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Sunday, October 15, 2017

हम सब हैं आरुषि के अपराधी

आरुषि-हेमराज हत्याकांड में राजेश और नूपुर तलवार के बरी हो जाने मात्र से यह मामला अपनी तार्किक परिणति पर नहीं पहुँचा है। और यह काम आसान लगता भी नहीं है। 26 नवंबर 2013 को जब गाजियाबाद की विशेष सीबीआई अदालत ने जब राजेश और नूपुर तलवार को उम्रकैद की सजा सुनाई थी, तभी लगता था कि सब कुछ जल्दबाजी में किया गया है। तमाम सवालों के जवाब नहीं मिले हैं। ट्रायल कोर्ट के फैसले के चार साल बाद अब जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तलवार दम्पति को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है, तब भी कहा जा रहा है कि अंतिम रूप से न्याय तो अब भी नहीं हुआ है। न्याय तो तभी होगा जब पता लगेगा कि आरुषि की हत्या किसने की, क्यों की और हत्यारे को सज़ा मिले।