, किसी की ‘निजी-संपत्ति’ नहीं।