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Tuesday, January 28, 2025

जगाएँ अपने गणतांत्रिक-सपनों को

रघुवीर सहाय की कविता है: 

राष्ट्रगीत में भला कौन वह/ भारत-भाग्य-विधाता है/ फटा सुथन्ना पहने जिसका/ गुन हरचरना गाता है/ मखमल, टमटम, बल्लम, तुरही/ पगड़ी, छत्र-चँवर के साथ/ तोप छुड़ाकर, ढोल बजाकर/ जय-जय कौन कराता है/ पूरब-पश्चिम से आते हैं/ नंगे-बूचे नरकंकाल/ सिंहासन पर बैठा/ उनके तमगे कौन लगाता है।

हमारे यहाँ हर रोज कोई न कोई पर्व होता है, पर तीन राष्ट्रीय पर्व हैं: स्वतंत्रता दिवस, गांधी जयंती और ‘गणतंत्र दिवस।’ नागरिकों की दृष्टि से तीनों महत्वपूर्ण हैं, पर तीनों में 26 जनवरी खासतौर से नागरिकों का दिन है। स्वतंत्र नागरिकों की अपनी व्यवस्था का नाम है ‘गणतंत्र’। जिस देश के राष्ट्राध्यक्ष को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से नागरिक चुनते हैं। शासन-प्रणाली वह रूप है, जो ‘सार्वजनिक’ है, किसी की ‘निजी-संपत्ति’ नहीं। 

Tuesday, January 27, 2015

गणतंत्र दिवस पर मोदी की छाप

गणतंत्र दिवस परेड पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छाप सायास या अनायास दिखाई पड़ी। जिनमें से कुछ हैं:-

मेक इन इंडिया का मिकेनिकल शेर
प्रधानमंत्री जन-धन योजना की झाँकी
बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ झाँकी
गुजरात की झाँकी में पटेल की प्रतिमा
आयुष मंत्रालय की झाँकी
बुलेट ट्रेन की प्रतिकृति
स्वच्छ भारत की अपील करता स्कूली बच्चों का समूह नृत्य
कार्यक्रम में बराक ओबामा सहित तमाम अतिथि अपने हाथों में छाते छामे नजर आए। किसी को पहले से इस बात का अंदेसा नहीं था। शायद अगले साल से विशिष्ट अतिथियों के मंच के ऊपर शीशे की छत लगेगी।

आज दिल्ली के कुछ  अखबार प्रकाशित हुए हैं जिनसे कार्यक्रम की रंगीनी के अलावा मीडिया की दृष्टि भी नजर आती है। आज की कुछ कतरनें

नवभारत टाइम्स


इंडियन एक्सप्रेस